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पाक सेना प्रमुख ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक लगाने का आग्रह किया - PAK ARMY CHIEF

पाकिस्तान में बढ़ते सोशल मीडिया के प्रभाव के देखते हुए सेना प्रमुख ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक लगाने का आग्रह किया है.

Pakistan Army chief
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर (ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 16, 2024, 8:56 AM IST

इस्लामाबाद: पाकिस्तान में पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान की सेना कई सोशल मीडिया के निशाने पर रही है. अब इसके खिलाफ आवाज उठने लगी है. पाकिस्तान के सेना प्रमुख (सीओएएस) जनरल असीम मुनीर ने शुक्रवार को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करने का आग्रह किया.

डॉन की रिपोर्ट के अनुसार असीम मुनीर ने इस रोक लगाने के पीछे तर्क भी दिया. उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से समाज में नैतिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है. जनरल मुनीर ने यह बात इस्लामाबाद में मर्गल्ला डायलॉग 2024 में 'शांति और स्थिरता में पाकिस्तान की भूमिका' विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में कही. उन्होंने कहा कि सूचना के प्रसार में प्रौद्योगिकी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन 'भ्रामक और गलत ज्ञान का प्रसार एक बड़ी चुनौती है.

असीम मुनीर आगे कहा कि व्यापक कानूनों और नियमों के बिना, झूठी और भ्रामक जानकारी तथा घृणास्पद भाषण राजनीतिक और सामाजिक संरचनाओं को अस्थिर करते रहेंगे. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मुनीर गलत सूचना के खतरों के बारे में मुखर रहे हैं. उनका कहना है कि गलत सूचना विशेष रूप से सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से फैलती है.

पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान की सेना कई सोशल मीडिया अभियानों के निशाने पर रही है. जो देश के राजनीतिक और सामाजिक ताने-बाने में व्यापक तनाव को दर्शाता हैं. रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान सरकार ने इस असहमति को दबाने के लिए कई कदम उठाए हैं.

इससे पहले जनरल मुनीर ने चेतावनी दी थी कि सशस्त्र बलों के खिलाफ अराजकता और झूठी सूचना फैलाने के लिए सोशल मीडिया का दुरुपयोग किया जा रहा है, जबकि 'डिजिटल आतंकवाद' शब्द का प्रयोग अब झूठ फैलाने के आरोपी ऑनलाइन आलोचकों की गतिविधियों के लिए किया जा रहा है.
जनरल मुनीर ने अगस्त में स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में सूचना की जांच और सत्यापन के महत्व पर बल दिया था, ताकि लोगों में भय का माहौल न बने. उन्होंने कहा था कि संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की अनुमति दी गई है, लेकिन इसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की स्पष्ट सीमाएं भी हैं.

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