जयपुर. "राइट यदि शिव है तो लेफ्ट शक्ति है. शिव और शक्ति दोनों साथ में काम नहीं करेंगे तो कभी वृद्धि नहीं होगी. वामपंथ और दक्षिण पंथ का विभाजन बेवकूफी है. राजा का एक ही काम है, सबको साथ लेकर चलना. इसलिए दक्षिण पंथ भी चाहिए, वामपंथी चाहिए." यह कहना है लेखक देवदत्त पटनायक का. हाल ही में अपनी किताब 'बाहुबली' को लेकर चर्चा में आए देवदत्त पटनायक शनिवार को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में पहुंचे, जहां उन्होंने जैनिज्म पर बेस अपनी किताब बाहुबली पर चर्चा की. साथ ही हिस्ट्री और माइथोलॉजी के डिफरेंस को भी समझाने की कोशिश की. इस दौरान उन्होंने एक सवाल के जवाब में भगवान राम को आत्मा के प्रतीक के रूप में बताया जो सबको साथ लेकर चलते हैं.
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में पहुंचे देवदत्त पटनायक ने कहा कि उन्हें जयपुर में आना बहुत अच्छा लगता है. यहां बहुत सारे फैन और ऑथर से भी रूबरू होते हैं. अच्छा लगता है कि इंस्टाग्राम पर जमाने में भी लोगों को पढ़ने का शौक है. इसे देखकर लगता है कि दुनिया सब ठीक है. बाहुबली नाम से अपनी किताब को लेकर पटनायक ने कहा कि बाहुबली का नाम आते ही फिल्म जहन में आती है, जिसमें एक हिंसक किरदार नजर आया था, लेकिन भारत में एक अहिंसक बाहुबली भी रहे हैं. उनकी ये किताब जैनिज्म पर है. जैन धर्म में जो विचार है, उन्हीं में से एक को चुनकर ये किताब लिखी गई है.
जैन धर्म का अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान : उन्होंने कहा कि भारत में जैन धर्म के लोग एक प्रतिशत से कम है, लेकिन उन्होंने सुना है कि जीडीपी में उनका कंट्रीब्यूशन 10 फीसदी है. जब भी जैनिज्म का नाम आता है, तो सिर्फ जैन पाव भाजी लोगों के दिमाग में आती है, लेकिन जैनिज्म इससे कहीं ज्यादा है. वहीं माइथॉलजी और हिस्ट्री में डिफरेंस बताते हुए उन्होंने कहा कि ये सनातन सत्य है कि हिस्ट्री भूतकाल होती है, लेकिन माइथॉलजी सनातन होता है, यानी यह हमेशा के लिए रहता है. विचारों के बारे में बात करता है. इन विचारों को प्रकट करने का माध्यम कहानी होती है.