नई दिल्ली: दिल्ली सरकार की ‘पिंक टिकट’ योजना के पांच वर्ष पूरे हो चुके हैं. ग्रीनपीस इंडियाकी ओर से एक रिपोर्ट जारी की गई है, जिसमें महिलाओं की बस यात्रा में सुरक्षा से जुड़ी गंभीर चिंताओं को उजागर किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 77 प्रतिशत महिलाएं शाम 5 बजे के बाद बस में यात्रा करते समय असुरक्षित महसूस करती हैं. वहीं 88 प्रतिशत महिलाओं का मानना है कि पिंक टिकट’ योजना सार्वजनिक बस यात्रा को प्रोत्साहित करने में बेहद प्रभावी है.
ग्रीनपीस इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली की 45 प्रतिशत महिलाएं बस का उपयोग नहीं करतीं हैं, जबकि 35 प्रतिशत महिलाएं या तो प्रतिदिन या सप्ताह में 3 से 5 दिन बस से यात्रा करती हैं. इस सर्वेक्षण में 510 महिलाओं से फील्ड सर्वे व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से प्रतिक्रियाएं एकत्रित की गईं. इसके नतीजों से पता चला कि 25 प्रतिशत महिलाओं ने किराया मुक्त योजना लागू होने के बाद से बसों का उपयोग शुरू किया, जिसमें से 23 प्रतिशत महिलाएं हफ्ते में कम से कम चार बार बस में सफर करती हैं.
'बस के लिए करना पड़ता है लंबा इंतजार, स्टैंड पर पूरी तरह से रौशनी भी नहीं होती'
रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं को बस में यात्रा के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. रिपोर्ट बताती है कि आधे से कम महिला बस यात्री बस स्टॉप तक पहुंचने, वहां इंतजार करने और बस में सफर करने के दौरान स्वयं को ‘आमतौर पर सुरक्षित’ महसूस करती हैं. दो-तिहाई महिलाएं बस स्टॉप पर रोशनी को अपर्याप्त मानती हैं.
'शाम को सफर करने से बचती हैं महिलाएं, बस के लिए करना पडता है आधे घंटे इंतजार'
असुरक्षा के चलते महिलाएं शाम को यात्रा करने से बचती हैं, जिससे उनका आवागमन सीमित हो सकता है. बसों की उपलब्धता की समस्या भी एक अहम मुद्दा है. 87 प्रतिशत महिलाएं बताती हैं कि उन्हें बस का इंतजार 10 मिनट से अधिक करना पड़ता है. जबकि 13 प्रतिशत महिलाओं का कहना है कि वे 30 मिनट से भी अधिक प्रतीक्षा करती हैं. ऐसे में, महिलाएं बस सेवा को अपने यात्रा के समय के हिसाब से उपयोग करने में असमर्थ महसूस करती हैं.