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भाई बहन के पवित्र रिश्ते का उत्सव है रक्षाबंधन, जानें शुभ मुहूर्त और रक्षा सूत्र का महत्व - Raksha Bandhan 2024 - RAKSHA BANDHAN 2024

SHUBH MUHURAT FOR RAKSHA BANDHAN: इस साल भाई-बहन के प्रेम का सबसे बड़ा त्योहार रक्षाबंधन अगस्त महीने में मनाया जाएगा. इस मौके पर रक्षा सूत्र का महत्व काफी बढ़ जाता है. बहने अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना करते हुए उन्हें रक्षा सूत्र बांधती हैं. यहां जानिए आखिर ये रक्षा सूत्र क्यों इतना महत्वपूर्ण हैं.

RAKSHA BANDHAN 2024
रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 4, 2024, 9:16 AM IST

पटना:रक्षाबंधन एक हिंदू त्यौहार है जो प्रतिवर्ष सावन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. रक्षाबंधन कब मनाया जाएगा इसको लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति है. कई लोग इस सोच में पड़े हुए हैं कि क्या रक्षाबंधन के दिन भद्रा का साया पड़ रहा है. ऐसे में जो लोग दुविधा में है कि राखी बांधने का शुभ मुहूर्त कब से कब तक है. भद्रा का साया काल कब है. उनकी परेशानी हम दूर करने जा रहे हैं.

क्या रक्षाबंधन पर रहेगा भद्रा का साया: इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. बदले में भाई अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन देते हैं और उन्हें उपहार देते हैं. आचार्य रामशंकर दूबे ने बताया कि 19 अगस्त को रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाएगा. उस दिन सावन महीने की आखिरी सोमवारी है. सावन माह की पूर्णिमा पर भद्रा का साया है लेकिन यह भद्रा का असर रक्षाबंधन पर नहीं पड़ेगा. रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 1:30 से लेकर देर शाम तक है.

19 अगस्त को भद्रा का समापन: हिंदू पंचांग के अनुसार भद्रा के समय में शुभ कार्य नहीं किया जाता है. 18 अगस्त को दोपहर 2:45 पर भद्रा की शुरुआत होगी और 19 अगस्त को 1:25 पर समापन होगा.रक्षाबंधन के दिन भद्रा का साया नहीं रहेगा, इसलिए पूरा दिन राखी बांधने के लिए शुभ रहेगा.इस दिन किसी भी समय राखी बांधने का कार्य किया जा सकता है. भद्रा का वाश स्वर्ग लोक या पाताल लोक अशुभ नहीं माना जाता है, इस बार भद्र का वास पाताल लोक में होगा. इसलिए धरती पर इसका असर नहीं पड़ेगा. हालांकि आचार्य रामशंकर दूबे ने यह स्पष्ट रूप से कहा कि 1:25 पर 19 अगस्त को भद्रा का जब समापन हो जाए तब रक्षाबंधन अगर मानते हैं तो यह बहुत ही शुभ रहेगा.

रक्षाबंधन का महत्त्व: रक्षाबंधन का त्योहार हिंदू संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. इस दिन का महत्व केवल भाई-बहन के रिश्ते तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में भाईचारे और एकता का प्रतीक भी है.यह त्योहार हमें रिश्तों की अहमियत और उनके प्रति हमारे कर्तव्यों की याद दिलाता है. आचार्य रामाशंकर दूबे ने बताया कि रक्षाबंधन के दिन रक्षा सूत्र बांधने का मंत्र विशेष महत्व रखता है. यह मंत्र भाई की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और उसकी रक्षा के लिए पढ़ा जाता है.

क्या है मंत्र का अर्थ: ॐ येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबल, तेन त्वामभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल. ॐ ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और अस्तित्व का प्रतीक है. येन बद्धो बलि राजा जिस मंत्र से महान बलि राजा बांधा गया था. दानवेन्द्रो महाबल जो दानवों का महान और शक्तिशाली राजा था. तेन त्वामभिबध्नामि उसी मंत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं. रक्षे मा चल मा चल हे रक्षा सूत्र, कभी भी अपने स्थान से मत हिलो, स्थिर रहो. इस मंत्र के उच्चारण से भाई की सुरक्षा और उनकी लंबी उम्र की कामना की जाती है.यह मंत्र रक्षा सूत्र को शक्ति और पवित्रता प्रदान करता है, जिससे यह और भी प्रभावी हो जाता है.

रक्षाबंधन की तैयारी: रक्षाबंधन की तैयारी में बहनें विशेष रूप से सजी-धजी राखियां खरीदती हैं या उन्हें खुद बनाती हैं. मिठाइयों और पकवानों का विशेष प्रबंध किया जाता है. भाई अपनी बहनों को उपहार देने के लिए तैयार होते हैं और इस दिन को यादगार बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के आयोजन किए जाते हैं. रक्षाबंधन के इस पवित्र पर्व पर, सभी भाई-बहनों को एक-दूसरे के प्रति अपने स्नेह और प्रेम को व्यक्त करने का अवसर मिलता है. यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि कैसे हम अपने परिवार और समाज में एकता और प्रेम बनाए रख सकते हैं.

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