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भारत, चीन और ब्राजील करवा सकते हैं मध्यस्थता, यूक्रेन युद्ध पर पुतिन का बयान - Russia Ukraine War

Vladimir Putin: व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि युद्ध के पहले सप्ताह में इस्तांबुल में हुई वार्ता में रूसी और यूक्रेनी वार्ताकारों के बीच हुआ एक शुरुआती समझौता बातचीत का आधार बन सकता है.

व्लादिमीर पुतिन
व्लादिमीर पुतिन (IANS)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 5, 2024, 3:07 PM IST

मॉस्को: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि वह यूक्रेन के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं. इस बात की जानकारी गुरुवार को न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने दी. उन्होंने कहा कि भारत, चीन और ब्राजील संभावित शांति वार्ता में मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं.

व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि युद्ध के पहले सप्ताह में इस्तांबुल में हुई वार्ता में रूसी और यूक्रेनी वार्ताकारों के बीच हुआ एक शुरुआती समझौता बातचीत का आधार बन सकता है. इस एग्रीमेंट को कभी लागू नहीं किया गया. व्लादिमीर पुतिन का यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मॉस्को यात्रा और उसके बाद हाल ही में उनकी यूक्रेन यात्रा के कुछ महीनों बाद आया है. दशकों बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यूक्रेन यात्रा थी.

इससे पहले पुतिन ने कुर्स्क क्षेत्र में कीव के आक्रमण के दौरान बातचीत के विचार को खारिज कर दिया था. अगस्त में यूक्रेन ने रूस के कुर्स्क क्षेत्र में अभूतपूर्व सीमा पार से घुसपैठ की, सीमा पार हजारों सैनिकों को भेजा और कई गांवों पर कब्जा कर लिया.इस के बाद पुतिन ने कि बातचीत के लिए कोई बात नहीं हो सकती.

रूस बातचीत के लिए तैयार
हालांकि, व्लादिवोस्तोक शहर में रूस के पूर्वी आर्थिक मंच में एक क्वेश्चन-आंसर सेशन में बोलते हुए पुतिन ने कहा कि रूस बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन 2022 में इस्तांबुल में मास्को और कीव के वार्ताकारों के बीच हुए एक निरस्त सौदे के आधार पर, जिसकी शर्तों को कभी सार्वजनिक नहीं किया गया.

'इस्तांबुल में हुआ था समझौता'
एएफपी ने पुतिन के हवाले से कहा, "क्या हम उनके साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं? हमने कभी ऐसा करने से इनकार नहीं किया, लेकिन कुछ डिमांड के आधार पर नहीं, बल्कि उन दस्तावेजों के आधार पर जिन पर सहमति बनी थी और इस्तांबुल में हस्ताक्षर किए गए थे."

पुतिन ने कहा, "हम एक समझौते पर पहुंचने में कामयाब रहे, यही पूरी बात है. इस दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने वाले यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख के हस्ताक्षर इसकी गवाही देते हैं, जिसका अर्थ है कि यूक्रेनी पक्ष आम तौर पर किए गए समझौतों से संतुष्ट था."

रूसी राष्ट्रपति ने कहा, "यह केवल इसलिए लागू नहीं हुआ क्योंकि उन्हें ऐसा न करने का आदेश दिया गया था, क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप - कुछ यूरोपीय देश रूस की रणनीतिक हार देखना चाहते थे."

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