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सी-सेक्शन से जन्म लेने वाले बच्चों में खसरे के टीके के अप्रभावी होने की संभावना 2.6 गुना अधिक : शोध - babies born by C section - BABIES BORN BY C SECTION

babies born by C section: कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के विभाग में प्रोफेसर हेनरिक सैल्जे ने कहा कि हमने पाया है नॉर्मल डिलीवरी और सी-सेक्शन से पैदा होने वाले बच्चों में बड़े होने पर रोग प्रतिरोधक क्षमता पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है. पढ़ें पूरी खबर..

babies born by C section
सी-सेक्शन से जन्म लेने वाले बच्चे (IANS)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 13, 2024, 7:52 PM IST

नई दिल्ली : एक शोध में यह बात कही गई है कि नॉर्मल डिलीवरी से पैदा हुए बच्चों की तुलना में सी-सेक्शन से पैदा हुए बच्चों में खसरे के टीके की पहली खुराक पूरी तरह से अप्रभावी होने की संभावना 2.6 गुना अधिक होती है. इसलिए इनमें दूसरी खुराक की जरूरत है. खसरा एक संक्रामक रोग है जिसे टीकों से रोका जा सकता है. हालांकि टीके की विफलता से यह खतरा काफी बढ़ सकता है.

कैम्ब्रिज, यूके और चीन के फुडन विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं की एक टीम के नेतृत्व में किए गए शोध से पता चला है कि खसरे का दूसरा टीका लगाना महत्वपूर्ण है. यह सी-सेक्शन के माध्यम से पैदा हुए बच्चों में खसरे के खिलाफ एक मजबूत प्रतिरक्षा पैदा करता है. नेचर माइक्रोबायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित शोध में पाया गया कि टीके का प्रभाव बच्चे के आंत माइक्रोबायोम के विकास से जुड़ा हुआ है, जो कि स्वाभाविक रूप से आंत के अंदर रहने वाले माइक्रोब का विशाल संग्रह है.

यह माना जाता है कि नॉर्मल डिलीवरी में मां से बच्चे में बड़ी संख्या में माइक्रोब स्थानांतरित होते हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा दे सकते हैं. कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के विभाग में प्रोफेसर हेनरिक सैल्जे ने कहा कि हमने पाया है नॉर्मल डिलीवरी और सी-सेक्शन से पैदा होने वाले बच्चों में बड़े होने पर रोग प्रतिरोधक क्षमता पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है.

उन्होंने आगे कहा कि सी-सेक्शन से जन्म लेने वाले शिशु ऐसे होते हैं जिनकी हम वास्तव में निगरानी करना चाहते हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उन्हें खसरे का दूसरा टीका लग जाए क्योंकि उनका पहला टीका असफल होने की अधिक संभावना है. खसरे को नियंत्रण में रखने के लिए कम से कम 95 प्रतिशत आबादी को पूर्ण टीकाकरण की आवश्यकता है.

शोध के लिए, टीम ने चीन के हुनान में 1,500 से अधिक बच्चों के पिछले अध्ययनों के डेटा का उपयोग किया, जिसमें जन्म से लेकर 12 वर्ष की आयु तक लिए गए रक्त के नमूने शामिल थे. उन्होंने पाया कि सिजेरियन सेक्शन के माध्यम से पैदा हुए 12 प्रतिशत बच्चों में उनके पहले खसरे के टीकाकरण के बाद कोई प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया नहीं थी, जबकि नॉर्मल डिलीवरी से पैदा हुए 5 प्रतिशत बच्चों में भी कोई प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया नहीं थी.

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