हैदराबाद: इस साल पितृपक्ष की शुरुआत मंगलवार यानी आज 17 सिंतबर 2024 से हो रही है और इसका समापन 2 अक्टूबर को होगा. हिंदू शास्त्र के मुताबिक इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है. केवल पितरों का श्राद्ध किया जाता है. ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया कि पितृपक्ष में तिथि के अनुसार ही पितरों के श्राद्ध करने की परंपरा है.
ज्योतिषाचार्य डॉ.उमाशंकर मिश्र ने बताया कि कुंडली के पितृ दोष को दूर करने के लिए यह सबसे उपयुक्त समय है. इन दिनों पितरों की कृपा पाने और उनको खुश करने के लिए तमाम उपाय भी किए जाते हैं. इसके साथ-साथ पितरों की पूजा करने का भी समय नियत है. अगर इस समय पितरों का पिंडदान, तर्पण किया जाए तो पूजा सफल होती है और उनका आर्शावाद भी प्राप्त होता है.
सबसे पहले ये जानते हैं कि पितृ दोष क्या होता है. जिन जातकों की कुंडली में पितृ दोष होता है उन लोगों को संतान सुख प्राप्त नहीं होता. अगर संतान हो भी गई तो जीवनभर परेशानी का सामना करना पड़ेगा. ऐसे जातकों को रोजगार में भी दिक्कतें आती हैं. हर काम में रुकावटें झेलनी पड़ती हैं. सुख-समृद्धि का अभाव होता है. घर में मांगलिक कार्य भी नहीं होते हैं.
ज्योतिषाचार्य ने जानकारी दी कि पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं. इससे उनकी आत्मा तृप्त होती है और आर्शीवाद देते हैं. ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है. उन्हें दान-दक्षिणा देकर पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है. आइये भादो पूर्णिमा के पहले श्राद्ध से लेकर आखिरी सर्वपितृ अमावस्या की तारीख के बारे में जानते हैं.