नई दिल्ली :जैसे-जैसे ऐज बढ़ती जाती है वैसे-वैसे दिमाग कमजोर पड़ने लगता है. बढ़ती उम्र के साथ छोटी-मोटी चीजें याद रखना भी मुश्किल हो जाता है. जैसे कि अपना चश्मा पास रखकर भूल जाना, खाने में क्या खाया वह भूल जाना. यहां तक कि बुजुर्ग लोग कई बार लोगों को पहचानना भी कम कर देते हैं. बता दें, मेमोरी लॉस के कई करण हैं. जैसे कि अकेलापन, जरूरत से ज्यादा स्ट्रेस लेना. यह सब दिमाग को कमजोर करते हैं.
रिसर्च में हुआ खुलासा
वाटरलू विश्वविद्यालय के एक अध्ययन से पता चला है कि लगभग एक तिहाई कनाडाई अकेलापन महसूस करते हैं. इसके साथ-साथ सामाजिक जीवन दूर रहने से भी नेगेटिव असर पड़ता है. हालांकि दोनों ही वृद्ध आबादी के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा हैं. अकेलापन इस कदर हावी हो जाता है कि सामाजिक गतिविधियों में शामिल होने के दौरान भी इसको महसूस करते हैं.
वाटरलू के शोधकर्ताओं ने छह साल की अवधि में मध्यम आयु वर्ग और वृद्धों में सामाजिक अलगाव और अकेलेपन के चार संयोजनों और उनकी स्मृति पर उनके प्रभाव की जांच की. इन संयोजनों में सामाजिक रूप से अलग-थलग और अकेला होना, केवल सामाजिक रूप से अलग-थलग होना, केवल अकेला होना और दोनों में से कुछ भी नहीं होना शामिल है.
अकेलेपन से मेमोरी लॉस का ज्यादा खतरा
वाटरलू के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ साइंसेज में पीएचडी कर रहे जी वोन कांग ने कहा कि हमारी उम्मीद के मुताबिक, जो लोग सामाजिक रूप से अलग-थलग और अकेले थे, उनकी याददाश्त में सबसे ज्यादा गिरावट आई, जो छह सालों में और भी बढ़ गई. लेकिन हमें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि अकेलेपन का याददाश्त पर दूसरा सबसे बड़ा प्रभाव था, भले ही बहुत से अध्ययन अकेलेपन पर विचार किए बिना सामाजिक अलगाव के खतरों के बारे में रिपोर्ट करते हैं.