नई दिल्ली: एक ओर जहां भारत बांग्लादेश में जारी राजनीतिक उथल-पुथल से निपटने की कोशिश कर रहा है. वहीं, दूसरी ओर नई दिल्ली का ध्यान इस महीने गृहयुद्ध से त्रस्त पूर्वी पड़ोसी म्यांमार में होने वाले ताजा घटनाक्रमों की ओर भी आकर्षित हुआ है. यहां म्यांमार के सत्तारूढ़ सैन्य जुंटा को इस महीने की शुरुआत में उस समय रसिस्टेंट के हाथों ऐतिहासिक हार का सामना करना पड़ा, जब थ्री ब्रदरहुड अलायंस की म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी (MNDAA) ने 3 अगस्त को चीन की सीमा से लगे उत्तरी शान राज्य में तातमाडॉ या म्यांमार सेना के पूर्वोत्तर कमान मुख्यालय पर कब्जा कर लिया.
पिछले साल अक्टूबर में थ्री ब्रदरहुड अलायंस ने सैन्य जुंटा के खिलाफ ऑपरेशन 1027 शुरू करने के बाद से पहली बार किसी सैन्य कमान को नुकसान पहुंचाया. बता दें कि थ्री ब्रदरहुड अलायंस में MNDAA, तांग नेशनल लिबरेशन आर्मी (TNLA) और अराकान आर्मी (AA) शामिल है. ऑपरेशन 1027 के तहत ज्वाइंट फोर्स ने उत्तरी शान राज्य के कई शहरों में एक साथ हमले किए, जिसमें म्यांमार सेना, म्यांमार पुलिस बल और सैन्य समर्थक मिलिशिया प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया.
चीन विरोधी भावनाओं को बढ़ावा
रिपोर्ट्स के अनुसार, शान राज्य के लैशियो में कमान खोने के बाद जुंटा ने देश में राष्ट्रवादी बयानबाजी और चीन विरोधी भावनाओं को बढ़ावा दिया है. चीन का नाम लिए बिना जुंटा नेता जनरल मिन आंग ह्लाइंग ने 5 अगस्त को एक टेलीविजन संबोधन में कहा कि उनके देश में संघर्ष को सशस्त्र प्रतिरोध समूहों का समर्थन करने वाले विदेशी देशों द्वारा बढ़ाया जा रहा है.
इरावदी न्यूज पोर्टल के अनुसार अगले दिन सैन्य समर्थकों ने यंगून और नेपीताव में ब्रदरहुड एलायंस के खिलाफ रैलियां आयोजित कीं. जुंटा के आशीर्वाद से शुक्रवार और शनिवार को नेपीताव और करेन राज्य के ह्पा-आन में और रैलियां हुईं.
इरावदी की रिपोर्ट में कहा गया है, "चीन का नाम लिए बिना मिन आंग ह्लाइंग ने दावा किया कि चीन-म्यांमार सीमा पर जातीय सशस्त्र संगठनों द्वारा नियंत्रित क्षेत्र में निर्मित आयुध कारखाने पीपुल्स डिफेंस फोर्स (PDF) समूहों को हथियार बेच रहे थे." जुंटा बॉस ने आरोप लगाया कि पीडीएफ समूहों से जब्त किए गए हथियारों के कारखानों को ट्रैक किया गया था. उन्होंने दावा किया कि कुछ बाहरी देश सशस्त्र समूहों को वित्त पोषित कर रहे थे और उन्हें भोजन, दवाइयां, हथियार, तकनीक और प्रशासनिक सहायता प्रदान कर रहे थे.
चीनी झंडे फहराने का आरोप
रिपोर्ट में आगे सेना समर्थक मीडिया आउटलेट एनपी न्यूज का हवाला देते हुए आरोप लगाया गया है कि उत्तरी शान राज्य के उन शहरों में, जिन पर उन्होंने कब्जा कर लिया था, वहां ब्रदरहुड अलायंस के सैनिक न केवल अपने झंडे फहरा रहे थे, बल्कि उनके पास सितारों वाले अन्य लाल झंडे भी थे - जिसका मतलब है चीनी झंडा. जुंटा बॉस ने कहा, "मैं म्यांमार में जन्मे चीनी लोगों से पूछना चाहता हूं कि अगर चीन उत्तरी म्यांमार में लड़ाई में शामिल हुआ, तो आप क्या करेंगे. अगर यह एक प्रॉक्सी वॉर है और अगर सभी म्यांमार नागरिक अप्रत्यक्ष आक्रमण का सामना कर रहे हैं, तो मैं अपनी ओर से सभी म्यांमार के लोगों की जागरूकता बढ़ाऊंगा."
इसके बाद 6 अगस्त को म्यांमार में चीनी दूतावास ने अपने सभी नागरिकों से शान राज्य के संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों से बाहर निकलने का आग्रह किया. इन सभी घटनाक्रमों के बीच बीजिंग ने मंगलवार को चीनी विदेश मंत्री वांग यी की म्यांमार यात्रा की घोषणा की. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, "सीपीसी केंद्रीय समिति के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य और विदेश मंत्री वांग यी म्यांमार का दौरा करेंगे और 14 से 17 अगस्त तक नौवीं लंकांग-मेकांग सहयोग विदेश मंत्रियों की बैठक की सह-अध्यक्षता करने और चीन, लाओ पीडीआर, म्यांमार और थाईलैंड के विदेश मंत्रियों के बीच अनौपचारिक चर्चा में भाग लेने के लिए थाईलैंड की यात्रा करेंगे."
भारत के म्यांमार में महत्वपूर्ण हित
हालांकि, चीन सैन्य जुंटा का एक प्रमुख सहयोगी और हथियार सप्लायर है, लेकिन यह कथित तौर पर रसिस्टेंट फोर्स के साथ भी संपर्क बनाए रखता है. द इरावाडी रिपोर्ट के अनुसार 7 अगस्त को म्यांमार में चीनी विशेष दूत डेंग जिजुन ने नेपीता में मिन आंग ह्लाइंग से मुलाकात की, जिसमें जुंटा मीडिया ने म्यांमार में आंतरिक शांति और सीमा स्थिरता के रूप में वर्णित मुद्दों पर बातचीत की. ये सभी घटनाक्रम नई दिल्ली के लिए चिंता का विषय होंगे क्योंकि भारत के म्यांमार में महत्वपूर्ण हित हैं. एक पड़ोसी देश के रूप में जिसके साथ भारत 1,643 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है, म्यांमार नई दिल्ली की एक्ट ईस्ट पॉलिसी और पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने के उसके प्रयासों में एक प्रमुख प्लेयर है.
म्यांमार दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच पुल के रूप में रणनीतिक रूप से स्थित है. भारत की एक्ट ईस्ट नीति का उद्देश्य दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ संपर्क और आर्थिक एकीकरण को बढ़ाना है, और इस संबंध में म्यांमार महत्वपूर्ण है. यह देश दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) क्षेत्र के लिए भारत के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है.
बीजिंग के साथ जुंटा का मौजूदा असंतोष नई दिल्ली का ध्यान आकर्षित करेगा क्योंकि चीन का म्यांमार में मजबूत प्रभाव है, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पसंदीदा बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के तहत महत्वपूर्ण निवेश और बुनियादी ढांचा परियोजनाएं हैं. भारत के लिए, म्यांमार के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखना अपने पड़ोस में चीन की बढ़ती उपस्थिति का मुकाबला करने और यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि म्यांमार चीन पर अत्यधिक निर्भर न हो जाए.
भारत म्यांमार के साथ संपर्क सुधारने के उद्देश्य से बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में सक्रिय रूप से शामिल रहा है. कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट (KMTTP) एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य म्यांमार के माध्यम से भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को बंगाल की खाड़ी से जोड़ना है. इससे व्यापार और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा मिलेगा. एक अन्य महत्वपूर्ण परियोजना भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग है, जिसका उद्देश्य म्यांमार के माध्यम से भारत को थाईलैंड से जोड़ना है, जिससे व्यापार और लोगों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा.
भारत एक ओर कूटनीतिक रूप से जुंटा नेताओं के साथ बातचीत कर रहा है, लेकिन नई दिल्ली म्यांमार में अपने हितों की रक्षा के लिए अराकान आर्मी जैसे प्रतिरोध समूहों के साथ भी काम कर रहा है. इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए ताजा घटनाक्रम के मद्देनजर वांग यी की म्यांमार यात्रा नई दिल्ली के लिए विशेष रुचि की होगी.
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