हैदराबाद: मच्छर जनित या मच्छर से फैलने वाली बीमारियों व उनके गंभीर प्रभावों तथा उनके कारण मृत्यु के मामले पिछले कुछ सालों में लगातार बढ़े हैं. चिकित्सकों का मानना है कि इसके लिए संक्रमित मच्छरों के काटने के साथ ही लोगों की कम होती रोग प्रतिरोधक क्षमता भी जिम्मेदार है. पिछले कुछ सालों में कई संक्रमणों या अन्य कारणों के चलते लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में काफी कमी देखी जा रही है. जिसके प्रभाव के चलते हर उम्र के लोगों में तरह-तरह के रोगों व संक्रमणों के मामले काफी ज्यादा देखे जाने लगे हैं.
विशेषतौर पर मलेरिया की बात करें तो इसे लेकर आमजन में जानकारी होने के बावजूद हर साल इसके कारण गंभीर स्वास्थ्य प्रभाव झेलने वालों या मृत्यु का शिकार होने वालों की संख्या काफी बढ़ी है. इसलिए इसे एक गंभीर वैश्विक समस्या भी माना जाता है. मलेरिया से जुड़े जोखिमों को लेकर लोगों को जागरूक करने तथा उसके उपचार व बचाव को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस भी मनाया जाता है. इस साल की थीम है 'अधिक न्यायसंगत दुनिया के लिए मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में तेजी लाना है' , 'Accelerating the fight against malaria for a more equitable world'
What is malaria : कारण व प्रभाव
वर्मा हेल्थ केयर क्लिनिक नई दिल्ली के जनरल फिजीशियन डॉ आलोक कुमार सिंह बताते हैं कि देश में पिछले कुछ सालों में ना सिर्फ मलेरिया बल्कि चिकनगुनिया, पीला बुखार तथा मच्छरों के काटने व उनके कारण फैलने वालों अन्य रोगों तथा उनके रोगियों की संख्या काफी ज्यादा बढ़ी है. विशेषतौर पर मलेरिया की बात करें तो हर साल खासतौर पर गर्मियों तथा मानसून के मौसम में मलेरिया के काफी मामले सामने आते हैं.
वह बताते हैं कि मलेरिया के लिए एक विशेष परजीवी प्लास्मोडियम प्रोटोजोआ तथा उसकी प्रजातियों जिम्मेदार होती हैं. जब इस परजीवी से संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छर किसी व्यक्ति काटती है तो यह परजीवी उसके रक्त में पहुंच जाता है जो मलेरिया का कारण बनता है. परजीवी की उप-प्रजातियों के आधार पर मलेरिया के पांच प्रकार माने जाते हैं. जिनके लक्षण आमतौर पर एक ही जैसे होते हैं, लेकिन उनके कारण पीड़ित में लक्षण नजर आने के समय में अंतर हो सकता है, जैसे कुछ परजीवियों के संपर्क में आने पर लक्षण देर से नजर आते हैं और कुछ में जल्दी. वहीं उनके कारण शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव भी कम या ज्यादा गंभीर हो सकते हैं. लेकिन सभी अवस्थाओं में यदि मलेरिया पीड़ित का समय से इलाज शुरू ना हो तो कई बार पीड़ित में गंभीर एनीमिया, फफड़ों में समस्या, गुर्दे, यकृत और प्लीहा को नुकसान, ऑर्गन फेलियर, रक्त शर्करा के स्तर में कमी सहित कई समस्याएं ट्रिगर हो सकती हैं. जो समस्या के गंभीर होने पर पीड़ित की जान जाने का कारण भी बन सकती हैं.
डॉ आलोक बताते हैं कि पिछले कुछ सालों में इस प्रकार के मामलों में गंभीरता बढ़ने या जान जाने के मामले बढ़ने के पीछे एक कारण लोगों की कम होती रोग प्रतिरोधक क्षमता भी है . जिसके कारण उनका शरीर कमजोर हो जाता है तथा किसी भी प्रकार के रोग व संक्रमण को लेकर उनकी सुरक्षा तथा उनके लड़ने की क्षमता, दोनों कम हो जाती है. वह बताते हैं मलेरिया आमतौर पर छोटे बच्चों, बुजुर्गों , गर्भवती महिलाओं तथा ऐसे लोग जो पहले से ही किसी रोग या संक्रमण का सामना कर रहे हैं और जिसके कारण उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो गई हो, को ज्यादा प्रभावित करते हैं. विशेषतौर पर गर्भवती महिलाओं में मलेरिया को ज्यादा गंभीर समस्या माना जाता है क्योंकि ऐसा होने पर माता के रक्त के माध्यम से रोग का प्रभाव भ्रूण के स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकता है. वह बताते हैं कि गर्भवती माता में गंभीर मलेरिया मातृ मृत्यु, गर्भपात, अंतर्गर्भाशयी मृत्यु, समय से पहले जन्म, जन्म के समय कम वजन तथा नवजात शिशु की मृत्यु का कारण भी बन सकता है.