नई दिल्ली:अगर स्ट्रोक आने से आपको बोलने में परेशानी होने लगी है या आप साफ-साफ नहीं बोल पाते हैं, या आपको शब्दों के उच्चारण में कठिनाई होती है तो दिल्ली एम्स आपको बुला रहा है. दरअसल, एम्स को ऐसे मरीजों की तलाश है, जिन्हें स्ट्रोक आए हुए एक साल या उससे कम समय हुआ है. इन मरीजों पर म्यूजिक थेरेपी के असर को लेकर स्टडी की जाएगी.
एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग की प्रोफेसर डा. दीप्ति विभा ने बताया कि हमें ऐसे 60 मरीजों की जरूरत है. मरीजों के परिजन दिल्ली एम्स से इसके लिए सीधे संपर्क कर सकते हैं. इसके लिए 8929466866 नंबर पर संपर्क किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि इन मरीजों पर हम म्यूजिक थेरेपी के असर का अध्ययन करेंगे. यह पूरी प्रक्रिया निशुल्क होगी. यह थेरेपी मरीजों पर कितनी कारगर होती है और किस तरह कारगर होगी इन सब बातों का ध्यान रखते हुए यह अध्ययन होगा. अगर यह अध्ययन सफल हो जाता है तो ऐसे मरीजों के इलाज में हम इस थेरेपी का इस्तेमाल आगे कर सकेंगे.
जिन मरीजों को स्ट्रोक आने के बाद बोलने में परेशानी होती है या साफ नहीं बोल पाते हैं.इस बीमारी को अफेजिया कहते हैं.अफेजिया से पीड़ित होने के बाद अगर मरीज को दो, तीन या चार साल का समय बीत जाए तो उसका ठीक होना संभव नहीं होता है. लेकिन, एक साल से कम या एक साल से अफेजिया होने वाले मरीज अब ठीक हो सकते हैं. इन मरीजों को सटीक इलाज देने के लिए एम्स, आईआईटी दिल्ली के साथ एक शोध शुरू करने जा रहा है. इसके लिए एम्स को ऐसे मरीजों की तलाश है जो स्ट्रोक आने के बाद अफेजिया से पीड़ित हों और उन्हें इस बीमारी की चपेट में आए हुए एक साल से ज्यादा का समय न हुआ हो
यह इन मरीजों के लिए उम्मीद की एक किरण होगी जो स्ट्रोक आने के बाद अपनी बोलने की क्षमता को खो चुके हैं. म्यूजिक थेरेपी के कारगर होने के बाद इन मरीजों की बोलने की क्षमता में निश्चित तौर पर सुधार होगा, क्योंकि विदेशों में भी इस तकनीक से ऐसे मरीजों को ठीक करने में सफलता मिली है. डा. दीप्ति ने यह भी बताया कि अभी हमारे पास ऐसे पांच मरीज आ गए हैं. हम उनकी जांच कर रहे हैं कि वह शोध के लिए फिट बैठते हैं या नहीं.
स्ट्रोक आने के बाद 21 से 38 प्रतिशत मरीजों को होता है अफेजिया
डा. दीप्ति ने बताया कि एम्स में प्रतिदिन स्ट्रोक के मरीज आते हैं. महीने पर में बड़ी संख्या में आने वाले मरीजों में से 21 से 38 प्रतिशत मरीजों को अफेजिया रोग हो जाता है. इससे उनकी बोलने की क्षमता प्रभावित हो जाती है. एक बार मूल कारण का इलाज होने के बाद अफेजिया का मुख्य इलाज स्पीच थेरेपी से होता है. इसकी मदद से बोलने में कठिनाई को दूर किया जा सकता है.