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विश्व के 13 फीसदी अस्थमा रोगी भारत में , जागरूकता से ही बचाव संभव - World Asthma Day

अस्थमा रोग देश-दुनिया में भयावह होता जा रहा है. विशेषकर भारत में तो हालात चिंताजनक है. एक रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर अस्थमा से होने वाली 46 फीसदी मौतें भारत में हो रही है. इस रिपोर्ट में जानिए क्या है अस्थमा, क्या है इसके लक्षण और बचाव के उपाय...

ASTHMA DISEASE IN INDIA
SYMPTOMS AND TREATMENT OF ASTHMA (file Photo)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 7, 2024, 7:27 AM IST

अस्थमा रोग के लक्षण और बचाव (वीडियो : ईटीवी भारत)

जोधपुर. देश-दुनिया में अस्थमा के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. हालांकि भारत में पूरी दुनिया के 13 फीसदी अस्थमा रोगी हैं, लेकिन चिंता का विषय यह है कि देश जागरूकता के अभाव में अस्थमा रोगियों की मौतों के मामले में सबसे आगे है. वैश्विक स्तर पर अस्थमा से होने वाली 46 फीसदी मौतें भारत में हो रही हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह उपचार को लेकर जागरूकता का अभाव है, जिसके चलते खास तौर से अस्थमा मरीजों का चेस्ट फिजिशियन से नहीं जुड़ना भी एक वजह है. क्योंकि अस्थमा एक आनुवांशिक लाइलाज बीमारी है. ऐसे में इन मरीजों को उपचार के साथ-साथ डिसिप्लिनरी सजेशन बहुत जरूरी है, जो चेस्ट फिजिशियन (पाल्मोनोलोजिस्ट) अन्य से बेहतर कर सकते हैं. इस आनुवांशिक बीमारी के लिए बढ़ता प्रदूषण और धूम्रपान मरीजों की मौत का कारण बन रहा है. भारत में सबसे बड़ी वजह इसे ही माना जाता है.

आनुवांशिक बीमारी, इलाज लगातार जरूरी : डॉ. एस एन मेडिकल कॉलेज के केएन चेस्ट हॉस्पिटल के सीनियर चेस्ट फिजिशियन प्रो. डॉ. सीआर चौधरी का कहना है कि अस्थमा रोगी की श्वास नली में सूजन आ जाती है. इसे नियंत्रित करने के लिए खांसी दवाई या सामान्य उपचार कारगर नहीं होते है, जिसके कारण उनके लिए सांस लेना कठिन हो जाता है. ऐसे में गंभीर मरीज को इन्हेलर दिया जाता है, लेकिन लोगों में इनहेलर नहीं लेने की भ्रांतियां आज भी मौजूद है. जिसके चलते परेशानी बढ़ जाती है. इसके अलावा जिन्हें इन्हेलर दिया जाता है, वो लगातार डॉक्टर के संपर्क में रहे बगैर एक ही तरह के इन्हेलर का प्रयोग करते रहते हैं. जबकि यह दो प्रकार के होते है, जिन्हे अलग-अलग स्थिति में डॉक्टर के निर्देश पर उपयोग में लिया जाता है.

कहीं आपको भी तो नहीं है अस्थमा ? :डॉ. चौधरी के मुताबिक हर व्यक्ति में अस्थमा के अलग-अलग लक्षण हो सकते हैं. सामान्यत: एलर्जी से ही अस्थमा का पता चलता है, जिसकी शुरुआत धूल-पराग के कणों के संपर्क में आने से होती है. 80 फीसदी मामलों में यह बाल्य अवस्था में होता है, लेकिन उसे पहचान नहीं पाने से उपचार शुरू नहीं होता है. बड़े होने तक परेशानी बढ़ जाती है, जिसमें सांस लेने में कठिनाई, सीने में जकड़न या दर्द, सांस छोड़ते समय घरघराहट होना होता है. बच्चों में सांस लेने में तकलीफ के साथ खांसी या घरघराहट के कारण सोने में परेशानी होना लक्षण है. ऐसी स्थिति में अभिभावकों को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

अस्थमा (दमा) के कारण :

घर के पालतू पशु-पक्षियों से

घर की धूल से

वायु प्रदूषण से

धूम्रपान से

सीलन व फफूंद से

मौसम का बदलाव भी अस्थमा का प्रमुख कारण होता है

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अस्थमा के प्रमुख लक्षण :

बार-बार खांसी आना

सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज आना

सांस लेने में परेशानी होना

छाती के चारों ओर जकड़न महसूस होना

कमजोरी व बार बार पसीना आना

अस्थमा के प्रकार : एलर्जिक अस्थमा, नॉन एलर्जिक अस्थमा, नॉकटर्नल अस्थमा, गर्भावस्था का अस्थमा, व्यवसाय जनित अस्थमा.

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