दिल्ली

delhi

ETV Bharat / state

दिल्ली के सौंदर्यीकरण अभियान में 2.78 लाख लोग हुए बेघर: रिपोर्ट - housing and land rights network

Beautification made people homeless: दिल्ली में लगातार चलाए जा रहे सौंदर्यीकरण अभियान और विकास परियोजनाओं ने जहां दिल्ली के लुक को पूरी तरह बदल दिया हैं, वहीं इस अभियान के दौरान 2.78 लाख से ज्यादा लोग बेघर हो गए हैं. जिनका पुनर्वास अब तक सरकार और प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है.

सौंदर्यीकरण अभियान में आश्रयों की आहूती
सौंदर्यीकरण अभियान में आश्रयों की आहूती

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Mar 6, 2024, 12:36 PM IST

नई दिल्लीः2023 का जी-20 समिट निश्चिचत तौर पर भारत के लिए एक गौरवान्वित करने वाला मौका रहा और ये विश्व इतिहास में भारत को यादगार बनाने वाला रहेगा. जी-20 समिट को लेकर दिल्ली में जो सौंदर्यीकरण अभियान चलाया गया वो प्रशासन और सरकार की बड़ी उपलब्धि रही. वहीं, दूसरी तरफ दिल्ली में इस सौंदर्यीकरण अभियान और विकास परियोजनाओं के चलते 2.78 लाख लोग बेघर हो गए जो देश में सबसे अधिक है. एक प्राइवेट संस्था हाउसिंग एंड लैंड राइट्स नेटवर्क (एचएलआरएन) की वार्षिक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है.

रिपोर्ट के अनुसार अनुसार 2022 और 2023 के बीच दिल्ली में विभिन्न अधिकारियों द्वारा सौंदर्यीकरण अभियान और विकास परियोजनाओं के कारण लोगों को बेघर किया गया. दिल्ली की एक एनजीओ ने रिपोर्ट में कहा है कि 2022 और 2023 में राष्ट्रीय राजधानी में 78 बार निष्कासन हुए है. रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने 1 अप्रैल 2023 से दिल्ली में 49 विध्वंस अभियान चलाए, जिसमें 229.137 एकड़ क्षेत्र को खाली कराने का दावा किया गया था. कस्तूरबा नगर, तुगलकाबाद, प्रगति मैदान, यमुना बाढ़ के मैदान और धौला कुआं जैसे क्षेत्रों में सौंदर्यीकरण अभियान के कारण बड़ी संख्या में लोगों का विस्थापन हुआ. आठ सरकारी आश्रय स्थलों से भी लोगों को विस्थापित किया गया. जिन्हें सौंदर्यीकरण अभियान के तहत ध्वस्त कर दिया गया. दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) द्वारा सराय काले खां और यमुना पुश्ता के इलाकों में की गई कार्रवाई से करीब 1,280 लोग प्रभावित हुए हैं.

रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि बवाना गांव, दीनपुर गांव, गोकुलपुरी, कड़कड़डूम, मंगलापुरी, शाहदरा, ढासा नजफगढ़, प्रह्लादपुर, शिव विहार और मदनगीर में उनकी बस्तियां नष्ट होने के बाद लोहार समुदाय के सैकड़ों लोग बेघर हो गए. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि स्वतंत्र विशेषज्ञों का अनुमान है कि सन 1947 में भारत की आजादी के बाद से दिखावटी विकास परियोजनाओं ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के समुदायों को असंगत रूप से प्रभावित किया है. विस्थापित लोगों में से 40 प्रतिशत आदिवासी/स्वदेशी लोग हैं. जबकि 20 प्रतिशत दलित/अनुसूचित जातियों के लोग हैं. इनमें से सिर्फ एक-तिहाई को ही पुनर्वास प्राप्त हुआ है. दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेशों के बावजूद दिल्ली लोगों के पुनर्वास में विफल रही.

ये भी पढ़ें :दिल्ली में 'घर बचाओ भाजपा हटाओ अभियान' चलाएगी AAP, गोपाल राय बोले- गरीबों से नफरत करती है BJP

रिपोर्ट में किदवई नगर के 400 लोगों के मामले का हवाला दिया गया है जो मथुरा प्रसाद बनाम दक्षिण दिल्ली नगर निगम मामले में उच्च न्यायालय के निर्देशों के बावजूद 2017 से वैकल्पिक आवास की प्रतीक्षा कर रहे हैं.रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अधिकारी केंद्र और राज्य सरकार के बीच समन्वय की कमी और योजनाओं के अतिव्यापी कार्यान्वयन को इसका कारण बताते हैं. लेकिन दिल्ली में बेदखल किए गए परिवार वैकल्पिक आवास की प्रतीक्षा में अभाव और अस्त-व्यस्ता की स्थिति में रहने को मजबूर हैं. इस कड़ी में जून 2023 में प्रगति मैदान विध्वंस के मामले का भी उल्लेख किया गया है जब अधिकारी असमय सुबह 5 बजे ही लोगों के घरों को उजाड़ने पहुंच गए. जिससे वहां रह रहे लोगों को अपना सामान इकट्ठा करने और वैकल्पिक व्यवस्था करने का समय नहीं मिला था.

ये भी पढ़ें :विदेशी मेहमानों के स्वागत में दुल्हन की तरह सजी दिल्ली, तस्वीरों में देखें

ABOUT THE AUTHOR

...view details