लखनऊ : रोज कई घंटे मोबाइल और टीवी देखने वाले बच्चे कब्ज की चपेट में आ रहे हैं. मोबाइल एडिक्शन उन्हें पेट का रोगी बना रहा है. मोबाइल देखने में व्यस्त रहने के कारण वे 24 से 48 घंटे तक शौच रोक लेते हैं. बच्चों को ज्यादा समय बाद शौच जाने पर अत्यधिक जोर लगाने, पेट दर्द, गैस आदि समस्याएं हो रही है. हाल के वर्षों में ये समस्या 2 साल के बच्चों से लेकर 15 वर्ष तक के किशोरों में काफी बढ़ रही है. चिकित्सक ने इसे लेकर कई तरह के उपाए बताए.
सिविल अस्पताल की डॉ दीप्ति सिंह ने बताया कि इस समय बच्चे फिजिकल गेम खेलने के बजाय मोबाइल में गेम खेलते हैं. पढ़ाई भी मोबाइल में हो रही है, सारी एक्टिविटी मोबाइल पर चल रही है. आज के समय में हर कोई इनडोर होकर काम कर रहा है, फिर चाहे वह वीडियो गेम खेलना हो या फिर मोबाइल में गेम खेलना हो, फिजिकल एक्टिविटी न के बराबर हो चुकी है. कई बार ऐसा होता है कि बच्चों को प्रेशर बना होता है, लेकिन वह फ्रेश होने के लिए उठते तक नहीं हैं.
उनका पूरा ध्यान मोबाइल चलाने में होता है. इसकी वजह से बच्चों को कब्ज, पेट दर्द की शिकायत, गैस, एसिडिटी की समस्या बन जाती है. इसी तरह से कई बार बच्चों को बाथरूम लगती है, लेकिन उसे भी वह नियंत्रित कर लेते हैं, जिसकी वजह से पेट दर्द की समस्या लगातार बरकरार रहती है और ऐसा अगर बच्चा हर रोज कर रहा है तो वह बच्चा कब्ज, एसिडिटी, पेट दर्द की शिकायत से हमेशा परेशान होने लगता है.
उन्होंने बताया कि और खास बात यह है कि किसी को पता ही नहीं चलता है कि बच्चों को दिक्कत किस वजह से हो रही है. बाद में जब बच्चे अस्पताल में दिखाने के लिए आते हैं. बच्चों के हाव भाव में बदलाव होता है, तब उसके बाद माता-पिता चिंता करने लगते हैं. इसलिए जरूरी है कि शुरुआत से ही बच्चे को मोबाइल से दूर रखा जाए. मोबाइल की आदत उसे किसी भी तरह से न लगे. बच्चे अपनी चीजों को खुलकर बात नहीं पाते हैं, जब उन्हें दिक्कतें बढ़ जाती है. उनकी हाव-भाव में बदलाव हो जाता है, तब उसके बाद दिक्कत बढ़ जाती है.
राहत के उपाय |
- मोबाइल-टीवी देखने का समय सीमित और निश्चित करें. |
- शारीरिक गतिविधियों वाले कामों में ज्यादा से ज्यादा मन लगाएं. |
- चोकर वाली रोटी, छिलके वाले फल और दालें खिलाएं. |
- हरी सब्जियां भी फायदेमंद. |