Why Heart Getting Weak:दिल की बीमारी या हार्ट अटैक आमतौर पर 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों या किसी प्रकार के नशे से सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों को होता है. लेकिन अब कम उम्र और स्वस्थ्य युवाओं को भी दिल की यह बीमारी जकड़ रही है. हमारे आसपास अक्सर हम यह सुनते हैं कि 20 वर्ष से 30 वर्ष की उम्र के बीच के युवा का अचानक निधन हो गया. अधिकांश मामलों में लक्षण एक जैसे होते हैं जिसमें खबराहट होना, पसीना आना और सीने के आसपास दर्द होना शामिल है.
रतलाम में हार्ट से युवाओं ने तोड़ा दम
इस तरह के ताजा मामले रतलाम के सेमलिया गांव में सामने आए हैं. जहां बीते कुछ महीनों में गांव के राहुल सेन (28 वर्ष), किशोर गहलोत (27 वर्ष) और मेहुल जैन (26 वर्ष) की हार्ट अटैक से दुखद मृत्यु हो गई. तीनों के मामले में एक जैसे लक्षण थे. यह केवल एक गांव या शहर का मामला नहीं है बल्कि सभी क्षेत्रों में इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं.
युवाओं में क्यों बढ़ रहा हार्ट अटैक
रतलाम जिला अस्पताल के सीएमएचओ और हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आनंद चंदेलकर ने हृदय रोग और युवाओं में बढ़ रही इस बीमारी के बारे में ईटीवी भारत से विस्तार से चर्चा की. डॉ चंदेलकर ने बताया कि, ''यह बात सही है कि दिल की बीमारियों से संबंधित मामले युवाओं में बढ़ रहे हैं. कई मामलों में हार्ट अटैक की वजह से युवाओं की मौत भी हुई है. हृदय रोग विशेषज्ञ के अनुसार सबसे बड़ा कारण है युवाओं में तनाव लेने की प्रवृत्ति बढ़ना. कम उम्र में ही युवा अधिक तनाव ले रहे हैं. जिसके चलते दिल की बीमारियां युवाओं में बढ़ रही है. इसके साथ ही आने में खानपान और दिनचर्या जिसकी वजह से ब्लड प्रेशर की समस्या और कोलेस्ट्रॉल बढ़ रहा है.''
अधिक वर्क आउट हार्ट हार्ट अटैक का कारण
डॉक्टर आनंद चंदेलकर के मुताबिक, कई मामलों में युवा धूम्रपान या अन्य प्रकार के नशे भी करते हैं. जिसका विपरीत प्रभाव उनके दिल पर आ रहा है. कई मामलों में क्षमता से अधिक वर्क आउट भी हार्ट हार्ट अटैक का कारण बना है. यही वजह है कि आजकल हार्ट अटैक के मामले युवाओं में ज्यादा देखने को मिल रहे हैं. इसके साथ ही ब्लड प्रेशर, शुगर और मानसिक तनाव की प्रारंभिक अवस्था में युवा डॉक्टर से सलाह नहीं लेते हैं. इन बीमारियों की शुरुआत को हल्के में लेना भी युवाओं के लिए जानलेवा साबित हो रहा है.