रांची: चुनाव का समय आते ही जहां आम लोग उत्साहित हो जाते हैं, वहीं सरकारी कर्मचारियों के चेहरे पर उदासी छा जाती है. क्योंकि चुनाव के दौरान सरकारी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाती है. यही ड्यूटी कहीं न कहीं कर्मचारियों के लिए परेशानी का सबब बन जाती है. कुछ ऐसा ही माहौल रांची जिले में देखने को मिल रहा है. रांची जिले के कर्मचारी चुनाव ड्यूटी से बचने के लिए अपनी बीमारियों का हवाला देते नजर आ रहे हैं.
बीमारियों को लेकर दिए गए 500 आवेदन
रांची जिला प्रशासन की ओर से करीब 13 हजार कर्मचारियों और अधिकारियों को चुनाव ड्यूटी में तैनात किया गया है. लेकिन चुनाव ड्यूटी में लगाये जाने की सूचना मिलते ही कर्मचारी व पदाधिकारी अपनी-अपनी बीमारी का हवाला देकर आवेदन देते नजर आ रहे हैं. रांची जिला सिविल सर्जन कार्यालय के कर्मचारी के मुताबिक, करीब 500 ऐसे आवेदन मिले हैं, जिनमें कहा गया है कि वह अपनी बीमारी के कारण चुनाव ड्यूटी नहीं कर पाएंगे.
कर्मचारियों का आवेदन मिलते ही जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह रांची उपायुक्त ने मेडिकल बोर्ड गठित कर प्राप्त सभी आवेदनों का सत्यापन करने का निर्देश दिया है. कहा गया है कि जो लोग वास्तव में बीमार हैं उन्हें ही चुनाव ड्यूटी से छूट दी जाये, बाकी सभी को चुनाव ड्यूटी में लगाया जाए.
"चुनाव में ड्यूटी पर रहने के बाद जिन लोगों ने मेडिकल बोर्ड को आवेदन दिया है, उन सभी कर्मचारियों को मेडिकल बोर्ड में शामिल डॉक्टरों के द्वारा निरीक्षण किया जाएगा. जिसमें यह तय किया जाएगा कि कौन सा कर्मचारी वास्तव में बीमार है या कर्मचारी ने चुनाव ड्यूटी से बचने के लिए आवेदन किया है." - डॉ. प्रभात कुमार, सिविल सर्जन, रांची
"कई आवेदन ऐसे हैं जो वाकई असली हैं. क्योंकि कई ऐसे कर्मचारी हैं जिन्हें कैंसर, विकलांगता और किडनी फेल्योर जैसी बीमारियां हैं. अगर कोई कर्मचारी किडनी की बीमारी से पीड़ित है और हर हफ्ते डायलिसिस जैसी प्रक्रिया से गुजर रहा है, तो निश्चित रूप से ऐसे कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी पर भेजना संभव नहीं होगा. लेकिन कई आवेदन ऐसे भी आए हैं. जो बीपी और शुगर का हवाला देकर चुनाव ड्यूटी से बचना चाहते हैं." - डॉ. प्रभात कुमार, सिविल सर्जन, रांची