ग्लूकोज शरीर की कोशिकाओं के लिए प्राइमरी फ्यूल के रूप में काम करता है. ग्लूकोज एक प्रकार का शुगर है, जो कार्बोहाइड्रेट से बनता है. यह खून के जरिए कोशिकाओं तक पहुंचता है और उन्हें एनर्जी देता है. शरीर में ग्लूकोज के लेवल को कंट्रोल करने के लिए पैंक्रियाज इंसुलिन नामक हार्मोन बनाता है. इंसुलिन की मदद से ग्लूकोज कोशिकाओं में पहुंचता है. बता दें, इंसुलिन, एक हार्मोन है, जो ग्लूकोज को कोशिकाओं में प्रवेश करने में सक्षम बनाता है. ऐसे में नॉर्मल ब्लड शुगर लेवल की निगरानी करना महत्वपूर्ण है, खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें डायबिटीज है या जिन्हें इसके विकसित होने का खतरा है...
अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (ADA) केमुताबिक खानें के बाद और पहले ब्लड शुगर लेवल अलग-अलग होता है
नॉर्मल ब्लड शुगर लेवल :अपने ब्लड शुगर लेवल को समझना अच्छी सेहत को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है. इससे आपको किसी भी असंतुलन की पहचान करने और उन्हें प्रबंधित करने के लिए उचित कदम उठाने में मदद मिलती है।
फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल: यह रात भर उपवास करने के बाद जांचा जाता है और यह 70 और 130 mg/dL (3.9 और 7.2 mmol/L) के बीच होना चाहिए…
भोजन के बाद ब्लड शुगर लेवल
CDC के अनुसार, खाना खाने के बाद ब्लड शुगर लेवल को पोस्टप्रैंडियल ग्लाइसेमिक लेवल कहा जाता है, आमतौर पर, खाना खाने के 2 घंटे के बाद ब्लड शुगर लेवल 140 mg/dL से कम होना चाहिए. हेल्दी लोगों के लिए ब्लड शुगर लेवल खाना खाने के दो घंटे बाद 130 से 140 mg/dL के बीच होना चाहिए. वहीं, डायबिटीज पेशेंट का ब्लड शुगर लेवल खाना खाने के दो घंटे बाद 180 mg/dL तक हो सकता है. ब्लड शुगर लेवल 180 mg/dL से अधिक होने पर कई तरह की बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है.
ब्लड शुगर लेवल की जांच क्यों जरूरी?
ब्लड शुगर लेवल की जांचकरने से आपको यह पता लगाने में मदद मिलती है कि क्या आप अपने ग्लूकोज लक्ष्यों को पूरा कर रहे हैं, जिससे हाई और लो ब्लड शुगर के अनकंफर्टेबल लक्षणों को कम करने और डायबिटीज के कंप्लिकेशन्स को रोकने में मदद मिल सकती है. ब्लड शुगर लेवल की जांच करते समय यह ध्यान देना जरूरी है कि ब्लड शुगर लेवल ना तो बहुत ज्यादा हो और ना ही बहुत कम, दोनों ही सेहत के लिए सही नहीं है.