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आसान नहीं होती क्रिकेटर्स की जिंदगी, रॉबिन उथप्पा ने बताई डिप्रेशन से संघर्ष की अपनी कहानी - Robin Uthappa About Depression

Robin Uthappa Video : पिछले कुछ दिनों में पूर्व क्रिकेटरों के डिप्रेशन से पीड़ित होने के संघर्ष फिर से सामने आए हैं. रॉबिन उथप्पा ने अपने यूट्यूब चैनल पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में अपने संघर्ष के बारे में बताया है. पढ़ें पूरी खबर...

Former Indian cricketer
रोबिन उथप्पा (Getty Image)

By ETV Bharat Sports Team

Published : Aug 20, 2024, 7:50 PM IST

नई दिल्ली :भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व बल्लेबाज रॉबिन उथप्पा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है. जिसमें रोबिन उथप्पा ने अपने क्लिनिकल डिप्रेशन से अपने संघर्ष के बारे में खुलकर बात की है. उथप्पा ने अपने यूटयूब चैनल पर विस्तार से बताया है कि डिप्रेशन ने उन्हें कैसे प्रभावित किया और डिप्रेशन के साथ आने वाले आत्महत्या के विचारों से वह कैसे निकलकर आए.

हाल ही में उथप्पा ने क्रिकेट जगत के कुछ प्रसिद्ध लोगों के रूप में ग्राहम थोरपे और डेविड जॉनसन का नाम लिया, जिनकी हाल ही में आत्महत्या से मृत्यु हो गई. इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर ग्राहम थोरपे की मृत्यु दो वर्षों से अवसाद और चिंता से जूझने के कारण हुई. इसके अलावा जून में, पूर्व भारतीय क्रिकेटर डेविड जॉनसन की अपने अपार्टमेंट की बालकनी से कूदने से मृत्यु हो गई पुलिस ने इसे आत्महत्या माना.

उथप्पा ने वीडियो में कहा, 'मैं व्यक्तिगत रूप से इससे गुजरा हूँ और मुझे पता है कि यह एक सुंदर यात्रा नहीं है. यह बहुत चुनौतीपूर्ण है, यह दुर्बल करने वाला है, यह थकाऊ है और यह भारी है. ऐसा ही लगता है, यह बोझिल लगता है. उन्होंने बताया कि, 'जब मैं क्लिनिकल डिप्रेशन से गुजर रहा था, तो मुझे अक्सर ऐसा लगता था कि मैं खुद पर बोझ हूं, अपने आस-पास के लोगों को तो भूल ही जाइए, मैं खुद पर बोझ महसूस करता था. बस जीवन को ऐसे तरीके से जी रहा था जो मेरी इच्छा से बहुत दूर था और मेरे पास कोई जवाब नहीं था.

उन्होंने कहा, मेरा दिल ग्राहम थोरपे और उनके परिवार के लिए दुखी है. मैं कल्पना नहीं कर सकता कि उन्होंने जो कुछ किया, उसे करने में सक्षम होने के लिए उन्हें क्या-क्या सहना पड़ा. मेरी प्रार्थनाएं उनके परिवार के लिए हैं, साथ ही भारत के डेविड जॉनसन के लिए भी, जिनकी परिस्थितियाँ भी ऐसी ही थीं.

उथप्पा ने डिप्रेशन से निपटने और उसे मैनेज करने के तरीकों पर भी चर्चा की. उन्होंने कहा, हर कदम जो आप उठाते हैं, ऐसा लगता है कि आप पर और बोझ डाला जा रहा है. आप बस स्थिर महसूस करते हैं. मैं कई हफ्तों, महीनों और सालों तक बिस्तर से बाहर नहीं निकलना चाहता था. मुझे याद है कि 2011 में मैं पूरे साल इतना शर्मिंदा रहा कि मैं एक इंसान के तौर पर जो बन गया था, मैं खुद को आईने में नहीं देख पाया.

हालांकि, उथप्पा ने अवसाद से पीड़ित लोगों के लिए एक सकारात्मक संदेश दिया है, क्योंकि उनका कहना है कि इससे बाहर निकलने का एक रास्ता है. यह तब भी खुद पर विश्वास रखने के बारे में है, जब आपको खुद पर भरोसा न हो, अगर इसका कोई मतलब है. यह खुद पर एक मौका लेने के बारे में है.

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