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भारतीय हॉकी के दो पूर्व कप्तान चुनावी राजनीति में आजमा रहे अपनी किस्मत - lok sabha elections 2024

हॉकी इंडिया के वर्तमान अध्यक्ष और भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान दिलीप टिर्की संग पूर्व कप्तान प्रबोध टिर्की ओडिशा से चुनावी राजनीति में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर.

LOK SABHA ELECTIONS 2024
LOK SABHA ELECTIONS 2024

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 5, 2024, 5:09 PM IST

सुंदरगढ़ : भारतीय पुरुष हॉकी टीम के दो पूर्व कप्तान, दिलीप टिर्की और प्रबोध टिर्की, हॉकी मैदान से राजनीतिक युद्ध के मैदान में उतर गए हैं, और ओडिशा में आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मैदान में हैं.

दिलीप (47) और प्रबोध (40) दोनों ने अपने हॉकी करियर के बाद सक्रिय राजनीति को अपनाया है. एक-दूसरे से सीधे तौर पर प्रतिस्पर्धा न करने के बावजूद वे अलग-अलग पार्टियों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. हॉकी इंडिया के वर्तमान अध्यक्ष और भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान दिलीप टिर्की ने सुंदरगढ़ लोकसभा सीट के लिए बीजद से टिकट हासिल कर लिया है, जबकि प्रबोध सुंदरगढ़ जिले के ही तलसारा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.

dilip tirkey

पद्मश्री पुरस्कार विजेता दिलीप टिर्की सुंदरगढ़ लोकसभा सीट से पूर्व केंद्रीय आदिवासी मामलों के मंत्री और भाजपा के कद्दावर नेता जुएल ओराम के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. इससे पहले, बीजेडी ने उन्हें 22 मार्च 2012 से 2018 तक राज्यसभा के लिए नामांकित किया था. दिलीप ने भारत के लिए 412 अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच खेले थे. दिलीप ने 2014 के लोकसभा चुनाव में जुआल ओरम के खिलाफ चुनाव लड़ा और 18829 से अधिक वोटों से चुनावी लड़ाई हार गए. उन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा. यह चुनाव दो प्रमुख हस्तियों के बीच दोबारा मुकाबले के लिए मंच तैयार करता है.

prabodh tirkey

इस बीच, प्रबोध कांग्रेस के टिकट पर तलसारा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं. राजनीति में प्रवेश करने के उनके फैसले को उनके समर्थकों ने उत्साह के साथ स्वीकार किया है, जो मानते हैं कि उनके नेतृत्व गुण और समर्पण, जो उन्होंने हॉकी के मैदान पर प्रदर्शित किया था, राजनीतिक क्षेत्र में अच्छी तरह से काम करेगा. प्रबोध ने राजनीति में अपनी यात्रा के लिए एआईसीसी और अपने समर्थकों को धन्यवाद दिया.

राजनीति में प्रवेश करने के दिलीप और प्रबोध दोनों के फैसले खेल हस्तियों के चुनावी राजनीति में उतरने की बढ़ती दिलचस्पी को उजागर करते हैं. इस क्षेत्र में उनका प्रवेश न केवल लोगों की सेवा करने की उनकी इच्छा को दर्शाता है बल्कि राजनीति में एक नया दृष्टिकोण भी लाता है.

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