ETV Bharat / state

इन राज्यों में मंडरा रहा भूजल संकट ! IITian विप्र गोयल ने निकाला ये समाधान - GROUNDWATER DEPLETION ISSUE

भारत में गहराते भूजल संकट से राजस्थान, पंजाब और हरियाणा सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. इस बीच आईआईटियन ने इस संकट का समाधान सुझाया है.

आईआईटियन विप्र गोयल की पहल
आईआईटियन विप्र गोयल की पहल (ETV Bharat Jaipur)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 26, 2025, 1:02 PM IST

जयपुर : संयुक्त राष्ट्र (UN) की वैश्विक आपदा जोखिम रिपोर्ट 2023 ने भारत को चेतावनी दी है कि देश भूजल की कमी के चरम बिंदु के करीब पहुंच चुका है. इस रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के 75% से अधिक ब्लॉक को भारत सरकार ने 'ओवर-एक्सप्लोइटेड' घोषित किया है, जहां भूजल दोहन 100% से अधिक है.

जल शक्ति मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, जहां भूजल दोहन दर पंजाब में 157 फीसदी है. वहीं, राजस्थान में यह करीब 150 प्रतिशत और हरियाणा में 136 प्रतिशत रिचार्ज के मुकाबले में हो रहा है. इस रिपोर्ट के मुताबिक अगर यह गिरावट जारी रही तो इन राज्यों का भविष्य रेगिस्तान बनने की ओर बढ़ सकता है. ऐसे में आईआईटियन और एक्सपर्ट की भूमिका में काम कर रहे विप्र गोयल का मानना है कि फार्म पौंड इस समस्या का समाधान कर सकते हैं.

भूजल संकट के समाधान में IITian विप्र गोयल की पहल (ETV Bharat Jaipur)

आईआईटियन ने बताया समाधान : आईआईटी खड़गपुर से पोस्ट-ग्रेजुएट विप्र गोयल ने भारत के ग्रामीण इलाकों के जल संकट को हल करने के लिए एक समाधान बताया है. इसके तहत हर किसान को अपने खेत की जमीन पर तैयार करना होगा और रबी और जैद की फसलों में इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा. आईआईटियन विप्र गोयल ने बताया कि उन्हें सबसे पहले दौसा जिले के छारेड़ा गांव के 300 खेतों में फार्म पौंड के प्रयोग में सफलता मिली. इस काम में उन्हें निजी और सरकारी संस्थाओं का सहयोग मिला.

पढ़ें. आजाद भारत में 'काले पानी' की सजा, कभी लाइफलाइन थी और अब विभीषिका बन गई ये नदी

उन्होंने बताया कि नवंबर-दिसंबर 2020 में राजस्थान राज्य के दौसा जिले की नांगल राजावतान पंचायत समिति की छारेड़ा ग्राम पंचायत का पूर्ण विकास प्लान तैयार किया था, जिसे भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय ने सम्पूर्ण देश के लिए एक आदर्श प्लान के रूप में स्वीकृत भी किया है. साथ ही, मंत्रालय में राष्ट्रीय विशेषज्ञ के पद पर चयनित भी रहे हैं. अब जयपुर जिले की कचेरेवाला ग्राम पंचायत में 500 फार्म पौंड बनाने की योजना है, जिनमें से 75 पौंड का निर्माण कार्य जारी है. इससे हर साल 10 करोड़ लीटर वर्षाजल संग्रहित होगा. उन्होंने बताया कि इस मॉडल को अपनाने के बाद खेती-बाड़ी और पशुपालन के प्रति किसानों का आत्मविश्वास बढ़ा है. किसानों को अब भूजल पर निर्भरता कम करने का विकल्प मिला है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.

भूजल गंभीरता की स्थिति
भूजल गंभीरता की स्थिति (ETV Bharat GFX)

भूजल संकट की गंभीरता : भारत में 70% सिंचाई भूजल पर निर्भर है. इसमें से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान, कुल भूजल दोहन का 25% हिस्सा उपयोग करते हैं. इन तीन राज्यों की 11.4 लाख करोड़ रुपए की जीडीपी भूजल पर आधारित है. राजस्थान में 3.5 लाख करोड़ रुपए की जीडीपी और 5 करोड़ लोगों की आजीविका भूजल पर निर्भर है. यदि इस संकट को नियंत्रित नहीं किया गया तो 8.4 करोड़ लोगों की रोजी-रोटी खतरे में पड़ सकती है.

पढ़ें. प्रदेश में 225 वर्ग मीटर या इससे अधिक भूखंडों में वर्षा जल पुनर्भरण संरचना प्रणाली होगी अनिवार्य

परमाणु मित्र के रूप में पहचानी जाने वाली डॉक्टर नीलम गोयल ने बताया कि 1970 के दशक में सऊदी अरब के पास दुनिया का सबसे बड़ा भूजल भंडार था. अत्यधिक दोहन के कारण 1990 के दशक में 80% भूजल खत्म हो गया. 2016 में सऊदी सरकार को गेहूं की फसल उत्पादन पूरी तरह रोकना पड़ा और अब यह देश खाद्यान्न आयात पर निर्भर है. इसी तरह ये भारत के लिए बड़ी समस्या बन सकती है.

इस तरह पौंड बनाकर पानी को संचित किया जाता है
इस तरह पौंड बनाकर पानी को संचित किया जाता है (ETV Bharat Jaipur)

बता दें कि विप्र गोयल IIT खड़गपुर से एक पोस्ट-ग्रेजुएट हैं. साल 2016-21 में आईआईटी खड़गपुर में अपनी शिक्षा प्राप्त करते हुए भारत के नीति आयोग (योजना आयोग), भारत के अंतरिक्ष, सेटेलाइट अनुसंधान केंद्र और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में प्रोजेक्ट भी किए हैं. साथ ही, गुजरात, राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल राज्यों के ग्रामीण इलाकों का दौरा किया है. शिक्षा के दौरान ही राजस्थान राज्य के साथ-साथ पूरे भारत के लिए पानी, बिजली, कृषि, मवेशी, कृषि उद्योग और रोजगार की समुचित व्यवस्था का एक रणनीतिक प्लान तैयार किया है. उन्होंने अमेरिका, ऑस्ट्रिया और ऑस्ट्रेलिया की कांफ्रेंस में अपना पेपर प्रजेंट किया है.

पढ़ें. राजस्थान में बिना एनओसी किया जल दोहन तो अब नप जाओगे, केवल इन्हें मिलेगी छूट

जयपुर : संयुक्त राष्ट्र (UN) की वैश्विक आपदा जोखिम रिपोर्ट 2023 ने भारत को चेतावनी दी है कि देश भूजल की कमी के चरम बिंदु के करीब पहुंच चुका है. इस रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के 75% से अधिक ब्लॉक को भारत सरकार ने 'ओवर-एक्सप्लोइटेड' घोषित किया है, जहां भूजल दोहन 100% से अधिक है.

जल शक्ति मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, जहां भूजल दोहन दर पंजाब में 157 फीसदी है. वहीं, राजस्थान में यह करीब 150 प्रतिशत और हरियाणा में 136 प्रतिशत रिचार्ज के मुकाबले में हो रहा है. इस रिपोर्ट के मुताबिक अगर यह गिरावट जारी रही तो इन राज्यों का भविष्य रेगिस्तान बनने की ओर बढ़ सकता है. ऐसे में आईआईटियन और एक्सपर्ट की भूमिका में काम कर रहे विप्र गोयल का मानना है कि फार्म पौंड इस समस्या का समाधान कर सकते हैं.

भूजल संकट के समाधान में IITian विप्र गोयल की पहल (ETV Bharat Jaipur)

आईआईटियन ने बताया समाधान : आईआईटी खड़गपुर से पोस्ट-ग्रेजुएट विप्र गोयल ने भारत के ग्रामीण इलाकों के जल संकट को हल करने के लिए एक समाधान बताया है. इसके तहत हर किसान को अपने खेत की जमीन पर तैयार करना होगा और रबी और जैद की फसलों में इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा. आईआईटियन विप्र गोयल ने बताया कि उन्हें सबसे पहले दौसा जिले के छारेड़ा गांव के 300 खेतों में फार्म पौंड के प्रयोग में सफलता मिली. इस काम में उन्हें निजी और सरकारी संस्थाओं का सहयोग मिला.

पढ़ें. आजाद भारत में 'काले पानी' की सजा, कभी लाइफलाइन थी और अब विभीषिका बन गई ये नदी

उन्होंने बताया कि नवंबर-दिसंबर 2020 में राजस्थान राज्य के दौसा जिले की नांगल राजावतान पंचायत समिति की छारेड़ा ग्राम पंचायत का पूर्ण विकास प्लान तैयार किया था, जिसे भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय ने सम्पूर्ण देश के लिए एक आदर्श प्लान के रूप में स्वीकृत भी किया है. साथ ही, मंत्रालय में राष्ट्रीय विशेषज्ञ के पद पर चयनित भी रहे हैं. अब जयपुर जिले की कचेरेवाला ग्राम पंचायत में 500 फार्म पौंड बनाने की योजना है, जिनमें से 75 पौंड का निर्माण कार्य जारी है. इससे हर साल 10 करोड़ लीटर वर्षाजल संग्रहित होगा. उन्होंने बताया कि इस मॉडल को अपनाने के बाद खेती-बाड़ी और पशुपालन के प्रति किसानों का आत्मविश्वास बढ़ा है. किसानों को अब भूजल पर निर्भरता कम करने का विकल्प मिला है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.

भूजल गंभीरता की स्थिति
भूजल गंभीरता की स्थिति (ETV Bharat GFX)

भूजल संकट की गंभीरता : भारत में 70% सिंचाई भूजल पर निर्भर है. इसमें से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान, कुल भूजल दोहन का 25% हिस्सा उपयोग करते हैं. इन तीन राज्यों की 11.4 लाख करोड़ रुपए की जीडीपी भूजल पर आधारित है. राजस्थान में 3.5 लाख करोड़ रुपए की जीडीपी और 5 करोड़ लोगों की आजीविका भूजल पर निर्भर है. यदि इस संकट को नियंत्रित नहीं किया गया तो 8.4 करोड़ लोगों की रोजी-रोटी खतरे में पड़ सकती है.

पढ़ें. प्रदेश में 225 वर्ग मीटर या इससे अधिक भूखंडों में वर्षा जल पुनर्भरण संरचना प्रणाली होगी अनिवार्य

परमाणु मित्र के रूप में पहचानी जाने वाली डॉक्टर नीलम गोयल ने बताया कि 1970 के दशक में सऊदी अरब के पास दुनिया का सबसे बड़ा भूजल भंडार था. अत्यधिक दोहन के कारण 1990 के दशक में 80% भूजल खत्म हो गया. 2016 में सऊदी सरकार को गेहूं की फसल उत्पादन पूरी तरह रोकना पड़ा और अब यह देश खाद्यान्न आयात पर निर्भर है. इसी तरह ये भारत के लिए बड़ी समस्या बन सकती है.

इस तरह पौंड बनाकर पानी को संचित किया जाता है
इस तरह पौंड बनाकर पानी को संचित किया जाता है (ETV Bharat Jaipur)

बता दें कि विप्र गोयल IIT खड़गपुर से एक पोस्ट-ग्रेजुएट हैं. साल 2016-21 में आईआईटी खड़गपुर में अपनी शिक्षा प्राप्त करते हुए भारत के नीति आयोग (योजना आयोग), भारत के अंतरिक्ष, सेटेलाइट अनुसंधान केंद्र और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में प्रोजेक्ट भी किए हैं. साथ ही, गुजरात, राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल राज्यों के ग्रामीण इलाकों का दौरा किया है. शिक्षा के दौरान ही राजस्थान राज्य के साथ-साथ पूरे भारत के लिए पानी, बिजली, कृषि, मवेशी, कृषि उद्योग और रोजगार की समुचित व्यवस्था का एक रणनीतिक प्लान तैयार किया है. उन्होंने अमेरिका, ऑस्ट्रिया और ऑस्ट्रेलिया की कांफ्रेंस में अपना पेपर प्रजेंट किया है.

पढ़ें. राजस्थान में बिना एनओसी किया जल दोहन तो अब नप जाओगे, केवल इन्हें मिलेगी छूट

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.