नई दिल्ली:दिल्ली की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने करीब 500 गैर-मौजूद फर्मों से जुड़े बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी का पर्दाफाश किया है, जो फर्जी जीएसटी रिफंड का दावा करने के लिए केवल कागजों पर दवाओं और मेडिकल वस्तुओं के निर्यात सहित व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन कर रहे थे. अधिकारियों के अनुसार, इन फर्जी फर्मों ने धोखाधड़ी से लगभग 54 करोड़ रुपये का जीएसटी रिफंड प्राप्त किया. इसके अतिरिक्त, लगभग 718 करोड़ रुपये के जाली चालान सामने आए हैं. उन्होंने बताया कि जीएसटी अधिकारी (जीएसटीओ) की ओर से प्रक्रियात्मक खामियां और कदाचार स्पष्ट हैं, जिसके परिणामस्वरूप सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है.
आरोपियों ने फर्जी फर्मों का किया इस्तेमाल:एसीबी ने गुरुवार को इन फर्जी फर्मों को चलाने वाले मुख्य आरोपी के दो कर्मचारियों (एक एकाउंटेंट और एक चार्टर्ड अकाउंटेंट) को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपी की पहचान मनोज कुमार और विशाल कुमार के तौर पर हुई है. दोनों पहले से गिरफ्तार आरोपी राज सिंह सैनी का चार्टर्ड अकाउंटेंट है. उन्होंने कहा कि गिरफ्तार किए गए लोगों पर फर्जी जीएसटी रिफंड के प्रमुख प्राप्तकर्ता होने का आरोप है और वे धोखाधड़ी के दावों को सुविधाजनक बनाने में निकटता से शामिल थे. 12 अगस्त 2024 को गिरफ्तारी के पहले चरण में एसीबी ने एक जीएसटीओ, फर्जी फर्म चलाने वाले तीन अधिवक्ताओं, दो ट्रांसपोर्टरों और फर्जी फर्मों के एक मालिक को गिरफ्तार किया था.
54 करोड़ रुपये का फर्जी जीएसटी रिफंड:एसीबी ने एक बयान में कहा, "जीएसटीओ ने इन 96 फर्जी फर्मों के मालिकों के साथ आपराधिक साजिश रचते हुए 2021-22 में 404 रिफंड मंजूर कर 35.51 करोड़ रुपये मंजूर किए थे, जबकि पिछले साल इन फर्मों को केवल 7 लाख रुपये का रिफंड दिया गया था. अब तक कुल 54 करोड़ रुपये के फर्जी जीएसटी रिफंड सामने आए हैं. ये रिफंड जीएसटीओ द्वारा रिफंड आवेदन दाखिल करने के 2-3 दिनों के भीतर मंजूर कर दिए गए थे, जिससे उनकी गलत मंशा साफ तौर पर सामने आई है."
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