नई दिल्ली : 2024 को 'चुनाव का साल' कहा गया. दुनिया के कई देशों में आम चुनाव हुए. 10 सबसे अधिक आबादी वाले देशों में से आठ - बांग्लादेश, ब्राजील, भारत, इंडोनेशिया, मैक्सिको, पाकिस्तान, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका में इस वर्ष चुनाव हुए. इसके अलावा, यूरोपीय संघ ने जून में यूरोपीय संसद के लिए चुनाव आयोजित किए.
चुनाव के लिहाज से 2024 मौजूदा और पारंपरिक राजनीतिक दलों के लिए एक कठिन वर्ष साबित हुआ. बढ़ती कीमतों से परेशान, सांस्कृतिक मुद्दों पर विभाजित और राजनीतिक यथास्थिति से नाराज़, कई देशों के मतदाताओं ने सरकार बदलाव के पक्ष में वोट दिया तो कहीं रूलिंग पार्टी बहुमत से चूक गई.
एक नजर उन कुछ देशों जहां 2024 में मतदान के जरिए सत्ता में हुआ बदलाव: -
अमेरिका : साल के सबसे हाई-प्रोफाइल चुनावों में से एक, संयुक्त राज्य अमेरिका में डेमोक्रेट्स ने राष्ट्रपति पद गंवा दिया. रिपब्लिकन और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को हराया. रिपब्लिकन ने कांग्रेस के दोनों सदनों में भी बहुमत हासिल किया. यह लगातार तीसरा अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव था जिसमें मौजूदा पार्टी हार गई.
यूनाइटेड किंगडम : 4 जुलाई 2024 को हुए आम चुनाव में राजनीतिक सत्ता वामपंथियों के हाथ में चली गई. लेबर पार्टी ने भारी संसदीय बहुमत हासिल किया, जिससे कंजर्वेटिव पार्टी का 14 साल का शासन खत्म हो गया.
बोत्सवाना : इस दक्षिणी अफ्रीकी देश में 30 अक्टूबर 2024 को हुए आम चुनाव ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा. यह एक ऐसा चुनाव रहा जो न सिर्फ बोत्सवाना के राजनीतिक इतिहास बल्कि दुनिया के चुनावी तारीख में भी अपना नाम दर्ज करा गया. यहां बोत्सवाना डेमोक्रेटिक पार्टी ने लगभग 60 वर्षों में पहली बार सत्ता खो दी. 1966 में स्वतंत्रता के बाद से देश की राजनीति पर हावी रही बीडीपी को सेंटर-लेफ्ट विपक्षी अम्ब्रेला फॉर डेमोक्रेटिक चेंज (यूडीसी) ने निर्णायक रूप से हरा दिया. विपक्षी दलों की ओर मतदाताओं के बड़े झुकाव के कारण बीडीपी चौथे स्थान पर आ गई.
दक्षिण कोरिया : अप्रैल में, दक्षिण कोरियाई मतदाताओं ने विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी को नेशनल असेंबली में बहुमत सीटें दीं, जिसे पीपुल्स पावर पार्टी के राष्ट्रपति यून सुक योल पर अंकुश के रूप में देखा गया. दिसंबर की शुरुआत में, राष्ट्रपति यून ने मार्शल लॉ लागू किया और डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं पर 'राज्य विरोधी' गतिविधियों का आरोप लगाया. नेशनल असेंबली ने मार्शल लॉ हटाने के लिए सर्वसम्मति से मतदान किया जिसके बाद यून के अपना फैसला पलट दिया. इसके बाद नेशनल असेंबली ने यून के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव भी पारित किया. महाभियोग प्रस्ताव पारित होने के बाद यून को निलंबित कर दिया गया जबकि प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री हान डक-सू ने कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभाल लिया.