लखनऊ: संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) की आईसीयू में भर्ती होने वाले 60 से 70 फीसदी और समुदाय में 10 से 12 फीसदी लोगों की मौत एक्यूट किडनी इंजरी (एकेआई) के कारण हो रही है. जागरूकता की कमी से लोग इसके शिकार हो रहे हैं. जल्दी और सही इलाज से यह पूरी तरह से ठीक हो सकता है.
एसजीपीजीआई नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर नारायण प्रसाद ने कहा, कि समय से इलाज न होने पर एकेआई 7 से 8 फीसदी में सीकेडी (क्रानिक किडनी डिजीज) में बदल जाता है. इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक होने की जरूरत है. एक्यूट किडनी इंजरी (एकेआई), जिसे अचानक गुर्दे की खराबी भी कहा जाता है. यह स्थिति तब पैदा होती है, जब व्यक्ति के खून में विषाक्त की मात्रा बढ़ने लगती है और किडनी को शरीर के तरल पदार्थों को समांतर करने में परेशानी होने लगती है. इसके कारण किडनी अचानक काम करना बंद कर सकती है.
गर्मी में बढ़ जाते हैं एकेआई के मरीज:प्रो. नारायण प्रसाद के मुताबिक, गर्मी के मौसम में लोग डायरिया और डिहाइड्रेशन के शिकार हो जाते हैं. इस स्थिति में शरीर में पानी की कमी हो जाती है. इसके अलावा मलेरिया और डेंगू का बुखार आने पर भी एकेआई की संभावना बढ़ जाती है. बीमार होने पर दर्द निवारक दवाइयां बिना डॉक्टर के सलाह नहीं लेनी चाहिए. ये किडनी को नुकसान पहुंचाती हैं.
इसे भी पढ़े-Medical News : पीजीआई लखनऊ में हर हफ्ते होंगे 5 से 6 गुर्दा प्रत्यारोपण, ऑपरेशन थियेटर और डायलिसिस स्टेशन बढ़े
बेहद खतरनाक मर्ज है एक्यूट किडनी इंजरी, अक्सर जान गंवा देते हैं लोग, ये सावधानी बरतें - Acute kidney injury - ACUTE KIDNEY INJURY
लखनऊ स्थित संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में अब हर हफ्ते 10 से 12 फीसदी लोगों की मौत एक्यूट किडनी इंजरी (एकेआई) के कारण हो रही है. अगर समय रहते इस बीमारी का सही से इलाज किया गया तो यह पूरी तरह से ठीक हो सकता है.
By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : May 14, 2024, 12:46 PM IST
डायलिसिस के दौरान विशेष कार्टेज खींच लेगा विषाक्त तत्व:बलरामपुर अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉ. एएन उस्मानी ने बताया कि सेप्सिस, डायरिया, अनियमित रक्तचाप के कारण होने वाले एकेआई के मरीजों का बहुत धीरे डायलिसिस करना होता है. इन मरीजों में डायलिसिस के लिए ऐसे कार्टेज आ गई है जो रक्त में एकत्रित विषैले तत्व को अवशोषित कर लेता है. इससे डायलिस काफी प्रभावशाली साबित हो रहा है. उन्होंने बताया, कि संस्थान की इमरजेंसी में 10 से 15 फीसदी मरीज एकेआई से पीड़ित हैं.
बचाव
- रक्तचाप को कम न होने दें.
- शरीर में पानी की कमी न होने पाए. डिहाइड्रेशन और डायरिया होने पर ओआरएस या घर में बना घोल पीएं.
- इंफेक्शन से बचाव.
- अपनी मर्जी से दर्द निवारक दवाइयां न लें, जरूरत पड़े तो पैरासिटामोल ले सकते हैं.
होने वाली समस्याएं
- सेप्सिस (ब्लड इंफेक्शन).
- शरीर में पानी की कमी.
- ट्यूबलर नेक्रोसिस, गुर्दे की ट्यूब्यूल कोशिकाओं को नुकसान).
- ऑटोइम्यून डिजीज.
- रक्त का थक्का (कोलेस्ट्रॉल एम्बोली).
- रक्तचाप कम होना.
यह भी पढ़े-लखनऊ पीजीआई में लगेगी एमआरआई यूनिट, ट्रामा में एक्सरे, सीटी स्कैन समेत होंगी कई जरूरी जांचें