हैदराबाद:पीपल का वृक्ष भारतीय संस्कृति में अत्यंत पवित्र और पूजनीय माना जाता है. ज्योतिषाचार्य आदित्य झा के अनुसार,यह न केवल एक वृक्ष है बल्कि इसे देवों का वास भी माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र में पीपल के वृक्ष का विशेष महत्व है, खासकर शनिवार के दिन. मान्यता है कि शनिवार को पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं.
भागवत गीता में पीपल का महत्व
भागवत गीता में भगवान कृष्ण ने स्वयं पीपल को अपना रूप बताया है. गीता के अनुसार, पीपल के वृक्ष पर भगवान कृष्ण अपने परम विष्णु रूप में विराजमान रहते हैं. यह वृक्ष शक्ति और दिव्यता का प्रतीक है.
पीपल में देवताओं का निवास
पीपल के पूरे वृक्ष पर विभिन्न देवताओं का वास माना जाता है. पीपल की जड़ में ब्रह्मा, मध्य भाग में विष्णु और अगले भाग में महेश का निवास होता है. इसके अतिरिक्त, वसु, रुद्र, वेद, यज्ञ, समुद्र, कामधेनु और कई अन्य देवी-देवताओं का वास भी पीपल के वृक्ष में माना जाता है.
पीपल के वृक्ष का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, पीपल के वृक्ष को ग्रहों की शांति के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना गया है.
- ग्रहों की शांति: यदि किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में ग्रह अपना शुभ प्रभाव नहीं दे रहे हों, तो पीपल का वृक्ष लगाने या उसमें जल चढ़ाने से ग्रहों की शांति होती है.
- राहु-केतु का प्रभाव: राहु और केतु के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए पीपल का वृक्ष लगाना लाभकारी होता है.
- शनि के कुप्रभाव से मुक्ति: कुंडली में शनि के कुप्रभाव, जैसे साढ़ेसाती या ढैय्या से पीड़ित व्यक्ति को पीपल के वृक्ष पर रोजाना जल चढ़ाना चाहिए. इससे शनि का नकारात्मक प्रभाव शांत होता है. शाम के समय पीपल के वृक्ष के पास दीया जलाने से भी शनि ग्रह की शांति होती है.
पीपल पर जल चढ़ाने की विधि:ज्योतिषाचार्य आदित्य झा के अनुसार,पीपल के वृक्ष को जल अर्पित करने की एक विशेष विधि है.
सामग्री: एक तांबे का लोटा लें. उसमें थोड़ा गुड़ और पानी मिलाकर मिश्रण तैयार करें.
दिशा: जल चढ़ाते समय आपका चेहरा पूर्व दिशा में होना उत्तम माना जाता है. यदि यह संभव न हो तो उत्तर दिशा की ओर मुख करके भी जल चढ़ा सकते हैं.
दिन: शनिवार के दिन जल चढ़ाना विशेष रूप से फलदायी होता है.
मंत्र: जब भी आप पीपल को जल दें, तो इस मंत्र का जाप करना चाहिए.