शिमला:लोकसभा चुनाव और विधानसभा उपचुनाव की वजह से जिला शिमला सहित शिमला शहर के ग्रामीण क्षेत्रों में आगामी दो दिन यात्रियों के लिए मुश्किलों भरे होंगे. वीरवार को एचआरटीसी की बसें पोलिंग पार्टियों को लेकर रवाना हो गई हैं. ऐसे में यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. शिमला शहर में तो प्राइवेट बसों के चलने के कारण ज्यादा दिक्कत नहीं हुई, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में रूटों पर कम बसें भेजी गई हैं.
कई जगह रूट क्लब किए गए हैं. जिन रूटों पर चार बसें भेजी जाती थी, वहां के लिए एक ही बस भेजी गई. ऐसे में 31 मई और एक जून को सिर्फ 50 फीसदी बसें ही जिला शिमला, शिमला अर्बन सहित ग्रामीण क्षेत्रों में चलाई जाएंगी. इन बसों के चलते से ग्रामीण सहित शहरवासियों को आने-जाने में परेशानी होने वाली है. हालांकि, एचआरटीसी प्रबंधन का कहना है कि बसों की कमी के चलते सभी रूटों में क्लबिंग करके रूट चलाए जाएंगे. एचआरटीसी के आरएम लोकल विनोद शर्मा ने अड्डा प्रभारियों को निर्देश दिए हैं कि वे तत्काल वैकल्पिक व्यवस्था करें. उन्होंने कहा हर रूट पर बस जाएगी, जहां तीन बसें जाती थी. वहां हर हाल में एक बस भेजी जाएगी, ताकि लोगों को दिक्कत न हो.
कहां से कितनी बसें भेजी गई:जिला शिमला के चौपाल-नेरवा से 30 बसें, कसुम्पटी से 20 बसें, शिमला लोकल से 14 बसें, शिमला ग्रामीण से 20 बसें, जुब्बल कोटखाई से 27 बसें, रामपुर से 30 बसें, रोहड़ू से 26 बसें और किन्नौर-रिकांग पिओ से 33 बसें चुनाव ड्यूटी में भेजी गई है. इसके अलावा एक टेंपो ट्रेवलर को भी ड्यूटी में भेजा गया है. कुल 201 बसें चुनाव ड्यूटी में रहेगी. सबसे ज्यादा बसें कांगड़ा जिले से चुनाव ड्यूटी में लगाई गई है. यहां से 280 बसों का चुनाव ड्यूटी में भेजा गया है.
ग्रामीण एरिया में आएगी लोगों को दिक्कत:शहरों में निजी बसों की भी काफी ज्यादा उपलब्धता हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर एचआरटीसी की बसें ही जाती हैं. जिला शिमला ग्रामीण, चंबा, किन्नौर, कुल्लू और अन्य जिलों के जनजातीय क्षेत्रों तक एचआरटीसी की बसें ही जाती हैं. ऐसे में अब बसों को चुनाव ड्यूटी में जाने से लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. कर्मचारियों को पोलिंग बूथों पर ले जाने और वापस लाने की पूरी जिम्मेवारी एचआरटीसी ड्राइवर कंडक्टरों की तय की गई है. खास बात ये है कि जब इलेक्शन ड्यूटी में बसें जाएगी तो वे अगले दिन ही अपने डिपो में पहुंच पाएगी, इसके बाद एक और दो जून को कर्मचारियों को पोलिंग बूथों से कर्मचारियों को वापस लाने के लिए फिर बसें जाएगी.
50 फीसदी बसें ही रूटों पर मिलेगी:हिमाचल में एचआरटीसी के बेड़े में 3500 बसें हैं. इनमें से 3000 के करीब बसें अभी वर्तमान में चल रही हैं, जबकि अन्य बसें खराब हैं. ऐसे में चुनाव ड्यूटी में होने के कारण महज 50 फीसदी बसें ही रूटों पर मिलेगी, यानी की 1408 बसें ड्यूटी पर रहेगी. गौर रहे कि हिमाचल से बाहर विभिन्न रूटों पर भी एचआरटीसी की बसें चलती हैं, जिसमें दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, हरिद्वार व चंडीगढ़ तमाम प्रदेशों के रूट हैं. इस तरह से एक साथ चुनावी ड्यूटी में बसों के जाने से यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
जीपीएस से लैस हैं बसें, पता लगेगा, किस रूट पर जा रही:एचआरटीसी की बसों में जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) लगाया गया है, ताकि बसों को ट्रैक कर यह पता लगाया जा सके कि वह किस रूट से होकर जा रही हैं. चुनाव आयोग की ओर से ये जीपीएस लगाया गया है. जीपीएस लगाने का मकसद चुनाव में पारदर्शिता बरतना है. इसमें बसों को उन्हीं रूटों से गुजरना होगा जो चुनाव आयोग ने तय कर रखे हैं.
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