बिहार

bihar

ETV Bharat / state

71 सालों में किया एक लाख क्वाइन का बड़ा संग्रह, सिक्कों का बनाया 'मिनी म्यूजियम' - Success Story - SUCCESS STORY

COIN LOVER SHILPI MAHENDRA: गया के शिल्पी महेंद्र सिक्कों के 'जादूगर' हैं. 10 वर्ष की उम्र से ही उन्होंने क्वाइन कलेक्शन करना शुरू किया. आज उनकी उम्र 81 साल की हो चुकी है, लेकिन सिक्का संग्रह का शौक उनका बढ़ती उम्र के साथ बढ़ता ही जा रहा है. आज इनके पर्सनल मिनी म्यूजियम में 1 लाख दुर्लभ सिक्के हैं जो कि सरकारी संग्रहालयों में भी देखने को नहीं मिलेंगे.

सिक्का प्रेमी शिल्पी महेंद्र
सिक्का प्रेमी शिल्पी महेंद्र (ETV Bharat GFX)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 11, 2024, 6:58 AM IST

Updated : Sep 11, 2024, 7:36 AM IST

शिल्पी महेंद्र के खास बातचीत (ETV Bharat)

गया : बिहार के गया जिले के शिल्पी महेन्द्र 71 साल से सिक्कों का संग्रह कर रहे हैं. उनके दुर्लभ संग्रह में विभिन्न काल के 1 लाख क्वाइन हैं. महज 10 साल की उम्र से ही अपने शौक को पूरा करना शुरू किया. तीन हजार पुराने सिक्कें हों, या किसी दूसरे देश के क्वाइन इनके कलेक्शन में सब कुछ शामिल है. लोग इन्हें सिक्कों का मिनी संग्रहालय भी कहते हैं. पढ़ें पूरी खबर

'क्वाइन किंग' के पास 1 लाख सिक्कों का संग्रह :गया के शिल्पी महेंद्र के पास एक लाख से अधिक क्वाइन का संग्रह है. अलग-अलग कालों और अलग-अलग देशों के यह क्वाइन हैं. जिस तरह से बूंद बूंद कर तालाब भर जाता है, ठीक उसी तरह से शिल्पी महेंद्र ने धीरे-धीरे कर क्वाईन का संग्रह किया है. या यूं कहें, कि म्यूजियम तैयार कर लिया है. 71 सालों के सिक्कों के साथ लंबे सफर के बावजूद इनका यह शौक तनिक भी कम नहीं हुआ है. आज भी यह क्वाईन की तलाश में अपना रोज के समय का एक बड़ा हिस्सा जरूर देते हैं. शिल्पी महेंद्र की नजरे क्वाइन को परखती और तलाशती रहती है.

सिक्का प्रेमी शिल्पी महेंद्र (ETV Bharat GFX)

10 साल की उम्र से क्वाइन कलेक्शन : गया जिले के नई सड़क स्वर्णकार गली के रहने वाले शिल्पी महेंद्र प्रसाद जब 10 साल के थे, तभी से उन्हें क्वाइन जमा करने का शौक लग गया था. दरअसल हुआ यह था, कि जब वे गया के सरकारी स्कूल जिला स्कूल में छठे क्लास में थे, तो उस समय क्वाइंस का एग्जीबिशन लगाया गया था. यह गया के केदारनाथ मार्केट में लगा था. 10 वर्ष की उम्र के रहे महेंद्र एग्जीबिशन देखने गए. इसके बाद उन्होंने भी क्वाइन जमा करना शुरू कर दिया.

इस घटना से जागा सिक्के जमा करने का शौक : कई वैल्यूबल क्वाइन जमा कर लिए और फिर म्यूजियम वाले को दे दिया, लेकिन उन्हें यह ध्यान नहीं रहा कि बदले में रिसिप्ट लेना है. कुछ दिनों के बाद वह गए तो उनकी क्वाइन या नाम दोनों गायब थे. इनके क्वाइन का कोई पता नहीं था. बस, यहीं से क्वाइन के साथ महेंद्र की जिंदगी का एक सफर शुरू हुआ.

सिक्का प्रेमी शिल्पी महेंद्र द्वारा जमा सिक्का (ETV Bharat)

नहीं मिला कद्रदान : महेंद्र के पास आज वह दुर्लभ सिक्के है, जो अच्छे-अच्छे म्यूजियम में भी नहीं मिलेंगे. इनकी आलमारी म्यूजियम से कम नहीं है, जिसमें दुर्लभ सिक्कों का संग्रह है. 10 वर्ष की उम्र से क्वाईन का संग्रह करने वाले शिल्पी महेंद्र का सिक्कों के साथ सफर अभी भी नहीं थमा है. आज शिल्पी महेंद्र 81 साल के हो चुके हैं, लेकिन उनकी पैनी नजर आज भी क्वाइन को तलाशती है. क्वाइन आम हो या खास, महेंद्र उसकी कद्र करना जानते हैं.

कई देश-काल के सिक्के मौजूद : शिल्पी महेंद्र के पास आज अमेरिका, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, बुद्धकाल, चंद्रगुप्त काल, मुगल काल, अंग्रेज अंग्रेजी हुकूमत का शासन, भारत में राजा रजवाड़े के शासन इनके काल के सिक्के महेंद्र के पास मौजूद है. जब राजा रजवाड़े तांबे को पीट कर क्वाइन चलाया करते थे, वह सिक्के भी उनके पास है.

सिक्का प्रेमी शिल्पी महेंद्र (ETV Bharat GFX)

3000 साल पुराने सिक्के भी मौजूद :इनके पास बुद्ध काल का सिक्का है. चंद्रगुप्त काल का कॉपर में रहा हाथी, पेड़, महाबोधि मंदिर वाला सिक्का भी मौजूद है. नेपाली शासन के पुराने सिक्के काफी संख्या में उनके पास मिल जाएंगे. इसके अलावा अमेरिका, बैंकॉक, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान समेत अन्य कई देशों के भी सिक्के इनके पास है. देश में जब अंग्रेजी हुकूमत चल रही थी, तो उस काल के भी इनके पास सिक्के हैं. 1835 से 2024 तक चलने वाला हर एक सिक्का उनके पास मौजूद हैं.

अकबर शासन में हिंदू-देवी देवताओं वाले सिक्के : शिल्पी महेंद्र का मानना है कि अकबर के शासन काल में सबसे ज्यादा हिंदू देवी देवताओं के सिक्के चले. वह अपना शासन चलाने के लिए हिंदू देवी देवताओं के सिक्के प्रचलन में लाते थे. मकसद था कि शासन को बनाए रखा जाए. यही वजह रही, कि अकबर हिंदू देवी देवताओं के सबसे ज्यादा सिक्के छापने वालों में से एक रहे.

सिक्का प्रेमी शिल्पी महेंद्र (ETV Bharat)

राजे-रजवाड़ों के सिक्के : इसके अलावे सिंधिया राजघराने, अलीजा बहादुर, महारानी विक्टोरिया, मोहम्मद शाह, मुगल पीरियड, प्रिंसली स्टेट के क्वाईन इनके पास है. देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का वह चांदी का क्वाईन भी इनके पास है, जिसमें एक तरफ उनकी तस्वीर है तो दूसरी तरफ भी उनकी तस्वीर है, जिसमें इन्हें घोड़े पर सवार दिखाया गया है.

अंग्रेजी हुकूमत के सिक्के : वहीं महारानी विक्टोरिया का पूरे विश्व में शासन चला और साम्राज्ञी हो गई, उनके हर तरह की क्वाइन शिल्पी महेंद्र के म्यूजियम में मौजूद है. तांबे, अल्युमिनियम को पीट कर जो सिक्के विभिन्न शासकों द्वारा बनाए जाते थे, उसकी भी संग्रह काफी है. शिल्पी महेंद्र के पास आठ आने का क्वाइन है. विलियम फोर्ड, विक्टोरिया क्वीन, विक्टोरिया इंप्रेस, एंडवर्ड 7, जॉर्ज 5, जॉर्ज 6 के जमाने के सिक्के हैं.

सिक्का प्रेमी शिल्पी महेंद्र द्वारा जमा सिक्का (ETV Bharat)

जॉर्ज-6 के शासन के भी सिक्के मौजूद : जॉर्ज सिक्स का शासन भारत में आखिरी अंग्रेजी शासक के रूप में था. उनके द्वारा चलाए गए चार आने के सिक्के भी मौजूद हैं. दो आना का सिक्का बहुत कम लोग देखते हैं. मोहम्मद शाह के जमाने में टका चलता था, वह भी उनके पास है.

क्वाइन पर कर रहे शोध : शिल्पी महेंद्र संग्रहित सिक्कों का नाम, संबंधित देश, वजन और उसकी वैल्यू जानते हैं. यही वजह है, कि इन्होंने हर सिक्कों के साथ उसका डिटेल्स लिखा है. शिल्पी महेंद्र क्वाइन पर शोध भी कर रहे हैं. इन्होंने दर्जनों किताबों को पढ़ा और इस पर शोध किया. अब क्वाइन पर इन्होंने कई किताबें लिख दी है. हालांकि, यह किताबें प्रकाशित नहीं हुई हैं.

सिक्का प्रेमी शिल्पी महेंद्र (ETV Bharat)

नोटों का भी करते हैं संग्रह : शिल्पी महेंद्र सिक्के ही नहीं, बल्कि नोटों का भी संग्रह करते हैं. उनके पास कई देशों के नोट हैं. वहीं, देश में चलने वाले अधिकांश नोट उनके संग्रह में है. क्वाइन संग्रह को ये बड़े ही सलीके से रखते हैं. क्वाइन को लेमिनेट कर प्लास्टिक कर सिक्के के बारे में पूरी जानकारी देते हैं. सिक्कों के साथ पूरी डिटेल लिखते हैं. उनका मानना है कि आने वाली हमारी पीढ़ी भी सिक्कों के संबंध में हमारे संग्रह से सीखें.

''बचपन में हमारे गार्जियन पैसा देते थे, तो उसमें से पैसे बचाकर जमा भी करते थे. धीरे-धीरे उन्हीं पैसों से सिक्कों की खरीददारी शुरू कर दी. बड़े हुए तो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी लगी. नौकरी की सेलरी का भी एक बड़ा हिस्सा क्वाइन संग्रह पर खर्च करते रहे और सिक्कों के संग्रह का दौर जारी रहा. अपने नौकरी के समय की अच्छी खासी कमाई सिक्कों के संग्रह में लगाए हैं.''- शिल्पी महेन्द्र, सिक्कों के संग्रहकर्ता

सिक्का प्रेमी शिल्पी महेंद्र (ETV Bharat GFX)

रह गई है कसक: शिल्पी महेंद्र ने सिक्कों का एक म्यूजियम तैयार कर दिया है, लेकिन इसे यह दुर्भाग्य बताते हैं, कि इसका कद्रदान कोई नहीं है. इतने बड़े पैमाने पर विविध कालीन के सिक्कों का संग्रह करने के बावजूद भी न तो आज तक कोई खरीददार आया और न ही कद्रदान, इसकी कसकउन्हें जरूर है.

''हमारे पास ऐसे दुर्लभ सिक्के हैं, जो अब नहीं मिलेंगे. देश में आजादी के बाद से जो यादगार सिक्के चलाए गए या फिर स्लोगन वाले सिक्के या विभिन्न विशेष तिथियां वाले सिक्के हुए, सब हमारे पास मौजूद है. देश का सबसे बड़ा सिक्का भी हमारे पास है.''- शिल्पी महेन्द्र, सिक्कों के संग्रह कर्ता

भिखारियों से खरीदे कई सिक्के : शिल्पी महेंद्र बताते हैं कि उनके पास जो सिक्कों का संग्रह है, उसका एक बड़ा माध्यम भीख मांगने वाले रहे हैं. उन्होंने भीख मांगने वालों से काफी सिक्के खरीदे. बोधगया और विष्णुपद दोनों अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्थली है. यहां देश और विदेश से लोग आते हैं. भीख मांगने वालों को विदेशी क्वाइन दे जाते हैं. वह भीख मांगने वालों से संपर्क कर रखे हैं और जैसे ही उन्हें विदेशी क्वाइन मिलता है, वे हमारे पास चले आते हैं और उन्हें एक उचित राशि क्वाइन के बदले दे दी जाती है.

सिक्का प्रेमी शिल्पी महेंद्र द्वारा जमा सिक्का (ETV Bharat)

''स्वर्णकार रहने के कारण बच्चों की दुकानों में भी सिक्के बेचने वाले आते हैं. दुर्लभ सिक्का हुआ तो वह उसे संग्रह कर लेते हैं. इसी प्रकार बूंद-बूंद कर क्वाइन का संग्रह किया और आज हमारे पास विभिन्न कालों के एक लाख से अधिक सिक्के मौजूद हैं.''- शिल्पी महेन्द्र, सिक्कों के संग्रह कर्ता

काष्ठ कला में भी प्रवीण :शिल्पी महेंद्र काष्ठ कला में भी महारत हासिल किए हुए हैं. सिक्कों के जादूगर महेंद्र काष्ठ कला में इतनी महारत है, कि किसी को एक बार देख लें, तो उसकी चित्र बना सकते हैं, जबकि काष्ठ कला में यह असंभव काम है. आमतौर पर कलाकार कास्ठ कला में देवी देवताओं, राजा-राजनेता के रूप को काष्ठ कला से बना सकते हैं, लेकिन किसी आम व्यक्ति के रूप को उतारना काफी कठिन है, लेकिन शिल्पी महेंद्र किसी भी सामान्य व्यक्ति को एक बार देखकर हूबहू चित्रण कर लेते हैं.

यह भी पढ़ेंः

Last Updated : Sep 11, 2024, 7:36 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details