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Special : JS डैम पर 200 मेगावाट के 40 साल पुराने PSP प्रोजेक्ट को मिली अनुमति, सस्ती बिजली से पंपिंग तो महंगी के समय होगा उत्पादन

कोटा के जवाहर सागर डैम में भी 200 मेगावाट का एक पम्प स्टोरेज प्लांट (PSP) स्थापित किया जाएगा. करीब 40 साल पहले इसकी योजना बनाई गई थी, लेकिन ठंडे बस्ती में ही इसकी फाइल पड़ी हुई थी. अब इस प्रोजेक्ट को लेकर कोल इंडिया लिमिटेड आगे आया है. इस प्लांट के लिए राज्य सरकार और कोल इंडिया के बीच एमओयू हुआ है. देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट...

PSP project on Jawahar Sagar Dam
PSP project on Jawahar Sagar Dam

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 12, 2024, 2:20 PM IST

JS डैम पर 200 मेगावाट के 40 साल पुराने PSP प्रोजेक्ट को मिली अनुमति

कोटा. राज्य सरकार प्रदेश में विद्युत का उत्पादन बढ़ाने के लिए ग्रीन एनर्जी का सहारा ले रही है और इसी के तहत कोटा के जवाहर सागर डैम में भी 200 मेगावाट का एक पम्प स्टोरेज प्लांट (PSP) स्थापित किया जाएगा. करीब 40 साल पहले इसकी योजना बनाई गई थी, लेकिन इसकी ठंडे बस्ती में ही फाइल पड़ी हुई थी. अब इस प्रोजेक्ट को लेकर कोल इंडिया लिमिटेड आगे आया है. इस प्लांट के लिए राज्य सरकार और कोल इंडिया के बीच एमओयू हुआ है.

हालांकि इस प्लांट में 200 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए 250 मेगावाट बिजली खर्च भी करनी पड़ेगी, लेकिन सस्ती बिजली खरीद कर पानी के ऊपर चढ़ाया जाएगा. वहीं, महंगी बिजली के समय विद्युत उत्पादन किया जाएगा. इससे राज्य सरकार को करोड़ों की बचत होगी. राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के अधिशासी अभियंता (नवीकरण, आधुनिकीकरण और उन्नयन RM&U) संजय जोशी का कहना है कि साल 1982 के समय यहां पर स्थापित अधिकारियों ने जवाहर सागर डैम पर ही पंप स्टोरेज प्लांट स्थापित करने की योजना बनाई थी. इसमें 200 मेगावाट के इस प्लांट में 100-100 मेगावाट की दो यूनिट स्थापित की जानी है.

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500 मीटर की पाइपलाइन से 191 फीट ऊंची पहाड़ी पर जाएगा पानी :एक्सईएन संजय जोशी के अनुसार जवाहर सागर बांध के नजदीक ही एक ऊंची पहाड़ी है. यह पहाड़ी मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के अधीन है. इस पहाड़ी पर बड़ा वाटर रिजर्व बनाया जाएगा. इसमें जवाहर सागर डैम की अपस्ट्रीम से पानी ऊपर चढ़ाया जाएगा. पहाड़ी पर बनाए गए वाटर रिजर्व से पानी टरबाइन के जरिए छोड़ा जाएगा, जिससे बिजली का उत्पादन हो जाएगा. इसके लिए चंबल नदी का पानी ही जेएस डैम से नजदीक स्थित 191 फीट ऊंची पहाड़ी पर ले जाया जाएगा. इसके लिए करीब 500 मीटर लम्बी व काफी चौड़ी पाइपलाइन डाली जाएगी.

सुबह और रात को महंगी होती है बिजली

वन विभाग से अनुमति है सबसे बड़ी टेड़ी खीर : राज्य सरकार ने पंप स्टोरेज प्लांट के लिए कोल इंडिया से एमओयू किया है. अब इसके लिए दोबारा डीपीआर बनाई जाएगी. जिसमें यह तय होगा कि पहाड़ी पर दोनों यूनिटों के लिए अलग-अलग स्टोरेज वाटर बॉडी बनाई जाएगी या एक से ही वाटर स्टोरेज रिजर्व बनाया जाएं. हालांकि यह वाटर बॉडी मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में स्थित पहाड़ी पर बनाई जानी है. इसके लिए बने पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति लेनी पड़ेगी. अधिकारियों के मुताबिक इसकी अनुमति लेना सबसे बड़ी टेढ़ी खीर होगा.

अब 4 गुना से भी ज्यादा खर्च होगा :आरवीयूएनएल हाइड्रो पावर प्लांट के अधिकारियों के मुताबिक साल 1982 में तत्कालीन इंजीनियरों ने पीएसपी प्लांट के संबंध में डीपीआर तैयार करवाई थी. यह डीपीआर 1983-84 में बन गई थी तब इसमें करीब 100 से 150 करोड़ के आसपास का खर्च होना था. हालांकि अब यह खर्चा काफी बढ़ गया है. ऐसे में इस अनुमान से चार गुना ज्यादा खर्चा अब इस प्रोजेक्ट के बनाने में हो सकता है. करीब 600 करोड़ का खर्चा इसमें अनुमानित है.

करीब 600 करोड़ का आ सकता है खर्चा

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सुबह और रात को महंगी होती है बिजली :आरवीयूएनएल के डिप्टी चीफ इंजीनियर एनएस खंगारोत के अनुसार सुबह 6 से 11 और रात को 7 से 11 तक का पीक ऑवर माना जाता है, इस समय बिजली की आवश्यकता काफी ज्यादा होती है. इसके अलावा शेष समय में बिजली ऑफ पीक यानी लीन ऑवर होते है. ऐसे में जब वर्तमान में हर घंटे के अनुसार बिजली के अलग दाम लिए जा रहे हैं. तब यह पीएसपी प्लांट काफी कारगर होते हैं, क्योंकि सस्ती बिजली से पानी को ऊपर चढ़ा दिया जाता है और जब महंगी यानी पीक ऑवर में बिजली का निर्माण किया जा सकता है. सोलर से भी बिजली दोपहर में अच्छी मिल जाती है, लेकिन रात्रि को सोलर से बिजली निर्माण नहीं हो पाता है. ऐसे में दिन में बिजली थोड़ी सस्ती पड़ जाती है.

सस्ती बिजली से पानी चढ़ाई, महंगी होने पर उत्पादन : राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के अधिकारियों के मुताबिक पहाड़ी पर चंबल नदी के जवाहर सागर बांध से पानी को ऊपर चढ़ाने में काफी बिजली खपत होगी. उनका कहना है कि 100 मेगावाट प्लांट के लिए करीब 125 मेगावाट बिजली की खपत होगी. ऐसे में 200 मेगावाट के प्लांट के लिए 250 मेगावाट तक बिजली की आवश्यकता होगी. हालांकि ऑफ पीक ऑवर (LEAN HOUR) के समय बिजली सस्ती होती है. वर्तमान में पावर परचेज वाटर के अनुसार 2.40 से 2.56 पर यूनिट के अनुसार यह बिजली मिलती है. पीएसपी प्लांट के रिज़र्व वायर को पंपिंग के जरिए भरा जा सकता है, इसके अलावा जब पीक ऑवर में पावर परचेज ऑर्डर के अनुसार बिजली के दाम 11 से 17 रुपए यूनिट तक पहुंच जाते हैं, तब बिजली का निर्माण होता है.

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