नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि भारत और भूमध्य सागर के बीच राजनीतिक संबंध मजबूत हैं और रक्षा सहयोग बढ़ रहा है, जिससे इस बात पुष्ट होती है कि दक्षिणी यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिम एशिया के कुछ हिस्सों को शामिल करने वाला यह क्षेत्र आज की भू-राजनीतिक व्यवस्था में भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण हो गया है.
इटली की राजधानी में रोम भूमध्यसागरीय वार्ता 2024 को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, "भूमध्य सागर के देशों के साथ हमारा वार्षिक व्यापार लगभग 80 बिलियन डॉलर है. हमारे यहां 460,000 प्रवासी हैं. इनमें से लगभग 40 प्रतिशत इटली में हैं. हमारी मुख्य रुचि उर्वरक, ऊर्जा, जल प्रौद्योगिकी, हीरे, रक्षा और साइबर में है."
उन्होंने कहा कि भारत में हवाई अड्डे, बंदरगाह, रेलवे, इस्पात, ग्रीन हाइड्रोजन, फॉस्फेट और पनडुब्बी केबल जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाएं चल रही हैं. उन्होंने कहा, "भूमध्य सागर के साथ हमारे राजनीतिक संबंध मजबूत हैं और हमारा रक्षा सहयोग बढ़ रहा है, जिसमें अधिक अभ्यास और आदान-प्रदान शामिल हैं." विदेश मंत्री ने कहा कि भूमध्य सागर अनिश्चित और अस्थिर दुनिया में अवसर और जोखिम दोनों प्रस्तुत करता है.
भूमध्य सागर क्षेत्र, वैश्विक वाणिज्य, संस्कृति और राजनीति का एक ऐतिहासिक केंद्र है, जो भारत के लिए रणनीतिक महत्व रखता है. दक्षिणी यूरोप में ग्रीस, इटली और स्पेन, उत्तरी अफ्रीका में मिस्र, अल्जीरिया, मोसरोको और ट्यूनीशिया, पश्चिम एशिया में इजराइल और पूर्वी भूमध्य सागर में साइप्रस जैसे देशों को शामिल करने वाले इस विशाल क्षेत्र ने आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और सुरक्षा क्षेत्रों में भारत के साथ बढ़ते संबंधों को देखा है, जबकि भूमध्य सागर के साथ भारत के जुड़ाव की जड़ें ऐतिहासिक हैं. हाल के भू-राजनीतिक बदलावों और आर्थिक अवसरों ने संबंधों को और गहरा कर दिया है.
यूसनस फाउंडेशन थिंक टैंक के संस्थापक, निदेशक और सीईओ अभिनव पंड्या ने ईटीवी भारत को बताया, "भूमध्यसागरीय क्षेत्र के साथ भारत के संबंध बहुत ऐतिहासिक हैं. प्राचीन काल में भारत के रोमन साम्राज्य और यूनानियों के साथ बहुत अच्छे व्यापारिक संबंध थे. वास्तव में, भारत का रोमन साम्राज्य में एक व्यापारिक केंद्र था."
पंड्या ने बताया कि रोमन लोग भारत के मालाबार तट पर स्थित प्राचीन बंदरगाह शहर मुजिरिस में आते थे. यहां मसालों, विदेशी जानवरों और सोने के अलावा अन्य चीजों का व्यापार होता था. हालांकि, आज भारत-भूमध्यसागरीय संबंधों में एक भू-राजनीतिक घटक भी है और ग्रीस-इटली जैसे देश भूमध्यसागरीय क्षेत्र में भारत के लिए केंद्र बिंदु देश बनकर उभरे हैं.
उदाहरण के लिए ग्रीस और भारत दोनों ही इस्लामिक आतंकवाद का सामना कर रहे हैं और इसके लिए दोनों देशों को एक-दूसरे के साथ बहुत दोस्ताना व्यवहार करने की आवश्यकता है. इस साल फरवरी में ग्रीक प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोताकिस की भारत यात्रा के दौरान जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया था कि दोनों पक्षों ने अपनी साझा रणनीतिक साझेदारी की पुष्टि की और द्विपक्षीय एजेंडे को आगे बढ़ाने तथा राजनीतिक, आर्थिक, सुरक्षा, रक्षा, समुद्री, नौवहन और सांस्कृतिक सहयोग के सभी आयामों में सहयोग बढ़ाने का निर्णय लिया.
बयान में कहा गया है, "अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करने के महत्व को रेखांकित करते हुए दोनों देशों के नेताओं (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मित्सोताकिस) ने वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा खतरों, विशेष रूप से पूर्वी भूमध्य सागर और भारत-प्रशांत क्षेत्रों में विचारों के आदान-प्रदान के लिए दोनों विदेश मंत्रालयों के बीच नियमित संपर्क आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की, ताकि समुद्री, साइबर और हाइब्रिड खतरों सहित आम हित के सुरक्षा और रणनीतिक क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार और संपर्क मजबूत किया जा सके."
इसमें आगे कहा गया कि दोनों नेताओं ने समुद्र के अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार एक फ्री, ओपन और नियम-आधारित भूमध्य सागर और इंडो-पैसिफिक के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (UNCLOS) में दर्शाया गया. हाल के दिनों में इटली के साथ भारत के संबंध भी मजबूत हुए हैं. पिछले साल इटली के प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच संबंधों को रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाया गया था.
पिछले हफ़्ते मोदी और मेलोनी ने रियो डी जेनेरियो में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान एक बैठक की. बैठक में उन्होंने भारत-इटली रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और एक संयुक्त रणनीतिक कार्य योजना 2025-29 की घोषणा की, जिसमें अगले पांच साल के लिए उनके दृष्टिकोण की रूपरेखा दी गई है. कार्य योजना व्यापार और निवेश, सांइस और टेक्नोलॉजूी, नई और उभरती हुई टेक्नोलॉजी, क्लीन एनर्जी, स्पेस, डिफेंस, कनेक्टिविटी और लोगों के बीच संपर्क के प्रमुख क्षेत्रों में संयुक्त सहयोग, कार्यक्रम और पहल को आगे बढ़ाएगी.