शहडोल।11 फरवरी रविवार का दिन है और यह दिन सुपर संडे होने जा रहा है. क्योंकि इस दिन अंडर-19 वर्ल्ड कप का फाइनल मुकाबला खेला जाएगा और यह मैच भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच होगा, जिस पर सब की नजर रहेगी. इस मुकाबले के लिए हर जगह विशेष तैयारी भी की जा रही है. विंध्य क्षेत्र में भी इस फाइनल मुकाबले को लेकर विशेष तैयारी की जा रही है, क्योंकि इस बार अंडर-19 वर्ल्ड कप के फाइनल मुकाबले में भारतीय टीम की ओर से विंध्य क्षेत्र के धुरंधर क्रिकेटर सौम्य पांडे भी खेलते नजर आयेंगे.
अब फाइनल की बारी, विंध्य में विशेष तैयारी
फाइनल मुकाबले को देखने के लिए जगह-जगह विशेष तैयारी की जा रही है. सीधी जिले में भी बड़े-बड़े स्क्रीन पर मैच को दिखाने की तैयारी की जा रही है. प्रोजेक्टर आदि लगाये जा रहे हैं, उनके खुद भरतपुर गांव में भी सरपंच गांव वालों को मैच दिखाने की विशेष तैयारी कर रहे हैं. वो लोग भी संडे को सुपर संडे बनाने के मूड में हैं. विन्ध्य क्षेत्र के सौम्य पांडे भी खेल रहे हैं और मौजूदा टूर्नामेंट में अब तक सौम्य पांडे ने बेहतरीन प्रदर्शन भी किया है. अपनी फिरकी गेंदबाजी से क्रिकेट के बड़े-बड़े दिग्गजों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है. हर किसी को एक्साइटमेंट है कि फाइनल मुकाबला कैसा रहता है. सौम्य पांडे किस तरह का प्रदर्शन करता है और क्या भारत अंडर-19 वर्ल्ड चैंपियन एक बार फिर से बन पाएगा.
एक साल की उम्र से क्रिकेट से ऐसा प्यार
सौम्य पांडे विन्ध्य क्षेत्र के सीधी जिले के भरतपुर गांव के रहने वाले हैं. सौम्य पांडे के माता-पिता एक शिक्षक हैं. सौम्य के पिता केके पांडे से ईटीवी भारत ने फोन पर जब बात की तो उन्होंने सौम्य के क्रिकेट प्रेम को लेकर कई अनसुने किस्से बताए. केके पांडे बताते हैं कि ''सौम्य जब महज एक साल का था तभी से वो प्लास्टिक की बॉल और बैट रखकर बिस्तर पर ही सोता था. धीरे-धीरे बोलना सीखा तो क्रिकेट के अलावा अगर किसी बात की चर्चा होती थी तो वो गुस्सा जाता था. क्रिकेट के प्रति उसका प्रेम इतना था कि उसके अलावा उसे कुछ भी अच्छा नहीं लगता था.''
गुरुजी ने कहा डॉक्टर बनोगे, तो रोने लगा सौम्य
एक किस्से का जिक्र करते हुए सौम्य पांडे के पिता केके पांडे बताते हैं ''एक बार वो अपने गुरु महाराज जी के यहां परिवार के साथ गए थे. तब सौम्य महज तीन से चार साल का ही था, इस बीच वहीं आश्रम में वो रुके हुए थे. महाराज के एक शिष्य वहां मिले तो उन्होंने अपने सौम्य से कहा कि महाराज जी के चरण छूकर आशीर्वाद ले लो. तो उन्होंने आशीर्वाद दिया कि ये इंजीनियर बनेगा, डॉक्टर बनेगा तो सौम्य रोने लगा और बोला मुझे कुछ नहीं बनना बस क्रिकेटर बनना है. इसके बाद गुरु महाराज जी उसे गोद में उठाकर शांत करते हैं और कहते हैं कि तुम क्रिकेटर ही बनोगे.'' इस किस्से का जिक्र करते हुए उसके पिताजी मुस्कुराने लगते हैं, और कहते हैं कि आज मेरा बेटा क्रिकेटर बन गया.
हमारी टीम चैंपियन बने ऐसा भगवान से मांगना
सौम्य के पिता केके पांडे बताते हैं कि ''जब वो वर्ल्ड कप खेलने के लिए जा रहा था तो अपनी मां से बोला कि जब कभी भगवान से कुछ मांगना पूजा करना तो मेरे लिए ना मांगना बल्कि ये मांगना की हमारी टीम चैंपियन बने. और फिर वह अपनी माँ का आशीर्वाद लेकर चला गया.''