सर्दियों के मौसम की शुरूआत हो चुकी है. ऐसे में इस मौसम में स्किन ड्राई होने के कारण कई तरह की त्वचा संबंधी समस्याएं होने लगती है. आयुर्वेद पद्धति में त्वचा संबंधी रोग का कारगर इलाज है. वही आयुर्वेद पद्धति से इलाज लेने पर कोई साइड इफेक्ट भी नही होता है. आयुर्वेद के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बीएल मिश्रा से जानिए सर्दी में होने वाले स्किन रिलेटेड डिजीज के कारण, लक्षण और इलाज संबंधी हेल्प टिप्स...
संभाग के बड़े जेएलएन अस्पताल में आयुर्वेद चिकित्सा विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बीएल मिश्रा बताते हैं कि आयुर्वेद में वात, पित्त और कफ के सही संतुलन से ही व्यक्ति स्वस्थ रहता है. जबकि उनके असंतुलित होने पर व्यक्ति कई तरह के रोग से ग्रसित हो जाता है. इसी तरह सर्दी के मौसम में भी शरीर के भीतर और बाहरी वातावरण में वायु की अधिकता होने से स्किन ड्राई हो जाती है. जिस कारण कई तरह के त्वचा संबंधी रोग होने लगते हैं.
इनमें बालों में डैंड्रफ, त्वचा का ड्राई और सफेद होना, खुजली होना, होंठ फटना, दाद का बढ़ना, जगह-जगह घाव होना आदि शामिल है. डॉ मिश्रा बताते हैं कि त्वचा संबंधी यह रोग घातक नहीं है लेकिन यह रोग रोगी को काफी परेशान कर देते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि शरीर में वायु का सबसे दुष्कृत प्रभाव त्वचा पर पड़ता है. इससे त्वचा शुष्क हो जाती है. वहीं सर्द हवाओं के कारण भी शरीर की त्वचा से चिकनाई सूख जाती है. इसका एक कारण यह भी है कि सर्दी में लोग पानी कम पीते है. जिससे वायु दोष होकर त्वचा संबंधी रोग उत्पन्न होते हैं.
त्वचा संबंधी रोग से बचाव के लिए यह करें...
डॉ. मिश्रा बताते है कि सर्दी में अक्सर लोग कम पानी पीते है. लेकिन, उन्हें इससे बचना चाहिए और पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए. डॉ. मिश्रा का कहना है कि पानी के साथ- साथ लोगों को रसदार फलों का सेवन या उसका रस पीना चाहिए. इस मौसम में चिकनाई युक्त भोजन करना फायदेमंद होता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि लोगों को इस मौसम में मलाईदार गर्म दूध, भोजन में देसी घी और तिल के तेल को शामिल करना चाहिए.