नई दिल्ली : एक स्टडी में पाया गया है कि चार साल की उम्र में गंभीर मोटापे से ग्रस्त एक बच्चे का वजन कम नहीं होने पर उसकी जीवन प्रत्याशा औसत जीवन प्रत्याशा की लगभग आधी है. हालांकि, अध्ययन से पता चला कि मोटापे के इस "गहरे प्रभाव" को वजन कम करके रोका जा सकता है. वेनिस, इटली में यूरोपियन कांग्रेस ऑन ओबेसिटी (ईसीओ) में पहली बार प्रस्तुत किए गए अध्ययन में बचपन में मोटापे की शुरुआत, गंभीरता और अवधि की उम्र के प्रभाव को निर्धारित किया गया.
जर्मनी के म्यूनिख में जीवन विज्ञान परामर्शदाता स्ट्राडू जीएमबीएच के डॉ. उर्स विडेमैन ने कहा, "प्रारंभिक मोटापे के मॉडल से पता चलता है कि वजन में कमी का जीवन प्रत्याशा और अन्य बीमारियों के साथ मिलकर मौत का कारण बनने की संभावना पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, खासकर जब शुरू में ही वजन कम कर लिया जाता है." डॉ. विडेमैन कहा "यह स्पष्ट है कि बचपन के मोटापे को एक जीवन-घातक बीमारी माना जाना चाहिए. यह महत्वपूर्ण है कि टाइप 2 डायबिटीज, उच्च रक्तचाप या अन्य 'चेतावनी संकेत' विकसित होने तक उपचार बंद न किया जाए, बल्कि जल्दी शुरू किया जाए,"