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खुलासा: अकेलेपन से एज रिलेटेड मेमोरी लॉस का बढ़ जाता है खतरा - Risk Of Age Related Memory Loss

Risk Of Age Related Memory Loss : वाटरलू विश्वविद्यालय के एक अध्ययन से पता चल है कि बढ़ती उम्र से चलते मेमोरी लॉस का खतरा बढ़ जाता है. कैसे जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 11, 2024, 4:46 PM IST

Updated : Jul 11, 2024, 5:07 PM IST

Risk Of Age Related Memory Loss
अकेलेपन से एज रिलेटेड मेमोरी लॉस का बढ़ जाता है खतरा (IANS)

नई दिल्ली :जैसे-जैसे ऐज बढ़ती जाती है वैसे-वैसे दिमाग कमजोर पड़ने लगता है. बढ़ती उम्र के साथ छोटी-मोटी चीजें याद रखना भी मुश्किल हो जाता है. जैसे कि अपना चश्मा पास रखकर भूल जाना, खाने में क्या खाया वह भूल जाना. यहां तक कि बुजुर्ग लोग कई बार लोगों को पहचानना भी कम कर देते हैं. बता दें, मेमोरी लॉस के कई करण हैं. जैसे कि अकेलापन, जरूरत से ज्यादा स्ट्रेस लेना. यह सब दिमाग को कमजोर करते हैं.

रिसर्च में हुआ खुलासा
वाटरलू विश्वविद्यालय के एक अध्ययन से पता चला है कि लगभग एक तिहाई कनाडाई अकेलापन महसूस करते हैं. इसके साथ-साथ सामाजिक जीवन दूर रहने से भी नेगेटिव असर पड़ता है. हालांकि दोनों ही वृद्ध आबादी के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा हैं. अकेलापन इस कदर हावी हो जाता है कि सामाजिक गतिविधियों में शामिल होने के दौरान भी इसको महसूस करते हैं.

वाटरलू के शोधकर्ताओं ने छह साल की अवधि में मध्यम आयु वर्ग और वृद्धों में सामाजिक अलगाव और अकेलेपन के चार संयोजनों और उनकी स्मृति पर उनके प्रभाव की जांच की. इन संयोजनों में सामाजिक रूप से अलग-थलग और अकेला होना, केवल सामाजिक रूप से अलग-थलग होना, केवल अकेला होना और दोनों में से कुछ भी नहीं होना शामिल है.

अकेलेपन से मेमोरी लॉस का ज्यादा खतरा
वाटरलू के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ साइंसेज में पीएचडी कर रहे जी वोन कांग ने कहा कि हमारी उम्मीद के मुताबिक, जो लोग सामाजिक रूप से अलग-थलग और अकेले थे, उनकी याददाश्त में सबसे ज्यादा गिरावट आई, जो छह सालों में और भी बढ़ गई. लेकिन हमें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि अकेलेपन का याददाश्त पर दूसरा सबसे बड़ा प्रभाव था, भले ही बहुत से अध्ययन अकेलेपन पर विचार किए बिना सामाजिक अलगाव के खतरों के बारे में रिपोर्ट करते हैं.

लोग अकेले नहीं हैं, लेकिन सामाजिक रूप से अलग-थलग हैं, वे अकेले की गतिविधियों से अपनी मानसिक क्षमता को उत्तेजित कर सकते हैं, जैसे पढ़ना, गेम खेलना और ऐसे शौक में शामिल होना जो याददाश्त को बेहतर बनाते हैं और मस्तिष्क को उत्तेजित करते हैं, भले ही वे सामाजिक गतिविधियों में शामिल न हों. कांग को उम्मीद है कि इस शोध के निष्कर्ष सामुदायिक कार्यक्रमों की आवश्यकता को उजागर करेंगे, खासकर वृद्धों के संयुक्त समूह के लिए जो सामाजिक रूप से अलग-थलग और अकेले हैं और इसलिए मैमोरी लॉस से ज्यादा नुकसान में हैं.

बुजुर्गों पर इस तरह पड़ता है असर
उन्होंने कहा कि अकेले रह रहे वृद्धों की अक्सर अन्य समूहों की तुलना में इनकम कम होती है और उनके पास संरचनात्मक बाधाएं और स्वास्थ्य स्थितियां हो सकती हैं जो उन्हें अपने समुदायों से जुड़ने से रोकती हैं. कुछ ऐसा जो सामाजिक मुद्दों को संबोधित करे जो उन्हें और अधिक अलग-थलग कर देता है. जो समूह सिर्फ अकेला है, वह अगली प्राथमिकता है, जिसके लिए एक अलग दृष्टिकोण की आवश्यकता है.

6 साल के अध्ययन के बाद खुलासा
कांग ने कहा कि हमें यह जानने की आवश्यकता होगी कि उनके अकेलेपन का कारण क्या है. वे सामाजिक रूप से जुड़े हो सकते हैं और उनके करीबी रिश्ते हो सकते हैं, लेकिन उदाहरण के लिए, हो सकता है कि उनकी शादी टूट गई हो और उन्हें परामर्श से लाभ हो. यह अध्ययन वाटरलू में स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ साइंसेज और सांख्यिकी एवं एक्चुरियल साइंस विभाग के बीच एक अंतःविषय परियोजना थी. वृद्ध आबादी की याददाश्त पर सामाजिक अलगाव, अकेलेपन और उनके संयोजन के विभिन्न प्रभावों की खोज: सीएलएसए का 6 साल का अनुदैर्ध्य अध्ययन जेरोन्टोलॉजी और जेरिएट्रिक्स के अभिलेखागार में दिखाई देता है.

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Last Updated : Jul 11, 2024, 5:07 PM IST

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