नई दिल्ली: प्रवासी मजदूरों के अधिकारों की पर्याप्त सुरक्षा न करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कनाडा में मानवाधिकारों की जांच की गई है. रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि कनाडा का 'टेंपरेरी फॉरेन वर्कर प्रोग्राम' (TFWP) गुलामी के आधुनिक रूपों का जन्म देने वाला है, जो नियोक्ताओं के पक्ष में शक्ति असंतुलन को संस्थागत बनाता है और मजदूरों को उनके अधिकारों से वंचित करता है.
टेंपरेरी फॉरेन वर्कर प्रोग्राम कनाडा के नियोक्ताओं को टेंपरेरी लेबर और स्किल की कमी को दूर करने के लिए विदेशी नागरिकों को काम पर रखने की अनुमति देता है. TFWP के अलावा कनाडा में काम करने के इच्छुक विदेशी नागरिकों के लिए अन्य इमिग्रेशन प्रोग्राम भी उपलब्ध हैं. 2018 में अस्थायी विदेशी कर्मचारी कार्यक्रम के तहत 84,004 परमिट धारक थे, जबकि 2022 तक यह संख्या बढ़कर 135,818 हो गई थी.
रिपोर्ट को प्रोफोसर तोमोया ओबोकाटा ने लिखा है कि अगर कनाडा कमजोर वर्कर्स के शोषण करने वाले कानूनों-नीतियों में सुधार करने और शोषण और दुर्व्यवहार पीड़ितों को पर्याप्त निवारण और पुनर्वास प्रदान करने के लिए अधिक निर्णायक कार्रवाई नहीं करता है, तो इससे वह मानवाधिकारों की प्रतिष्ठा को खतरे में डालेगा.
स्लेवरी की मॉडर्न फॉर्म पर ध्यान दे कनाडा
रिपोर्ट में कनाडाई ऑथोरिटीज से स्लेवरी की मॉडर्न फॉर्म के अंतर्निहित कारणों पर ध्यान देने का आग्रह किया गया है, जिनमें गरीबी, असमानता और भेदभाव शामिल हैं. यह उपनिवेशवाद और नस्लवाद की विरासतों के कारण और भी बढ़ गए हैं. साथ ही आवास संकट, विशेष रूप से सामाजिक और संक्रमणकालीन आवास की भारी कमी पर भी ध्यान दिया गया है.