पटनाः वैसे तो रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है लेकिन इस पर्व का पौराणिक और धार्मिक महत्त्व भी है. इसलिए ही रक्षाबंधन में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बेहद आवश्यक है. जिन बातों का ध्यान रखना जरूरी है उसमें सबसे महत्त्वपूर्ण है भद्राकाल, क्योंकि भद्राकाल में रक्षाबंधन शुभ नहीं माना गया है.
भद्राकाल में नहीं करें रक्षाबंधन: ज्योतिषशास्त्र के अनुसार भद्रकाल में रक्षाबंधन सर्वथा वर्जित है. माना जाता है कि भद्राकाल के दौरान रक्षाबंधन करना अशुभ हो सकता है. इसलिए रक्षाबंधन के पहले ये जान लेना बेहद ही आवश्यक है कि आज भद्राकाल कब है और भद्रकाल के दौरान रक्षाबंधन क्यों नहीं करना चाहिए.
आज 1 बजकर 25 मिनट तक है भद्रकाल: रक्षाबंधन का त्योहार सावन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है. पूर्णिमा शुरू हो चुकी है और रक्षाबंधन का त्योहार भी धूमधाम से मनाया जा रहा है, लेकिन काशी पंचाग के अनुसार आज दिन में 1 बजकर 25 मिनट तक भद्रा है. ऐसे में कई लोग कह रहे हैं कि आज दिन में 1 बजकर 25 मिनट के बाद ही रक्षाबंधन का मुहूर्त है, लेकिन ये बिल्कुल भी सच नहीं है.
मकर राशि की भद्रा में कर सकते हैं रक्षाबंधन: ये बात सच है कि आज दिन में 1 बजकर 25 मिनट तक भद्रा है, लेकिन ये भद्रा मकर राशि की है और मुहूर्त चिंतामणि के अनुसार अलग-अलग राशि की भद्रा का वास अलग-अलग जगहों पर होता है और भद्रा के वासस्थान के अनुसार ही उसका फल भी होता है.
पाताल में रहती है मकर राशि की भद्राः मुहूर्त चिंतामणि में वर्णित श्लोक के में ये बताया गया है कि किस राशि की भद्रा का वास किस जगह पर होता है. उसी श्लोक के अनुसार मकर राशि की भद्रा पाताल में रहती है और उसका शुभ-अशुभ फल भी पाताल लोक में ही मान्य होता है. ऐसे में आज मकर राशि की भद्रा है और इसका फल भी पाताल लोक में ही मान्य है.
"कुंभकर्कद्वये अब्जे (चंद्रे) मर्त्ये (मृत्युलोके निवसति).अजात् त्रये अलिगे (चंद्रे) स्वर्गे, स्त्रीधनुर्जूकनक्रे अधः (पाताले) भद्रा तिष्ठति (यत्र भद्रा तिष्ठति) तत्रैव तत्फलं (भवति).