संयुक्त राष्ट्र : शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के महत्व की प्रशंसा करते हुए भारत ने पाकिस्तान और चीन की भूमिका की ओर ध्यान आकर्षित किया और कहा है कि दोनों देश इसे कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं. भारत के संयुक्त राष्ट्र मिशन के प्रभारी आर रवींद्र ने शुक्रवार को सुरक्षा परिषद में एक संबोधन में क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की आवश्यकता पर जोर दिया और बिना किसी देश का नाम लिए आतंकवाद को पाकिस्तान से जोड़ा.
उन्होंने कहा, "कुछ देश आतंकवाद को स्टेट पॉलिसी के रूप में उपयोग कर रहे हैं, इस तरह के दृष्टिकोण से SCO सहित बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग प्रभावित होने की संभावना है." उन्होंने कहा, "भारत ने कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान की लगातार वकालत की है." रवींद्र का इशारा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चीनी परियोजनाओं को लेकर था. वह रूस द्वारा बुलाई गई सुरक्षा परिषद की बैठक में बोल रहे थे.
रवींद्र ने कहा, "भारत SCO के भीतर विश्वास को मजबूत करने के साथ-साथ समानता, सम्मान और आपसी समझ के आधार पर भागीदारों के साथ संबंधों को मजबूत करने को उच्च प्राथमिकता देता है." उन्होंने कहा, "एससीओ में भारत की प्राथमिकताएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'सिक्योर' SCO के दृष्टिकोण को लेकर है. उन्होंने बताया कि 'सिक्योर' का मतलब सिक्योरिटी, इकनोमिक कोऑपरेशन, कनेक्टिविटी, यूनिटी, रेस्पेक्ट फॉर सावरेंटी और टेरिटोरियल इंटीग्रिटी और एनवायर्नमेंटल प्रोटेक्शन है."
उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और आतंकवादियों और उसके समूहों पर प्रतिबंधों को पूरी तरह से लागू किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, "कजाकिस्तान के अस्ताना में 4 जुलाई को हुए SCO शिखर सम्मेलन ने अपने घोषणापत्र में कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को उन देशों को अलग-थलग करना चाहिए और उन्हें बेनकाब करना चाहिए जो आतंकवादियों को पनाह देते हैं और आतंकवाद का समर्थन करते हैं."
हालांकि, अमेरिकी स्थायी प्रतिनिधि लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने एससीओ के आतंकवाद विरोधी प्रयासों पर सवाल उठाया. उन्होंने एससीओ देशों पर "आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से लड़ने की आड़ में" जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों का दमन करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "एससीओ सदस्य देशों ने क्षेत्रीय राजनीतिक स्वायत्तता के महत्व के बारे में बताने को लेकर लोगों पर मुकदमा चलाया है. अन्य SCO सदस्य देशों में दमन से भाग रहे शरणार्थियों को जबरन वापस भेजा है."