देहरादून: 38वें राष्ट्रीय खेलों में देश भर से आए खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. कई खिलाड़ियों ने बहुत कम उम्र में बड़े रिकॉर्ड तोड़कर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा तो कुछ खिलाड़ियों ने चुनौतियों से लड़कर खुद को मजबूत बनाया और नए आयाम कायम किए. ऐसे ही एक खिलाड़ी की बात हम कर रहे हैं. जिसका नाम है सावन बरवाल जो हिमाचल प्रदेश के रहने वाले हैं और उन्होंने एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं में 5 मीटर और 10 हजार मीटर प्रतिस्पर्धाओं में बैक टू बैक दो नेशनल रिकॉर्ड तोड़कर एक नया रिकॉर्ड बनाया है.
हिमाचल के सावन बरवाल ने बनाया नया रिकॉर्ड:बुधवार को हुए 38वें राष्ट्रीय खेलों की एथलेटिक्स प्रतियोगिता में हिमाचल के सावन बरवाल ने 5000 मीटर दौड़ को 13 मिनट 45 सेकंड और 93 माइक्रो सेकंड में पूरा कर गोल्ड मेडल तो जीता ही बल्कि राष्ट्रीय खेलों का नेशनल रिकॉर्ड भी तोड़ दिया.
हिमाचल के सावन बरवाल 5000 मीटर और 10000 मी दौड़ के एथलीट हैं, इससे पहले यह रिकॉर्ड सर्विसेज से जी लक्ष्मणन का था जिन्होंने इस रेस को 13:50.05 मिनट में पूरा किया था. वहीं सावन ने इस रेस को 13 मिनट 45 सेकंड और 93 माइक्रो सेकंड में पूरा किया और गोल्ड अपने नाम किया. इस रेस में दूसरे नंबर पर हरियाणा के गगन सिंह और तीसरे नंबर पर मध्य प्रदेश के सुनील रहे, जिन्होंने क्रमशः सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं.
दो गोल्ड और दो रिकॉर्ड सावन बरवाल के नाम (SOURCE: ETV BHARAT)
आर्थिक तंगी से जूझते हुए यहां तक पहुंचे सावन:नयारिकॉर्ड बनाने के बाद सावन बरवाल ने बताया कि राष्ट्रीय खेलों में रिकॉर्ड बनाना उनके लिए बेहद बड़ी उपलब्धि है. उन्होंने उत्तराखंड में हुए खेल आयोजन पर कहा कि उत्तराखंड में बेहद अच्छा इंतजाम खेलों के लिए किया गया है. खास तौर पर एथलेटिक ट्रैक जो नया बनाया गया है, उससे अच्छी परफॉर्मेंस में मदद मिली है. उन्होंने कहा कि इससे पहले 2023 में हुए एशियन गेम्स के ट्रायल्स उन्हें छोड़ने पड़े थे. इस दौरान बीच में उनकी चोट की वजह से उनके परफॉर्मेंस पर काफी बुरा असर पड़ा था लेकिन उसके बाद एक बार फिर उन्होंने रिकवर किया और आखिरकार कठिन परिश्रम की बदौलत वापस अपनी परफॉर्मेंस को बेहतर किया.
मंडी जिले से आते हैं बरवाल:हिमाचल के मंडी जिले से आने वाले 26 साल के सावन बरवाल ने बताया कि उनके पिता कुलदीप सिंह एक प्राइवेट जॉब करते हैं और उनकी माता सुभद्रा देवी एक हाउसवाइफ हैं. उन्होंने बताया कि उनके खेल के प्रति उनके परिवार का शुरुआत से ही सपोर्ट रहा है. हालांकि आर्थिक तंगी शुरुआत से लेकर अभी भी उनके लिए चुनौती बनी हुई है. उन्होंने कहा कि अपने खेल में बने रहने के लिए और अच्छे प्रदर्शन के लिए एक खिलाड़ी को आर्थिक रूप से मजबूत होना बेहद जरूरी होता है.
सावन बताते हैं कि आज भले ही वह भारतीय सेवा में कार्यरत हैं, लेकिन जब उन्होंने अपने खेल की शुरुआत की थी तो वह समय उनके लिए बेहद चुनौतियों भरा था. लेकिन धीरे-धीरे वह अपनी अच्छी परफॉर्मेंस देते आए. बावजूद इसके उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर अपनी परफॉर्मेंस को बेहतर बनाने के लिए ज्यादा मेहनत और फाइनेंशियल सपोर्ट की जरूरत पड़ती है.