हैदराबाद: सनातन धर्म में एकादशी व्रत की का विशेष महत्व है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक माह में एकादशी का व्रत दो बार किया जाता है. पहला शुक्ल पक्ष की एकादशी एवं दूसरा कृष्ण पक्ष की एकादशी. चैत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी या फिर कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि Kamada ekadashi के दिन व्रत-उपवास करते हुए भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है एवं सांसारिक जीवन सुखपूर्वक बीतता है इसके पश्चात मृत्यु उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है.
कामदा एकादशी का पौराणिक महत्व : Kamada ekadashi के बारे में पद्म पुराण में कहा गया है कि इस दिन व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से जाने-अनजाने किए गए पाप, यहां तक की छोटे जीव-जंतुओं की हत्या से होने वाले पापों से भी मुक्ति मिलती है. Kamika ekadashi के दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए अन्यथा एकादशी व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त नहीं होता.
कामदा एकादशी पर ऐसे करें पूजा: सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा और उपवास का संकल्प लें, उसके पश्चात किसी नजदीकी मंदिर में जाकर भगवान विष्णु की पूजा-आराधना करें. मंदिर अथवा घर पर ही भगवान विष्णु के मंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय, विष्णु सहस्त्रनाम स्त्रोत का पाठ करें. भगवान को श्रद्धा अनुसार भोग अर्पित करें. भोग प्रसाद में केला और तुलसीदास अवश्य सम्मिलित करें. यह यह दोनों वस्तुएं भगवान श्री हरि विष्णु को अत्यंत प्रिय हैं. केला अर्पित करने से कुंडली में गुरु ग्रह के दोषों की शांति होती है एवं भाग्य का भी साथ मिलता है. भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा में तुलसी दल आवश्यक है इसके बिना भगवान को अर्पित किया गया कोई भी भोग प्रसाद अधूरा है.