नई दिल्ली :फ्लोर टेस्ट आज का वर्तमान मुद्दा है. झारखंड में सत्ता परिवर्तन के बाद वही गठबंधन नए नेता के नेतृत्व में सत्ता में वापस आ गया है. दूसरी ओर, बिहार में वही नेता सत्ता में वापस आ गया है लेकिन समर्थकों के एक नए समूह के साथ. दोनों ही मामलों में नेता नई व्यवस्था के तहत अपना बहुमत साबित करने में सक्षम रहे हैं.
झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किए जाने पर 31 जनवरी 2024 को इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद सत्तारूढ़ गठबंधन ने चंपई सोरेन को अपना नेता चुना और राज्यपाल को एक पत्र सौंपकर सरकार बनाने का दावा पेश किया.
कुछ सस्पेंस के बाद राज्यपाल ने सहमति दे दी और चंपई को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया. इन नाटकीय घटनाक्रमों के बाद, 5 फरवरी 2024 को नई चंपई सोरेन सरकार ने झारखंड विधान सभा के पटल पर 29 के मुकाबले 47 मतों से विश्वास मत जीत लिया. वोटिंग से पहले राज्यपाल ने पांचवीं झारखंड विधानसभा के 14वें सत्र को संबोधित किया और विश्वास प्रस्ताव पर बहस हुई.
बिहार में भी ऐसा ही हुआ. सत्तारूढ़ दलों जद (यू) और राजद के संयोजन के साथ नीतीश कुमार सरकार ने 28 जनवरी 2024 को इस्तीफा दे दिया, लेकिन उन्होंने एक बार फिर नए गठबंधन सहयोगी, अर्थात् भारतीय जनता पार्टी के साथ मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. हालांकि इस बार विश्वास मत या 'फ्लोर टेस्ट' जैसा कि इसे कहा जाता है, अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव से पहले हुआ था. स्पीकर ने 12 फरवरी, 2024 को विधानसभा सत्र शुरू होने तक अपने पद से हटने से इनकार कर दिया, जब नीतीश कुमार को फ्लोर टेस्ट का सामना करना पड़ा.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 179 (सी) के पहले प्रावधान के अनुसार कम से कम 14 दिन का नोटिस देने के बाद ही अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है. चूंकि अविश्वास प्रस्ताव 28 जनवरी को भाजपा नेता नंद किशोर यादव ने दिया था, इसलिए इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए 12 फरवरी को विधानसभा सत्र बुलाया गया था.
अगस्त 2022 में भाजपा नेता विजय कुमार सिन्हा, जो अब नई सरकार में उपमुख्यमंत्री हैं, उन्होंने इसी तरह इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था जब नीतीश कुमार ने भाजपा से नाता तोड़ लिया था और राजद, कांग्रेस और वामपंथी सहयोगियों के साथ सरकार बनाई थी.
बाद में अविश्वास मत से बचने के लिए सिन्हा ने इस्तीफा दे दिया था. किसी भी स्थिति में, अनुच्छेद 181 (1) के अनुसार, जिस अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है, वह उस समय सदन की कार्यवाही की अध्यक्षता नहीं कर सकता जब उक्त प्रस्ताव विचार के लिए लिया जाता है.
12 फरवरी 2024 को नए साल/बजट सत्र में बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों के एक साथ एकत्र हुए सदस्यों को राज्यपाल के पारंपरिक अभिभाषण के साथ कार्यवाही शुरू हुई. इसके बाद जब बिहार विधान सभा की अलग से बैठक हुई तो एजेंडे में पहला आइटम अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव था, जिसकी अध्यक्षता उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी कर रहे थे.
प्रस्ताव के पक्ष में 125 विधायकों और विरोध में 112 विधायकों के मतदान के बाद स्पीकर को हटा दिया गया. इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नई एनडीए सरकार के लिए विश्वास मत की मांग करते हुए प्रस्ताव पेश किया.