हैदराबाद: पितृपक्ष 2024 चल रहे हैं. ये 16 दिन सभी लोग अपने पितरों को याद करते हैं. हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि हमारे पूर्वज इन दिनों हमें आशीर्वाद देने के लिए पृथ्वी पर आते हैं. कहा जाता है कि भूलकर भी हमें इनका अपमान नहीं करना चाहिए. वहीं, आश्विन कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी काफी महत्वपूर्ण होती है. इसे इंदिरा एकादशी कहते हैं.
लखनऊ के ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया कि इस बार इंदिरा एकादशी आज शनिवार 28 सितंबर 2024 को पड़ रही है. उन्होंने कहा कि इस दिन सुबह-सुबह सबसे पहले पूजा का संकल्प लेना चाहिए और अपने पूर्वजों को याद करना चाहिए. उन्होंने कहा कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष में पड़ने वाली इंदिरा एकादशी का व्रत सभी घरों में करना चाहिए. जो भी जातक इंदिरा एकादशी का व्रत रखता है और उस व्रत पुण्य को अपने पितरों को समर्पित कर देता है, तो इससे उसके पितरों को लाभ होता है. जो पित्र यमलोक में यमराज का दंड भोग रहे होते हैं, उनको इंदिरा एकादशी व्रत के प्रभाव से मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. ऐसा करने से आपके पितर नरक लोक के कष्ट से मुक्त हो जाते हैं और उनको श्रीहरि विष्णु के चरणों में स्थान मिलता है. इससे प्रसन्न होकर पितर सुख, समृद्धि, वंश वृद्धि, उन्नति आदि का हमें आशीष देते हैं .
आइये जानते हैं इंदिरा एकादशी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इंदिरा एकादशी 2024 का प्रारंभ शुक्रवार 27 सितंबर 2024 को शाम 4:22 मिनट पर हो चुका है और इसका समापन आज शनिवार 28 सितंबर शाम 4 बजकर 52 मिनट पर होगा. उन्होंने कहा कि व्रत का पारण रविवार 29 सितंबर 2024 को प्रातः 7:30 से 09:30 तक करना होगा.
बरतें सावधानी
डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया कि एकादशी का व्रत उदया तिथि से माना जाएगा. इसलिए व्रत शनिवार को ही रखा जाएगा.
- उन्होंने कहा कि इस दौरान शुकवार शाम और शनिवार व्रत के दिन खाने में चावल या चावल से बनी चीजों का बिल्कुल भी प्रयोग नहां करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इंदिरा एकादशी व्रत करने से जाने-अनजाने में पितरों से कोई पाप हुआ हो तो इस व्रत को करने से उन्हें नर्क में सजा नहीं भुगतनी पड़ती है. बल्कि पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
- इस दिन सुबह-सुबह स्नान कर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए हाथ में जल, पुष्प व दक्षिणा लेकर व्रत का संकल्प करें. पितृ कार्यों का समय दोपहर का होता है इसीलिए दोपहर को पितरों की प्रसन्नता के लिए श्राद्ध करें.
- कई बार पितरों का उद्धार न हो पाने के कारण घर में पितृदोष लग जाता है. इसके कारण हर काम में अड़चनें आती हैं. ऐसे लोगों के लिए ये व्रत किसी वरदान से कम नहीं है. विधि विधान से यदि परिवारजन ये व्रत रखें तो पितरों का जरूर उद्धार होता है.