आगरा :देश और दुनियां में मोहब्बत की निशानी के तौर पर मशहूर ताजमहल ने गुरुवार को सतरंगी चादर लपेट ली. मौका था मुगल शहंशाह शाहजहां के 369 वें उर्स के आखिरी दिन का. सर्वधर्म सद्भाव की मिसाल पेश करते हुए 1560 मीटर लंबी हिंदुस्तानी सतरंगी चादर दक्षिण गेट से ताजमहल के अंदर लाई गई. ढोल-ताशे के साथ अकीदतमंद चादर और पंखे लेकर साथ चले. इस दौरान पर्यटक भी इस नजारे को कैमरे में कैद करते रहे. चादरपोशी के दौरान देश और दुनियां में अमन चैन की दुआ की गई.
शाहजहां के 369 वां उर्स की शुरुआत मंगलवार को गुस्ल की रस्म के साथ हुई थी. इस मौके पर ताजमहल के तहखाने में स्थित शाहजहां और मुमताज की असली कब्रें सैलानियों के लिए खोली गईं. उर्स के दूसरे दिन बुधवार को शाहजहां और मुमताज की कब्र पर संदल चढ़ाया गया. गुरुवार सुबह ताज में कुलशरीफ के बाद कुरानख्वानी और फिर फातिहा पढ़ाया गया. गुलपोशी के बाद चादरपोशी और पंखे चढ़ाने का सिलसिला शुरू हुआ.
मुगल बादशाह की कब्र पर चढ़ाई गई हिंदुस्तानी सतरंगी चादर
उर्स में तीसरे दिन आकर्षण का मुख्य केंद्र खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी की हिंदुस्तानी सतरंगी चादर रही. जिसकी लंबाई 1560 मीटर रही. हिंदुस्तानी सतरंगी चादर दक्षिण गेट स्थित हनुमान मंदिर से दोपहर करीब 2.45 बजे ताजमहल लाई गई. दक्षिण गेट से फोर्टकोर्ट, राॅयल गेट, सेंट्रल टैंक से होकर ताजमहल के मुख्य गुंबद में पहुंची. हिंदुस्तानी सतरंगी चादर का एक सिरा दक्षिणी गेट पर था तो दूसरा दूसरा सिरा ताजमहल में मुख्य मकबरे के तहखाना तक पहुंच गया. जिससे ऐसा लग रहा था कि ताज ने सतरंगी चादर ओढ़ ली है. पूरा परिसर सतंगरी नजर आ रहा था. इसे देशी-विदेशी सैलानी भी अचरज से देख रहे थे.