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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 2, 2024, 9:17 AM IST

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मोबाइल पर रील और गेम का चस्का बच्चों को बना रहा पेट का रोगी, कर लीजिए ये उपाय, नहीं तो पड़ेगा पछताना - Mobile Addiction Side Effects

रील्स और गेम देखने में बेहद व्यस्त होने पर बच्चों का 24 से 48 घंटे तक शौच रोकना बहुत ही गंभीर समस्या बनती जा रही है. इसके चलते बच्चों को शौच जाने पर अत्यधिक जोर लगाने, पेट दर्द, गैस आदि की समस्याएं हो रहीं हैं.

गेम का चस्का बच्चों को दे रहा कब्ज
गेम का चस्का बच्चों को दे रहा कब्ज (Photo credit: ETV Bharat)

सिविल अस्पताल की डॉ दीप्ति सिंह ने दी जानकारी (Video credit: ETV Bharat)

लखनऊ : रोज कई घंटे मोबाइल और टीवी देखने वाले बच्चे कब्ज की चपेट में आ रहे हैं. मोबाइल एडिक्शन उन्हें पेट का रोगी बना रहा है. मोबाइल देखने में व्यस्त रहने के कारण वे 24 से 48 घंटे तक शौच रोक लेते हैं. बच्चों को ज्यादा समय बाद शौच जाने पर अत्यधिक जोर लगाने, पेट दर्द, गैस आदि समस्याएं हो रही है. हाल के वर्षों में ये समस्या 2 साल के बच्चों से लेकर 15 वर्ष तक के किशोरों में काफी बढ़ रही है. चिकित्सक ने इसे लेकर कई तरह के उपाए बताए.

सिविल अस्पताल की डॉ दीप्ति सिंह ने बताया कि इस समय बच्चे फिजिकल गेम खेलने के बजाय मोबाइल में गेम खेलते हैं. पढ़ाई भी मोबाइल में हो रही है, सारी एक्टिविटी मोबाइल पर चल रही है. आज के समय में हर कोई इनडोर होकर काम कर रहा है, फिर चाहे वह वीडियो गेम खेलना हो या फिर मोबाइल में गेम खेलना हो, फिजिकल एक्टिविटी न के बराबर हो चुकी है. कई बार ऐसा होता है कि बच्चों को प्रेशर बना होता है, लेकिन वह फ्रेश होने के लिए उठते तक नहीं हैं.

उनका पूरा ध्यान मोबाइल चलाने में होता है. इसकी वजह से बच्चों को कब्ज, पेट दर्द की शिकायत, गैस, एसिडिटी की समस्या बन जाती है. इसी तरह से कई बार बच्चों को बाथरूम लगती है, लेकिन उसे भी वह नियंत्रित कर लेते हैं, जिसकी वजह से पेट दर्द की समस्या लगातार बरकरार रहती है और ऐसा अगर बच्चा हर रोज कर रहा है तो वह बच्चा कब्ज, एसिडिटी, पेट दर्द की शिकायत से हमेशा परेशान होने लगता है.

उन्होंने बताया कि और खास बात यह है कि किसी को पता ही नहीं चलता है कि बच्चों को दिक्कत किस वजह से हो रही है. बाद में जब बच्चे अस्पताल में दिखाने के लिए आते हैं. बच्चों के हाव भाव में बदलाव होता है, तब उसके बाद माता-पिता चिंता करने लगते हैं. इसलिए जरूरी है कि शुरुआत से ही बच्चे को मोबाइल से दूर रखा जाए. मोबाइल की आदत उसे किसी भी तरह से न लगे. बच्चे अपनी चीजों को खुलकर बात नहीं पाते हैं, जब उन्हें दिक्कतें बढ़ जाती है. उनकी हाव-भाव में बदलाव हो जाता है, तब उसके बाद दिक्कत बढ़ जाती है.

राहत के उपाय
- मोबाइल-टीवी देखने का समय सीमित और निश्चित करें.
- शारीरिक गतिविधियों वाले कामों में ज्यादा से ज्यादा मन लगाएं.
- चोकर वाली रोटी, छिलके वाले फल और दालें खिलाएं.
- हरी सब्जियां भी फायदेमंद.

उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा जरूरी है कि शुरुआत से ही बच्चों को मोबाइल न दें और इसकी शुरुआत अपने आप से करें. बच्चों के सामने मोबाइल न चलाएं. क्योंकि, अगर आप बच्चे बन जाएंगे तो आप में और बच्चों में अंतर नहीं रहेगा. इसलिए, आपके घर में जितने भी सदस्य हों. सब लोग एक साथ बैठें. पहले के समय में जो खेल होते थे, उन्हें खेलें लूडो, कैरम, बैडमिंटन या फिर फुटबॉल इस तरीके के गेम चार लोग मिलकर शुरुआत करेंगे. फिर, बच्चों का मन उस चीज में लगने लगेगा.

कब्ज के कारण
- फोन-टीवी देखते रहने के लिए शौच रोकना.
- शारीरिक गतिविधियों में भागीदारी की कमी.
- नूडल्स, बर्गर आदि फास्टफूड.
- सूखी खांसी, सर्दी में दी जाने वाली एंटी बॉयोटिक दवाएं.


आतें हो रही हैं जाम :पीजीआई के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के डॉ. मोइनक सेन शर्मा के मुताबिक, बच्चों में खेलकूद और शारीरिक गतिविधियां घट गई हैं. बच्चे मोबाइल, टीवी, लैपटॉप के साथ ज्यादा समय बिता रहे हैं. इस दौरान ये शौच रोकते हैं, जिससे आगे कब्ज की दिक्कत हो जाती है. यही नहीं, ऐसे बच्चे नूडल्स, पिज्जा- बर्गर, चिप्स, कोल्ड ड्रिंक आदि जंक फूड भी खूब खाते हैं. पचा नहीं पाने से ये पेट में जाकर आंतों को जाम कर देता है और बच्चे कब्ज के शिकार बन जाते हैं.


संयमित जीवन शैली जरूरी :डॉ. मोइनक सेन शर्मा के मुताबिक, ये बच्चे कुछ माह के इलाज, खानपान और संयमित जीवनशैली अपनाकर कब्ज से छुटकारा पा सकते हैं. ऐसे मामले बढ़ने पर विभाग ने कब्ज के बच्चों की एक दिन विशेष ओपीडी शुरू की है, इसमें सिर्फ कब्ज पीड़ित बच्चों का इलाज होता है.

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