नई दिल्ली: दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने 2014 में झारखंड के भगाकर एक नाबालिग लड़की को गैरकानूनी तरीके से जबरन काम करवाने के आरोपी को बरी कर दिया है. एडिशनल सेशंस जज राज कुमार ने आरोपी श्याम कुमार को बरी करने का आदेश देते हुए कहा कि अभियोजन आरोपी के खिलाफ पुख्ता साक्ष्य रखने में नाकाम रहा है.
आरोपी के खिलाफ दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 370, 374, 509 और 323 के अलावा जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 23 के तहत एफआईआर दर्ज किया गया था. अभियोजन के मुताबिक श्याम ने 2014 में झारखंड के खूंटी जिले से एक नाबालिग को लालच देकर दिल्ली लाया था. श्याम ने लड़की से कहा था कि वह उसे किसी घर में काम दिला देगा.
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नाबालिग को अगस्त 2014 में निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से एक एनजीओ ने छुड़ाया था. पीड़िता को डरा-धमका कर और मारपीट कर ऐसी जगह रखा गया था जहां उसकी शारीरिक और मानसिक स्थिति खराब हो सकती थी. कोर्ट ने लड़की, उसके पिता और उसे काम पर रखने वालों के बयानों पर गौर करते हुए पाया कि उसकी उम्र 19 वर्ष है. कोर्ट ने कहा कि पीड़िता की उम्र अपराध के समय 19 वर्ष थी और वह नाबालिग नहीं थी.
सुनवाई के दौरान पीड़िता ने स्वीकार किया था कि वह दिल्ली पैसा कमाने के लिए अपनी मर्जी से आई थी. वह दिल्ली में अपनी मर्जी से घर में काम करती थी. बाद में आरोपी ने उसे हिसार और मुंबई में काम करने के लिए दबाव डाला. कोर्ट ने ये भी गौर किया कि पीड़िता की पिटाई या उसके साथ कोई बुरा व्यवहार नहीं हुआ जिसके चलते वह मुंबई से दिल्ली भागकर आ गई.
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