नई दिल्ली : पिछले साल अक्टूबर महीने में जब से इजराइल और हमास के बीच युद्ध की शुरुआत हुई है, पहली बार एक ड्रोन हमले में तीन अमेरिकी सैनिकों की मौत हुई है. यह हमला सीरिया और उत्तर पूर्व जॉर्डन की सीमा पर किया गया. रिपोर्ट के अनुसार इस हमले में दो दर्जन से अधिक अन्य सैनिक भी घायल हुए हैं. अमेरिकी अधिकारियों ने इस हमले की पुष्टि की है.
अमेरिकी सेंट्रल कमांड द्वारा जारी प्रेस रिलीज में बताया गया है कि हमला अमेरिकी सैन्य बेस पर किया गया था और इसमें अनमैंड एरियल सिस्टम का प्रयोग किया गया था. शुरुआती तौर पर इस हमले के लिए इरान समर्थित इस्लामिक रेजिस्टेंस ऑफ इराक (इराक बेस्ड संगठन आईआरआई) को जिम्मेदार ठहराया गया है. हालांकि, इस संगठन ने अपनी भूमिका से इनकार किया है.
इस हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बदला लेने की बात कही है. उन्होंने कहा, 'हम इसका जवाब देंगे.' उन्होंने आगे कहा कि हम अपने चुने गए समय पर जिम्मेदार लोगों को अपने तरीके से जवाब देंगे.
कौन है आईआरआई- आईआरआई एक शिया इस्लामिक आतंकी समूह है. इसका बेस इराक में है. यह इरान समर्थित संगठन माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इरान द्वारा समर्थित कई संगठनों का यह प्रतिनिधित्व करता है. इसके तहत कताइब हिजबुल्लाह, हरकत हिजबुल्लाह अल-नुजाबा, असैब अहल अल-हक और कताइब सैय्यद अल-शुहादा जैसे संगठन शामिल हैं.
कताइब हिजबुल्लाह (बटालियन ऑफ द पार्टी ऑफ गॉड) एक कट्टरपंथी इराकी शिया अर्धसैनिक समूह है, जो कभी पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्सेज (पीएमएफ) का हिस्सा हुआ करता था. पीएमएफ एक इराकी राज्य-प्रायोजित अंब्रेला संगठन है, जिसके अंदर लगभग 67 अलग-अलग सशस्त्र गुट शामिल हैं. इन्होंने आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) के खिलाफ लड़ाई लड़ी है.
2003-11 के बीच इराक युद्ध के दौरान इस संगठन ने अमेरिकी सेना के खिलाफ मोर्चा संभाला था. इसके बाद 2013 और 2017 के बीच इसने आतंकी संगठन आईएस का मुकाबला किया. इस संगठन का नेतृत्व अबु महदी अल मुहंदी के पास था. 2020 में अमेरिकी ड्रोन हमले में उसकी मृत्यु हो गई. उसके बाद इसका नेतृत्व अब्दुल अजीज अल मुहम्मादवी (अबु फडक) के पास चला गया. तब से यह संगठन इराक में इरान समर्थित सरकार बनाने को लेकर प्रयासरत रहा है. वह इराक से अमेरिकी सेनाओं की विदाई चाहता है. इस पूरे क्षेत्र में वह ईरान के क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय हितों का प्रसार चाहता है.
इसी तरह से हरकत हिजबुल्लाह अल-नुजबा( मूवमेंट ऑफ द पार्टी ऑफ गॉड्स नोब्लस) एक कट्टरपंथी इराकी शिया अर्धसैनिक समूह है जो विशेष रूप से सीरिया और इराक में सक्रिय है. इसकी स्थापाना 2013 में अकरम अल काबी द्वारा की गई थी. उनका मकसद सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद का समर्थन करना था. इसे ईरान के इस्लामिक रेवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स का समर्थन रहा है. वहीं से इसे पैसे, हथियार और ट्रेनिंग मिलती है. यह इराक के पीएमएफ का 2020 तक हिस्सा हुआ करता था. 2020 में इसने आईआरआई को ज्वाइन कर लिया. द नुजाबा मूवमेंट ईरान की विचारधारा को स्वीकार करता है और यह उनके सुप्रीम लीडर अली खुमैनी के नेतृत्व को भी पूरी से स्वीकार करता है.
असैब अहल अल-हक (धर्मी लीग), जिसे खज़ाली नेटवर्क के नाम से भी जाना जाता है, एक कट्टरपंथी इराकी शिया राजनीतिक दल और अर्द्धसैनिक संगठन है. यह इराकी विद्रोह और सीरियाई गृहयुद्ध में शामिल है. इराक युद्ध के दौरान इसे ईराक का सबसे बड़ा स्पेशल ग्रुप माना जाता था. ईरान समर्थित शिया अर्द्धसैनिक बलों के लिए अमेरिकी नाम- स्पेशल ग्रुप- है. यह 2016-20 तक पीएमएफ का भागीदार था. आईएस के खिलाफ लड़ता रहा. इसकी भी फंडिंग ईरान द्वारा की जाती है. इसे हिजबुल्लाह का भी समर्थन है. हिज्बुल्लाह भी ईरान द्वारा ही समर्थित संगठन है. यह लेबनान में अधिक प्रभावकारी है. 2018 में इसे इराकी सुरक्षा दस्ते का हिस्सा बना दिया गया और तब से इसे इराकी सरकार द्वारा सैलरी दी जाती है. बृहत्तर तौर पर यह पीएमएफ का ही घटक है.