पटना के पूर्व खेल पत्रकार बद्री प्रसाद यादव (Etv Bharat) पटना:क्रिकेट को अंग्रेजों का खेल कहा जाता था और अंग्रेजियत क्रिकेट में रची बसी थी. क्रिकेट की कमेंट्री भी अंग्रेजी में ही हुआ करती थी, लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हुए जिन्होंने हिंदी कमेंट्री की शुरुआत की. बिहार की धरती से एक नाम बद्री प्रसाद यादव का है जिन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मैचों में कमेंट्री की और कई रिपोर्ट्स लिखे.
बद्री प्रसाद यादव ने खेल पत्रकारिता को दिया नया आयाम (Etv Bharat) बद्री प्रसाद यादव ने खेल पत्रकारिता को दिया नया आयाम: बद्री प्रसाद यादव राजधानी पटना के कदम कुआं इलाके में रहते हैं और वह 75 की उम्र पार कर चुके हैं. खास बात यह है कि बद्री प्रसाद यादव ऐसी शख्सियत थे जिन्होंने क्रिकेट और फुटबॉल दोनों में कमेंट्री की. 100 से अधिक क्रिकेट और फुटबॉल के मैच में बद्री प्रसाद यादव ने कमेंट्री की.
पूर्व खेल पत्रकार बद्री प्रसाद यादव (Etv Bharat) 'खेल के खोए सितारे' पुस्तक लिखी: बद्री प्रसाद यादव ने अपना पूरा जीवन खेल और खेल पत्रकारिता को समर्पित कर दिया. वहीं 'खेल के खोए सितारे 'पुस्तक बद्री प्रसाद यादव द्वारा रचित है. पुस्तक में यह चित्रित करने की कोशिश की गई है कि किस तरीके से खिलाड़ियों को जीवन में सफलता के लिए कुर्बानी देनी पड़ती है.
बद्री प्रसाद यादव को मिले कई पुरस्कार (Etv Bharat) "ईटीवी नेटवर्क से भी हमारा गहरा नाता रहा है. दस्ताने जुर्म कार्यक्रम के कई एपिसोड किए हैं. क्रिकेट में हिंदी कमेंट्री चुनौतीपूर्ण था और जब हमने शुरुआत की थी तब लोग कहते थे कि कैसे आप हिंदी में कमेंट्री करेंगे. शब्द कहां से लाएंगे? हिंदी कमेंट्री को हम लोगों ने ऊंचाई पर ले जाने का काम किया. जसदेव सिंह, रवि चतुर्वेदी और सुशील दोशी सरीखे कमेंटेटर आज नहीं दिखते."-बद्री प्रसाद यादव, पूर्व खेल पत्रकार
रेडियो की दुनिया में बद्री की आवाज की थी अपनी पहचान: रेडियो कमेंट्री और खेल पत्रकारिता के क्षेत्र में बद्री प्रसाद यादव की भूमिका को लोग आज भी याद करते हैं. बद्री प्रसाद यादव रेडियो की दुनिया का जाना माना नाम हैं. ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में बद्री प्रसाद यादव ने कहा कि सिकंदराबाद में खेला गया भारत-पाकिस्तान का मैच यादगार था. मैच टाई हो गया था लेकिन भारत में बेहतर प्रदर्शन किया था.
रेडियो की दुनिया में बद्री जाना पहचाना नाम (Etv Bharat) बद्री प्रसाद यादव का छलका दर्द: बद्री प्रसाद यादव कहते हैं कि अब कमेंट्री का स्वरूप बदल चुका है. पहले वाली बात नहीं रह गई है. पहले शब्दों के जरिए वास्तविक चित्र प्रस्तुत किए जाते थे लेकिन अब वह सब कुछ नहीं होता. बद्री प्रसाद यादव का दर्द भी छलका उन्होंने कहा कि पहले जो क्रिकेट खिलाड़ी नहीं हुआ करते थे वह भी कमेंट्री करते थे. लेकिन कमेंट्री पर क्रिकेट खिलाड़ियों ने कब्जा जमा लिया है. दूसरे को मौका नहीं मिलता है, यह अफसोस की बात है. जसदेव सिंह सरीखे कमेंटेटर अब सिर्फ इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं.
कौन- कौन से मैचों की कर चुके हैं कमेंट्री? : साल 1974 में आकाशवाणी केन्द्र पटना में उद्घोषक के रूप में बद्री प्रसाद यादव ने ज्वाइन किया था. वे राज्य के अंदर होने वाले खेल कार्यक्रमों के अलावा राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल और क्रिकेट मैचो में कमेंट्री की है. रणजी ट्रॉफी, दिलीप ट्रॉफी, विल्स ट्रॉफी, भारत बनाम श्रीलंका टेस्ट मैच (कटक), भारत बनाम पाकिस्तान वनडे (हैदराबाद), डबल विकेट इंटरनेशनल क्रिकेट टूर्नामेंट आदि की यादगार कमेंट्री कर चुके हैं. फुटबॉल में आईएफए शील्ड, संतोष ट्रॉफी, नेहरू गोल्ड कप आमंत्रण अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल टूर्नामेंट में कमेंट्री की है.
इन मैचों की कर चुके हैं कमेंट्री (Etv Bharat) चार साल तक बिहार टीम का प्रतिनिधित्व:उन्होंने इंटर वाराणसी के कॉलेज से की. वहां भी फुटबॉल खेलना जारी रखा. कॉलेज की पढ़ाई करने पटना आ गए. बीएन कॉलेज में स्पोर्ट्स कोटे पर एडमिशन हुआ. एक साल बीएन कॉलेज से खेले और अगले साल सायंस कॉलेज चले गए. राइट बैक पोजिशन पर खेलने वाले बद्री प्रसाद यादव एक साल बिहार के उप कप्तान रहे और चार साल तक बिहार टीम का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.
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