हैदराबाद: आमतौर पर लोग खून या पेशाब की जांच तभी करवाते हैं जब चिकित्सक किसी रोग की आशंका में उन्हे जांच करवाने के लिए कहते हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों में युवाओं व अधेड़ लोगों में लगातार बढ़ती अलग-अलग प्रकार की बीमारियों व स्वास्थ्य समस्याओं के चलते बहुत जरूरी हो गया है कि लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा सचेत रहे. इसलिए चिकित्सक आजकल 35 से 40 वर्ष की आयु के बाद महिलाओं व पुरुषों दोनों से नियमित स्वास्थ्य जांच यानी खून-पेशाब तथा अन्य तरह की जांच करवाने की सलाह देते है.
क्यों है जरूरी नियमित जांच :जानकारों की मानें तो आज के समय में अस्वास्थ्यकर जीवनशैली सहित बहुत से कारणों से लोगों में कम उम्र में ही कई तरह की समस्याओं व बीमारियों के जोखिम बढ़ने लगते हैं.कई ऐसी बीमारियां जिन्हे पहले बुढ़ापे की बीमारियां माना जाता था आजकल युवावस्था से ही वे परेशान करने लगती हैं. नजर कम होना, जोडों व पीठ में दर्द या हड्डियों में कमजोरी, हृदय रोग, पाचन में समस्या, जल्दी थकान होना या याददाश्त में कमी आदि उनमें शामिल हैं.
चंडीगढ़ पंजाब के जनरल फिजीशियन डॉ बलबीर सिंह बताते हैं कि आज के समय में भागती दौड़ती तनाव भरी जीवन शैली तथा उससे जुड़ी अस्वास्थ्यकारी आदतेँ जैसे खाने-पीने में गड़बड़ी, धूम्रपान व शराब का ज्यादा इस्तेमाल, काम व आराम के अनुपात में असंतुलन, सोने जागने के समय या उसकी मात्रा से जुड़ी समस्याएं, तनाव तथा बहुत सी अन्य समस्याएं लोगों में शरीर के सभी तंत्रों तथा उनके कार्यों को प्रभावित करती हैं. जो उनमें मधुमेह, हृदय रोग, ओबेसिटी व रक्तचाप ( Diabetes, heart disease - CVD , obesity and blood pressure ) आदि के साथ ही कई बार कुछ गंभीर विसंगतियों, रोगों, कुछ विशेष प्रकार के पोषण में कमी, आंतरिक अंगों में समस्या या कई बार अंग विफलता सहित कई समस्याओं का कारण बन सकती है.
वह बताते हैं कि आज के दौर में ज्यादातर युवाओं में कोलेस्ट्रॉल, हाई बीपी, एनीमिया, हीमोग्लोबिन में कमी तथा हड्डियों में कमजोरी या शरीर में विटामिन डी की कमी सहित कई समस्याएं देखने में आती हैं. लेकिन कुल पीड़ितों में से ज्यादातर लोगों को अपने स्वास्थ्य की वास्तविक स्थिति पता ही नहीं होती है. जिसके चलते वे ना तो स्वास्थ्य को बेहतर करने व इन कमियों को दूर करने के लिए जरूरी सावधानियों को अपना पाते हैं बल्कि कई बार ऐसे आहार या दिनचर्या का पालन भी करने लगते हैं जो इन समस्याओं के प्रभावों को ज्यादा बढ़ा देती हैं. और कई बार यह स्थिति शरीर में कई अन्य गंभीर समस्याओं के होने व बढ़ने का कारण भी बन जाती है. ऐसी परिस्थितियों से बचा जा सके इसके लिए बहुत जरूरी है कि स्वास्थ्य की नियमित निगरानी रखी जाय. जिसमें नियमित टेस्ट काफी मददगार हो सकते हैं.
कब कराएं जांच
वह बताते हैं कि 35 से 40 वर्ष की आयु के बाद सामान्य अवस्था में (जब कोई स्वास्थ्य समस्या या रोग ना हो) सालाना यानी साल में एक बार तथा किसी विशेष अवस्था जैसे गंभीर Diabetes , heart disease - CVD , अनुवांशिक अवस्था या किसी अन्य समस्या के होने की अवस्था में हर 6 महीने में एक बार सम्पूर्ण स्वास्थ्य जांच जरूर करवा लेनी चाहिए. ऐसा करने से समस्या के घटते बढ़ते स्तर के साथ किसी नए रोग या संक्रमण की शुरुआत तथा किसी विशेष आर्गन में समस्या के बारें में भी समय से पता चल सकता है. जिससे समय रहते समस्या के निदान के लिए प्रयास करने के साथ जरूरी सावधानियों को भी अपनाया जा सकता है.