कोटा:बीते 10 दिनों से अस्पताल में डेंगू का उपचार करवा रही एक युवती की मौत हो गई. परिजनों ने इसे डेंगू से मौत बताया है. अस्पताल के रिकॉर्ड में भी युवती डेंगू पॉजिटिव थी, लेकिन चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने फिलहाल इसे डेंगू से मौत नहीं माना है. विभाग के डॉक्टरों का कहना है कि इसकी पुष्टि स्टेट लेवल कमेटी करती है. इसके बाद ही मौत के कारण का पता चल पाएगा. हालांकि, कोटा में अब तक 280 मरीज डेंगू पॉजिटिव आ चुके हैं, वहीं एक नर्सिंग स्टूडेंट की मौत भी पहले हो चुकी है.
मृतका दिव्या मेहरा प्रेम नगर अफोर्डेबल स्कीम निवासी थी. वह बीते 10 दिन से बीमार थी और 16 अक्टूबर को ही उसे एमबीएस अस्पताल में एडमिट करवाया था. यहां पर डेंगू की जांच में वह पॉजिटिव आई थी. उसके बाद उसकी प्लेटलेट्स भी गिर रही थी. चिकित्सक उसे उपचार भी दे रहे थे. तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उसे 19 अक्टूबर को आईसीयू में शिफ्ट कर दिया, जहां पर उपचार के दौरान उसने रविवार सुबह दम तोड़ दिया. उसके पिता रघुराज मेहरा का कहना है कि अस्पताल में चिकित्सकों ने डेंगू ही बताया था और इसी का इलाज भी उसका चल रहा था.
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डेंगू शॉक्ड सिंड्रोम में चली गई थी युवती: अस्पताल में इलाज कर रहे मेडिसिन के यूनिट हेड डॉ. श्याम बिहारी का कहना था कि दिव्या नाम की मरीज को बीते 10 दिन से बुखार की शिकायत थी. वह कहीं बाहर भी इलाज करा रही थी. अस्पताल में हमारे पास काफी गंभीर अवस्था में 16 अक्टूबर को भर्ती हुई थी और 20 अक्टूबर को उसने दम तोड़ दिया. उसकी हमने जांच करवाई थी. इसमें डेंगू एलाइजा पॉजिटिव आई थी, लेकिन मल्टी ऑर्गन फैलियर हो रहे थे. शरीर के सभी अंगों पर असर था. लीवर, किडनी, ब्रेन, हार्ट और फेफड़े सभी इंवॉल्व थे. वह डेंगू शॉक्ड सिंड्रोम में थी. सीबीसी में खून की कमी थी और प्लेटलेट्स डाउन थी. ब्लड में डब्ल्यूबीसी काउंट काफी बढ़े हुए थे. इधर, सीएमएचओ डॉ. जगदीश सोनी का कहना था कि इस मामले में जांच पड़ताल करवाई जा रही है. एमबीएस अस्पताल से भी अभी रिपोर्ट नहीं आई है. फेक्चुअल रिपोर्ट के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा. वैसे भी लड़की के आधार कार्ड का पता बारां का है, लेकिन मौत के क्या कारण रहे, यह रिपोर्ट के बाद ही सामने आएंगे.
स्टेट लेवल की कमेटी करेगी डेंगू से मौत की पुष्टि: इधर, मौसमी बीमारियों के इंचार्ज और कोटा के उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. घनश्याम मीणा का कहना था कि डेंगू से मौत की पुष्टि स्टेट लेवल की कमेटी ही करती है. डेथ ऑडिट के बाद ही यह रिपोर्ट हमारे पास आती है, तभी हम इसे डेंगू से मौत के मामलों में शामिल करते हैं.