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पीजीआई चंडीगढ़ में डॉक्टरों का कमाल, अवेक ब्रेन सर्जरी से 8 साल की बच्ची का हुआ सफल ऑपरेशन - SKULL OPERATION BY AWAKE SURGERY

पीजीआई बेहतरीन चिकित्सा सुविधा के लिए जाना जाता है. इसी कड़ी डॉक्टरों ने ब्रेन अवेक सर्जरी से एक बच्ची का सफल ऑपरेशन किया है.

PGI Chandigarh
पीजीआई चंडीगढ़ (Etv Bharat)

By ETV Bharat Haryana Team

Published : 5 hours ago

चंडीगढ़ः पीजीआई चंडीगढ़के डॉक्टरों ने कमाल कर दिया है. पहली बार पीजीआई में 8 साल की बच्ची का अवेक ब्रेन सर्जरी के माध्यम से ट्यूमर का सफलतापूर्वक ऑपरेशन को अंजाम दिया. बच्ची के स्वस्थ होने के बाद डॉक्टर्स और बच्ची के परिजनों में काफी खुशी है. डॉक्टरों को भरोसा है कि ताजा सफलता के बाद इस तकनीक से आने वाले समय में ज्यादा से ज्यादा बच्चों का सफल ऑपरेशन संभव हो पायेगा. ऑपरेशन को लीड करे न्यूरोसर्जन डॉ. सुशांत कुमार साहू ने बताया कि आठ साल की बच्ची का अवेक ब्रेन सर्जरी के माध्यम से सफल ऑपरेशन में कई डॉक्टरों की टीम ने हिस्सा लिया था.

क्या है अवेक ब्रेन सर्जरीःअवेक ब्रेन सर्जरी को अवेक क्रैनियोटॉमी ( ब्रेन से ट्यूमर को बाहर निकालना) भी कहा जाता है. इस ऑपरेशन में मरीज को बेहोश किये बिना ऑपरेशन किया जाता है. खास उपकरणों की मदद से उसके कुछ नसों को ब्लाक किया जाता है. आपरेशन के दौरान मरीज पर कोई नकरात्क असर नहीं पड़ रहा है, यानि ऑपरेशन से मरीज का कोई अंग प्रभावित नहीं हो रहा है. इसका लगातार ध्यान रखा जाता है. इसमें ऑपरेशन से पहले मरीज को मेडिकल साइन लैंग्वेज में ट्रेंड किया जाता है, जिसका उपयोग आपरेशन के दौरान मरीज के शरीर और संचार चैनल की स्थिति को जांचने के साइन लैंग्वेज में बातचीत के लिए किया जाता है. मुख्य रूप से ब्रेन ट्यूमर, मिर्गी सहित कुछ गिने चुने बीमारी के इलाज के इसका उपयोग किया जाता है. पीजीआई में इस प्रक्रिया से गुजरने वाली यह अब तक की सबसे कम उम्र की बच्ची है. यह सर्जरी बच्चों में ब्रेन ट्यूमर के इलाज में एक नया अध्याय है.

पीजीआई चंडीगढ़ में डॉक्टरों का कमाल (Etv Bharat)

विशेष सर्जिकल तकनीक है क्रेनियोटोमीःऑपरेशन को लीड करने वाले न्यूरोसर्जन डॉ. सुशांत कुमार साहू ने कहा कि अवेक क्रेनियोटोमी एक विशेष सर्जिकल तकनीक है, जिसमें ऑपरेशन के दौरान मरीज सजग और सक्रिय रहता है, जिससे भाषा जैसे महत्वपूर्ण मस्तिष्क कार्यों के समय पर निगरानी की जा सकती है. बड़ी उम्र के मरीजों पर की जाने वाली यह जटिल प्रक्रिया कम उम्र के मरीजों के लिए अनूठी चुनौतियां पेश करती है, क्योंकि सर्जरी से जुड़े डर और चिंता के बीच वे उनके सहयोग करने की क्षमता सीमित होते हैं. इस ऑपरेशन में डॉ. सुशांत के अलावा 8 और एक्सपर्ट शामिल थे.

बच्ची के सहयोग से संभव हुआ ऑपरेशनःन्यूरोसर्जन डॉ. सुशांत कुमार साहू ने बताया कि यह सर्जरी सावधानीपूर्वक योजना और बच्चे के सहयोग से ट्यूमर को सुरक्षित रूप से हटाया गया. आठ साल की बच्ची में कोई अतिरिक्त कमजोरी नहीं दिखी है और वह ठीक हो रहा है.

सर्जरी से पहले डॉक्टरों ने हर संभवानाओं पर किया था विचारःसर्जरी से पहले, रोगी के साथ तालमेल बनाने के लिए व्यापक तैयारियां की गई थी. न्यूरो एनेस्थेटिस्ट डॉ. राजीव चौहान, सीनियर रेजिडेंट डॉ. मिथलेश और जूनियर रेजिडेंट डॉ. मंजरी, न्यूरो-मॉनिटरिंग तकनीशियन हितेश ठाकुर, नर्सिंग सहायक कमल और ओटी टेक्नीशियन डॉ. गुरप्रीत के नेतृत्व में घंटो तक टीम ने इस प्रक्रिया के बारे में विस्तृत चर्चा की थी.

ढाई घंटे तक चला था ऑपरेशनःमेडिकल टीमने आठ वर्षीय रोगी को वस्तुओं को पहचानने, गिनने और कहानी सुनाने जैसे कार्यों के बारे में शिक्षित किया, जिन्हें उसे सर्जरी के दौरान करना था. उन्होंने बताया कि ढाई घंटे तक चलने वाले इस ऑपरेशन में जहां पूरी टीम एकजुट होकर काम कर रही थी. वहीं बच्ची की ओर से भी सकारात्मक तौर पर सहयोग दिया गया. आज उसी का नतीजा है की बच्ची अपने परिवार के साथ है. आम बच्चों की तरह वह शुरू कर चुकी है.

ब्रेन ट्यूमर से मरीजों को होती है कई परेशानीःब्रेन ट्यूमर, हालांकि दुर्लभ होते हैं, लेकिन जानलेवा हो सकते हैं. वे प्राथमिक या द्वितीयक, सौम्य या घातक हो सकते हैं. मस्तिष्क के ऊतकों के भीतर उनके स्थान के कारण अक्सर पूरी तरह निकासी नहीं होती है. चेतावनी के संकेतों में लगातार सिरदर्द होता रहता है, विशेष रूप से सुबह-सुबह उल्टी और धुंधला दिखने जैसी समस्या देखी जाती है.

अभिनव तकनीकेंः सर्जरी के दौरान, न्यूरो एनेस्थीसिया टीम ने बच्चे की मस्तिष्क गतिविधि की निगरानी करते हुए उसे सतर्क रखने के लिए इलेक्ट्रिक यंत्र का बेहोशी इस्तेमाल किया. साथ ही बच्ची के साथ सर्जरी के दौरान बातचीत की गई. जहां उसे हर इशारे के तहत अपने शरीर में होने ने वाले बदलावों के बारे में बताना था.

चैलेंजिंग था ऑपरेशनः डॉ. सुशांत कुमार साहू ने कहा कि एम्स के सर्जनों ने 2024 में 5 साल के बच्चे का इस तरह से सफल सर्जरी हो चुका है. इसे जागृत मस्तिष्क सर्जरी का सबसे कम उम्र का मामला बताया था, लेकिन पीजीआई के डॉक्टरों ने इस बात पर बल दिया कि उनके मरीज का ट्यूमर बहुत गहरा था. पहले से ही जटिल प्रक्रिया और बच्ची में ट्यूमर की स्थिति के कारण और भी जटिल हो गई.

बच्ची, जिसके बाएं हाथ में दौरे और कमजोरी आ रही थी, उसके मस्तिष्क के दाहिने हिस्से में एक बड़े ट्यूमर - एक इंसुलिन ग्लियोमा का ऑपरेशन के माध्यम से निदान किया गया है. यह क्षेत्र सीधे भाषण की क्षमताओं को प्रभावित करता है, जिस कारण से सर्जरी में काफी जोखिम होता है.- डॉ. सुशांत कुमार साहू, प्रमुख न्यूरोसर्जन, पीजीआई चंडीगढ़

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