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बांग्लादेश में इस्कॉन के प्रमुख सदस्य चिन्मय कृष्ण दास आखिर क्यों हुए गिरफ्तार, क्या हैं उन पर आरोप ?

ISCKON Monks Arrest: बांग्लादेश में इस्कॉन संत की गिरफ्तारी से एक बार फिर नई दिल्ली और ढाका के बीच तनाव बढ़ गया है.

चिन्मय दास
चिन्मय दास (ANI)

By Aroonim Bhuyan

Published : Nov 26, 2024, 10:22 PM IST

नई दिल्ली: बांग्लादेश में इस्कॉन संत की गिरफ्तारी पर नई दिल्ली ने कड़ी आपत्ति जताई है. यह गिरफ्तारी भारत के पूर्वी पड़ोसी देश की नई अंतरिम सरकार के तहत अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं के उत्पीड़न का एक और उदाहरण है. विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को चटगांव में इस्कॉन मंदिर पुंडरीक धाम के प्रमुख और बांग्लादेश सम्मिलित सनातन जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास की सोमवार दोपहर ढाका अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तारी पर गहरी चिंता व्यक्त की.

मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, "हमने श्री चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ़्तारी और जमानत न दिए जाने पर गहरी चिंता व्यक्त की है, जो बांग्लादेश सम्मिलित सनातन जागरण जोत के प्रवक्ता भी हैं. यह घटना बांग्लादेश में चरमपंथी तत्वों द्वारा हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर किए गए कई हमलों के बाद हुई है. अल्पसंख्यकों के घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में आगजनी और लूटपाट के साथ-साथ चोरी और तोड़फोड़ और देवताओं और मंदिरों को अपवित्र करने के कई मामले दर्ज हैं."

मंत्रालय ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि इन घटनाओं के अपराधी अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं, जबकि शांतिपूर्ण सभाओं के माध्यम से वैध मांगें प्रस्तुत करने वाले एक धार्मिक नेता के खिलाफ आरोप लगाए जा रहे हैं. मंत्रालय ने आगे कहा, "हम श्री दास की गिरफ्तारी के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे अल्पसंख्यकों पर हमलों को भी चिंता के साथ देखते हैं. हम बांग्लादेश के अधिकारियों से हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं, जिसमें शांतिपूर्ण सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उनका अधिकार भी शामिल है."

इस बीच अंतरिम सरकार के तहत युवा और खेल मंत्रालय और स्थानीय सरकार के सलाहकार आसिफ महमूद साजिब भुइयां ने कहा कि दास को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, न कि किसी समुदाय के नेता के तौर पर. भूइयां ने मंगलवार दोपहर रंगपुर के पिरगाछिया उपजिला में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, "सरकार देशद्रोह के किसी भी ऐसे कृत्य के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी जो बांग्लादेश की संप्रभुता और स्वतंत्रता को खतरा पहुंचाता है. यह सभी को स्पष्ट कर देना चाहिए, किसी भी व्यक्ति को, चाहे वह किसी भी पद या प्रभाव का हो, ऐसी गतिविधियों में शामिल होने पर बख्शा नहीं जाएगा."

दास के खिलाफ मामला 25 अक्टूबर को हुई एक घटना से जुड़ा है. उस दिन ढाका से 300 किलोमीटर उत्तर में रंगपुर में हिंदू समुदाय ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के विरोध में एक रैली निकाली थी. चटगांव में बांग्लादेश सनातन जागरण मंच, जिसके दास प्रवक्ता थे, ने भी एक रैली की. रैली से संबंधित एक वीडियो में चटगांव के न्यू मार्केट इलाके में जीरो पॉइंट नामक स्थान पर भगवा हेडबैंड पहने लोगों के एक समूह को बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा झंडा लगाते हुए दिखाया गया था.

इसके बाद 30 अक्टूबर को बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यकर्ता फिरोज खान ने दास और 18 अन्य के खिलाफ कोतवाली पुलिस स्टेशन में देशद्रोह का मामला दर्ज कराया. दास ने तब से आरोपों से इनकार करते हुए कहा है कि वह उस जगह पर मौजूद ही नहीं थे, जहां कथित घटना हुई थी और उस समय वह स्थानीय बीएनपी कार्यालय में थे.

ढाका एयरपोर्ट पर गिरफ्तार होने के बाद पुलिस दास को रात भर सड़क मार्ग से चटगांव ले गई. मंगलवार को दास को चटगांव छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट के जज काजी शरीफुल इस्लाम के सामने पेश किया गया. कार्यवाही के दौरान दास के बचाव पक्ष ने जमानत याचिका दायर की. हालांकि, कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया और उन्हें तुरंत जेल भेजने का आदेश दिया.

ढाका ट्रिब्यून न्यूज पोर्टल ने बचाव पक्ष के वकील स्वरूप कांति नाथ के हवाले से कहा, "जमानत की सुनवाई के दौरान, हमने तर्क दिया कि मामला निराधार और षड्यंत्रकारी है. चिन्मय कृष्ण ने कोई भी राज्य विरोधी गतिविधि नहीं की है. इसके बावजूद, अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया, लेकिन निर्देश दिया कि उसे जेल में विभागीय दर्जा दिया जाए." नाथ ने कहा कि अदालत ने बचाव पक्ष के वकील के अनुरोध को स्वीकार कर लिया कि दास को जेल में रहते हुए अपने खान-पान और धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन करने की अनुमति दी जाए.

वैसे तो दुनियाभर में फैले इस्कॉन मंदिर किसी भी देश की आंतरिक राजनीति में शामिल होने के लिए नहीं जाने जाते हैं, लेकिन दास पुंडरीक धाम के प्रमुख होने के नाते बांग्लादेश सनातन जागरण मंच के प्रवक्ता के तौर पर बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ विरोध का एक प्रमुख चेहरा बनकर उभरे हैं. बीएसजेएम ने इस महीने की शुरुआत में बांग्लादेश संमिलित सांख्यलगु जोत के साथ विलय करके बांग्लादेश संमिलित सनातनी जागरण जोत का गठन किया. दास नई इकाई के प्रवक्ता बन गए हैं.

ढाका स्थित पत्रकार सैफुर रहमान तपन के अनुसार दास की गिरफ्तारी और उसके बाद जेल में भेजा जाना नई अंतरिम सरकार के तहत बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न का एक और उदाहरण है. तपन ने ढाका से फोन पर ईटीवी भारत से कहा, दास के खिलाफ मामला हास्यास्पद है. मामला अधिक से अधिक ध्वज संहिता के उल्लंघन का ही हो सकता है और निश्चित रूप से राजद्रोह का मामला नहीं है.

उन्होंने कहा कि हालांकि बांग्लादेश की आजादी के बाद से ही धार्मिक अल्पसंख्यकों को विभिन्न सरकारों के तहत उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है, लेकिन अब हम अंतरिम सरकार के तहत जो देख रहे हैं, वह भयावह है. बांग्लादेशी शिक्षाविद और राजनीतिक पर्यवेक्षक शरीन शाजहान नाओमी के अनुसार बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन कोई भी व्यक्ति हिंदू कार्यकर्ता के रूप में सामने नहीं आया है.

नाओमी ने कहा, "दास एक हिंदू कार्यकर्ता नेता के रूप में उभरे हैं. उन्होंने ढाका तक एक लंबे मार्च का भी आह्वान किया है. शायद इसीलिए सरकार ने उनके खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला किया है."

पिछले महीने, तत्कालीन बीएसजेएम ने दास की अध्यक्षता में चटगाँव में एक विशाल रैली आयोजित की थी जिसमें अल्पसंख्यकों के अधिकारों और सुरक्षा की मांग की गई थी। रैली में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न से जुड़े मामलों के लिए एक त्वरित सुनवाई न्यायाधिकरण, अल्पसंख्यक सुरक्षा कानून का अधिनियमन और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के गठन सहित आठ सूत्री मांगों के कार्यान्वयन पर भी जोर दिया गया.

यहां यह बताना जरूरी है कि दास प्रभावशाली बांग्लादेशी बुद्धिजीवी फरहाद मजहर के भी करीबी हैं, जिन्हें इस साल की शुरुआत में छात्रों के विद्रोह के पीछे दिमाग माना जाता है, जिसके कारण प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से हटना पड़ा. हालांकि, अगर बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स पर भरोसा करें, तो मजहर अब मुख्य सलाहकार के रूप में नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के कामकाज से नाखुश हैं.

तपन ने कहा, "मजहर ने दोनों समुदायों के बीच नफरत को खत्म करने का आह्वान किया है. बांग्लादेश के अन्य सभी धर्मनिरपेक्ष लोगों की तरह उन्होंने भी अल्पसंख्यकों के अधिकारों और सुरक्षा की आठ सूत्री मांग का समर्थन किया है." 18 नवंबर को, मजहर चटगांव के पुंडरीक धाम गए थे, जहां दास ने उनका स्वागत किया था. स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, दोनों ने मंदिर में ढाई घंटे तक गोपनीय बैठक की, जिसका विवरण उपलब्ध नहीं है.

दास की गिरफ़्तारी के बाद अब मजहर ने अधिकारियों से उनकी तत्काल रिहाई की मांग की है. मंगलवार सुबह अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट में मजहर ने कहा, "बांग्लादेश सम्मिलिता सनातनी जागरण जोते के प्रवक्ता और पुंडरीक धाम के प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को तत्काल रिहा किया जाए. बांग्लादेश के सभी लोगों के नागरिक और मानवाधिकारों की रक्षा करें, चाहे वे किसी भी धर्म और नस्ल के हों, जिसमें सनातन धर्म भी शामिल हैं. आत्मघाती सांप्रदायिक राजनीति बंद करें."

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