पटना: बरसात का मौसम शुरू होते ही डेंगू का डर सताने लगता है. जुलाई से लेकर अक्टूबर के महीने तक डेंगू का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है. पटना की बात करें तो बीते एक सप्ताह में दो डेंगू के मरीज पटना में मिले हैं. ऐसे में डेंगू से बचने के लिए लोगों को सावधान हो जाने की जरूरत है.
कहां से आते हैं ये डेंगू के मच्छर: पिछले साल जिन इलाकों में डेंगू के मामले अधिक आए थे, उन इलाकों में पटना स्वास्थ्य विभाग की टीम ने निरीक्षण किया था. इस दौरान पाया कि छत पर जहां पानी जमा होता है, घरों में रखे पुराने टायर में जमा पानी, कूलर में जमा पानी, गमले में जमा पानी में काफी अधिक डेंगू के लार्वा बनते है.
कैसे पनपते हैं ये मच्छर:पटना के वरिष्ठ चिकित्सक दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि बरसात शुरू होते ही डेंगू मच्छर के पनपना के लिए कंडीशन अनुकूल हो जाता है. आर्द्र वातावरण में डेंगू के मच्छर पनपते हैं. डेंगू के मच्छर दिन में ही काटते हैं, इसलिए जरूरी है कि फुल स्लीव का कपड़ा पहने. इन सबसे अधिक जरूरी है कि डेंगू के लार्वा साफ पानी में पनपते हैं, ऐसे में घर में आसपास कहीं भी साफ पानी का जमाव अधिक दिन तक नहीं होने दें.
जरूर करवाए एंटी लार्वा का छिड़काव: घर में जहां पानी जमा हो रहा है वहां साफ सफाई करते रहें और फिनायल अथवा केरोसिन यानी मिट्टी का तेल का छिड़काव करें. साफ पानी में डेंगू का लार्वा को मच्छर बनने में 10 दिन का समय लगता है. ऐसे में नगर निगम की टीम जो एंटी लार्वा का छिड़काव कर रही है, उसे बुलाकर महीने में दो बार घर में जरूर छिड़काव करवा लें.
क्या हैं इसके लक्षण: दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि डेंगू मच्छर से गर्भवती महिला बच्चे और बुजुर्ग को अधिक सावधान रहने की जरूरत होती है. इनकी इम्यूनिटी कम होती है. डेंगू के मरीज को ज्यादातर प्लेटलेट्स कम होने की शिकायत रहती है. ऐसे में बुखार के लक्षण होने पर नियमित प्लेटलेट्स की जांच कराए और डेंगू के लक्षण है तो बिना चिकित्सीय परामर्श के एंटीबायोटिक का सेवन नहीं करें.
"डेंगू में सबसे महत्वपूर्ण होता है कि शरीर में पानी की कमी नहीं हो. ऐसे में इस मौसम में लोगों को प्रचुर मात्रा में पानी पीनी चाहिए. इसके अलावा डेंगू के मरीज को दर्द की दवा का सेवन नहीं करना चाहिए."-दिवाकर तेजस्वी, वरिष्ठ चिकित्सक
जानें अस्पतालों में कितने बेड की व्यवस्था:वहीं सरकार के स्तर पर बात करें तो राज्य के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर बड़े अस्पतालों में डेंगू के निशुल्क जांच के लिए एलाइजा किट उपलब्ध करा दी गई है. डेंगू मरीजों की इलाज के लिए मेडिकल अस्पतालों में कम से कम 30 बेड और जिला अस्पतालों में 5 से 10 और पीएचसी में दो से पांच बेड की व्यवस्था करने को निर्देशित किया गया है.
पिछले साल मिले हजारों मामले: पिछले साल पटना में डेंगू के मामले की बात करें तो पाटलिपुत्र आंचल में सर्वाधिक 2532 मरीज, बांकीपुर अंचल में 998 मरीज, नूतन राजधानी अंचल में 833 मरीज, अजीमाबाद आंचल में 411 मरीज, कंकड़बाग अंचल में 363 मरीज और पटना सिटी आंचल में 98 मरीज मिले थे. स्वास्थ्य विभाग की ओर से अस्पतालों में लोगों को डेंगू से बचाव के लिए जागरूक भी किया जा रहा है. इसके अलावा सोशल मीडिया के माध्यम से विश्वास विभाग लोगों को डेंगू से बचाव के लिए जागरुक कर रहा है.
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