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पीपल के वृक्ष पर इन चीजों को चढ़ाने से दूर होगी शनि की साढ़ेसाती, हर काम में मिलेगी सफलता! - PEEPAL PUJA RULES

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पीपल के वृक्ष पर जल अर्पित करने से शनि दोष से मिलती है मुक्ति. आइए, जानते हैं इससे जुड़े विशेष नियम.

PEEPAL PUJA RULES
पीपल वृक्ष (Canva)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 7, 2025, 3:55 PM IST

Updated : Feb 7, 2025, 4:09 PM IST

हैदराबाद:पीपल का वृक्ष भारतीय संस्कृति में अत्यंत पवित्र और पूजनीय माना जाता है. ज्योतिषाचार्य आदित्य झा के अनुसार,यह न केवल एक वृक्ष है बल्कि इसे देवों का वास भी माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र में पीपल के वृक्ष का विशेष महत्व है, खासकर शनिवार के दिन. मान्यता है कि शनिवार को पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं.

भागवत गीता में पीपल का महत्व
भागवत गीता में भगवान कृष्ण ने स्वयं पीपल को अपना रूप बताया है. गीता के अनुसार, पीपल के वृक्ष पर भगवान कृष्ण अपने परम विष्णु रूप में विराजमान रहते हैं. यह वृक्ष शक्ति और दिव्यता का प्रतीक है.

पीपल में देवताओं का निवास
पीपल के पूरे वृक्ष पर विभिन्न देवताओं का वास माना जाता है. पीपल की जड़ में ब्रह्मा, मध्य भाग में विष्णु और अगले भाग में महेश का निवास होता है. इसके अतिरिक्त, वसु, रुद्र, वेद, यज्ञ, समुद्र, कामधेनु और कई अन्य देवी-देवताओं का वास भी पीपल के वृक्ष में माना जाता है.

पीपल के वृक्ष का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, पीपल के वृक्ष को ग्रहों की शांति के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना गया है.

  • ग्रहों की शांति: यदि किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में ग्रह अपना शुभ प्रभाव नहीं दे रहे हों, तो पीपल का वृक्ष लगाने या उसमें जल चढ़ाने से ग्रहों की शांति होती है.
  • राहु-केतु का प्रभाव: राहु और केतु के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए पीपल का वृक्ष लगाना लाभकारी होता है.
  • शनि के कुप्रभाव से मुक्ति: कुंडली में शनि के कुप्रभाव, जैसे साढ़ेसाती या ढैय्या से पीड़ित व्यक्ति को पीपल के वृक्ष पर रोजाना जल चढ़ाना चाहिए. इससे शनि का नकारात्मक प्रभाव शांत होता है. शाम के समय पीपल के वृक्ष के पास दीया जलाने से भी शनि ग्रह की शांति होती है.

पीपल पर जल चढ़ाने की विधि:ज्योतिषाचार्य आदित्य झा के अनुसार,पीपल के वृक्ष को जल अर्पित करने की एक विशेष विधि है.

पीपल की जड़ में ब्रह्मा, मध्य भाग में विष्णु और अगले भाग में महेश का निवास माना जाता है (Canva)

सामग्री: एक तांबे का लोटा लें. उसमें थोड़ा गुड़ और पानी मिलाकर मिश्रण तैयार करें.
दिशा: जल चढ़ाते समय आपका चेहरा पूर्व दिशा में होना उत्तम माना जाता है. यदि यह संभव न हो तो उत्तर दिशा की ओर मुख करके भी जल चढ़ा सकते हैं.
दिन: शनिवार के दिन जल चढ़ाना विशेष रूप से फलदायी होता है.
मंत्र: जब भी आप पीपल को जल दें, तो इस मंत्र का जाप करना चाहिए.

आयुः प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं सर्वसम्पदम्।
देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गतः ।।

(अर्थ: हे पूज्य पीपल वृक्ष, मुझे समृद्धि, धन-धान्य प्रदान करें, मैं आपकी शरण में आया हूं)

शनि मंत्र: कुंडली में शनि के प्रभाव को शांत करने के लिए पीपल में जल चढ़ाते समय शनि मंत्र का स्मरण करें.

ॐ शं शनयै नमः या ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः
पीपल पर शाम के समय दीया जलाने का महत्व:पीपल वृक्ष के नीचे शाम के समय सरसों के तेल का दीया जलाने से लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. संध्याकाल में सूर्यास्त के बाद सरसों का तेल डालकर दीया जलाना चाहिए.

पीपल वृक्ष की परिक्रमा का महत्व:नित्य पीपल की परिक्रमा करने से भी शुभ फल प्राप्त होता है. पीपल वृक्ष की विषम संख्या (odd numbers) में परिक्रमा करना विशेष शुभ रहता है. जैसे 1, 3, 5, 7, 9, 11 और यदि 108 परिक्रमा करते हैं तो यह बहुत ही ज्यादा शुभ माना जाता है. इससे नवग्रहों की शांति होती है और शनि के नकारात्मक प्रभाव से भी राहत मिलती है.

Disclaimer:यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. ETV BHARAT एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है.

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Last Updated : Feb 7, 2025, 4:09 PM IST

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