इंग्लैंड के बैजबॉल क्रिकेट पर बोले भारतीय दिग्गज, कहा 'यहां आक्रामक तैवर नहीं आएंगे काम'
इंग्लैंड की टीम टेस्ट क्रिकेट को बैजबॉल अंदाज में खेलने के लिए जानी जाती है. भारतीय सरजमीं पर उनके उपर बैजबॉल क्रिकेट को लागू करने की चुनौती रहेगी. भारतीय गेंदबाज के आगे वो कितना सफल होते हैं इसको लेकर भारतीय दिग्गजों ने भविष्यवाणी की है.
नई दिल्ली: भारत और इंग्लैंड के बीच 25 जनवरी से 5 मैचों की टेस्ट सीरीज खेली जाने वाली है. इस सीरीज का पहला मैच हैदराबाद खेला जाएगा. इससे पहले भारत के पूर्व बाएं हाथ के तेज गेंदबाज जहीर खान ने कहा कि वो यह देखने के लिए उत्सुक हैं कि मेहमान टीम अपने आक्रामक तैवर पर कायम रहती है या नहीं. उनके इस खेल को 'बैज़बॉल' के नाम से जाना जाता है. भारत में वो अगर बैजबॉल क्रिकेट इंग्लैंड खेलते हैं तो उसके सामने अश्विन, जडेजा, अक्षर और कुलदीप की चुनौती रहने वाली है.
इंग्लैंड
बता दें कि 2012 में इंग्लैंड से 2-1 से हारने के बाद से भारत घरेलू मैदान पर लगातार 16 टेस्ट सीरीज में विजयी हुआ है. ज़हीर ने जियोसिनेमा से कहा, 'इन दिनों आप अक्सर पांच टेस्ट मैचों की सीरीज होते नहीं देखते हैं. 'बैज़बॉल' फोकस में रहेगा और हम देखेंगे कि क्या इंग्लैंड का नजरिया वैसा ही रहेगा. हम जिस तरह की पिचों पर खेलेंगे वह भी निश्चित रूप से चर्चा का एक अन्य मुद्दा होगी लेकिन दोनों टीमें अपने आप को साबित करने के लिए उत्सुक होंगी'.
भारत के पूर्व बाएं हाथ के स्पिनर, प्रज्ञान ओझा का मानना है कि बैज़बॉल नजरिया भारत में काम नहीं कर सकता क्योंकि भारतीय स्पिन लाइन-अप के खिलाफ इसे लागू करना कठिन है. उन्होंने कहा कि, 'बैज़बॉल में निडर क्रिकेट खेलना शामिल है और इंग्लैंड इस रणनीति का उपयोग करके मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल करने की कोशिश करता है. भारत में बैज़बॉल को लागू करना मुश्किल होगा क्योंकि भारतीय स्पिनरों और जसप्रीत बुमराह और अन्य तेज गेंदबाजों को खेलना आसान नहीं होगा'.
भारत के पूर्व विकेटकीपर-बल्लेबाज पार्थिव पटेल का मानना है कि भारत विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप तालिका में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए क्लीन स्वीप करेगा और स्पिनिंग परिस्थितियों के कारण इंग्लैंड का बैजबॉल नजरिया काम नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि, 'मुझे लगता है कि भारतीय टीम 5-0 का लक्ष्य रखेगी. मुझे लगता है कि डब्ल्यूटीसी स्टैंडिंग में शीर्ष पर पहुंचने के लिए उन्हें 4-0 से जीत की जरूरत है. पिछले चक्र पर नजर डालें तो भारत ने विदेशों में कई टेस्ट जीते हैं. मुझे नहीं लगता कि भारत को अपना नजरिया बदलने की जरूरत है'.