महराजगंज :एक तरफ राज्य सरकार खिलाड़ियों को नौकरी व पुरस्कार देकर खेल को बढ़ावा देने की दावा कर रही है, वहीं प्रदेश के अंतिम छोर पर बसे महराजगंज जिले के बेसिक शिक्षा विभाग में पढ़ने वाले नौनिहाल खिलाड़ियों की गरीबी राज्य स्तरीय बेसिक बाल क्रीड़ा समारोह में शामिल होने की राह में बाधा बन गई. सूत्रों के मुताबिक, गोरखपुर मंडल के बेसिक क्रीड़ा में चैम्पियन होने के बाद भी महराजगंज के 48 खिलाड़ी लखनऊ में आयोजित राज्य स्तरीय बेसिक बाल क्रीड़ा प्रतियोगिता में महज इसलिए नहीं जा पाए क्योंकि उनके पास लखनऊ जाने-आने का किराया भाड़ा नहीं था. इन चैम्पियन खिलाड़ियों को राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में प्रतिभाग कराने की जिम्मेदारी बेसिक शिक्षा विभाग की है. शासन ने इसके लिए धन भी दिया था, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग ने भी सभी मंडल चैम्पियन बच्चों को लखनऊ ले जाने में हाथ खड़ा कर दिया. विभाग का कहना है कि शासन से कम धनराशि मिली थी. जिले स्तर पर प्रतियोगिता कराने में ही धन खर्च हो गया.
प्रतियोगिता के लिए क्वालीफाई किए 91 बच्चे :शासन के निर्देश पर हर साल बेसिक शिक्षा विभाग एनपीआरसी, ब्लाॅक, जनपद, मंडल व राज्य स्तर पर बेसिक बाल क्रीड़ा प्रतियोगिता का आयोजन कराता है. जनपद के बाद गोरखपुर मंडल स्तरीय बेसिक बाल क्रीड़ा प्रतियोगिता में जिले के 91 बच्चों ने चैंपियन बनने के बाद राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के लिए क्वालीफाई किया है. लेकिन, विभागीय उदासीनता से 48 मंडल चैंपियन लखनऊ नहीं जा पाए.
खो-खो व कबड्डी की टीम ही नहीं जा पाई :राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में परिषदीय चैंपियन बच्चों को प्रतिभाग कराने के लिए शिक्षक कई दिन से अपनी बात रख रहे थे, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने अनुसना कर दिया. कुछ शिक्षक बच्चों की उत्सुकता व उनके सुनहरे भविष्य के लिए अपने खर्च से लेकर ट्रेन से लखनऊ पहुंचे. वहीं, खो-खो व कबड्डी की टीम जा ही नहीं पाई. कुछ अन्य शिक्षकों का दिल नहीं माना तो वह हाकी की टीम को लेकर राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के शुभारंभ होने के दिन पन्द्रह फरवरी को सुबह किसी तरह व्यवस्था बनाकर ले गए, लेकिन 48 मंडल चैंपियन बच्चों की बदनसीबी एक बार फिर उनकी तरक्की में विभागीय लापरवाही से बाधा बन गई.
विभाग की लापरवाही व संवेदनहीनता उजागर :मंडल स्तरीय बेसिक बाल क्रीड़ा में महराजगंज के बच्चों के बदौलत बेसिक शिक्षा विभाग को 94 हजार रूपये एडी बेसिक कार्यालय से मिलना था. इसका बिल-बाउचर लगाकर भुगतान हासिल करना था, लेकिन तीन चार दिन पहले तक बेसिक शिक्षा विभाग मंडल से यह धनराशि नहीं ले पाया. यह धनराशि मिल गई होती तो इससे भी बच्चे लखनऊ जा सकते थे. बीएसए व सभी बीईओ को चलने के लिए शासन हर माह करीब एक दर्जन गाड़ियों का किराया देती है. इन वाहनों से भी मंडल चैंपियन बच्चों को लखनऊ भेजा जा सकता है, क्योंकि शासन बेसिक शिक्षा के नाम पर जितना भी खर्च करती है उसका उद्देश्य बच्चों की शिक्षा व उनकी खेलकूद प्रतिभा को निखारना एक मात्र उद्देश्य है. लेकिन, शासन की मंशा के विपरित जिले के बेसिक शिक्षा विभाग में हर वह काम हो रहा है कि जिससे छात्रों का मनोबल टूट रहा है. प्रतिभाएं दम तोड़ रही हैं.