हम में से अधिकांश लोग फैटी फूड या जंक फूड खाना बेहद पसंद करते हैं. जिससे पाचन में ज्यादा समस्याएं होती हैं. इसके अलावा, पेट से संबंधित समस्याएं, एसिडिटी और दस्त के बाद कब्ज भी आज की जीवनशैली में परेशानी का सबब बन गई है. पोषण विशेषज्ञ अंजलि मुखर्जी ने दावा किया कि यदि आपको भी इसी तरह के लक्षण हो रहे हैं, तो यह आईबीएस या इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षण हो सकते हैं.
ऐसे में अंजलि मुखर्जी का कहना है कि इस सिंड्रोम से बचने या इससे छुटकारा पाने के लिए आपको अपने पेट का ख्याल रखने की जरूरत है. पोषण विशेषज्ञ द्वारा इंस्टाग्राम पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में, उन्होंने पहले समझाया कि आईबीएस क्या है और फिर उन्होंने इस समस्या से निपटने के तरीके के बारे में विस्तार से बताया...
वीडियो में पोषण विशेषज्ञ अंजलि मुखर्जी ने क्या कहा जानें
वीडियो में अंजलि मुखर्जी को यह कहते हुए सुना जा सकता है, यदि आपको लगातार पेट फूलने, गैस, पेट दर्द, बारी-बारी से दस्त और कब्ज की समस्या हो रही है और मल ठीक से नहीं निकल रहा है, तो आपको आईबीएस हो सकता है. इसके बाद, पोषण विशेषज्ञ ने कुछ आसान उपाय भी बताए जिन्हें आप घर पर आजमा सकते हैं.
भूल कर भी न खाएं ये सब
उन्होंने कहा, 'सबसे पहले, यदि आपको ऐसा महसूस हो रहा है, तो आपको तुरंत अपने आंत को नए सिरे से आबाद करने की जरूरत है और ऐसा करने के लिए आपको ग्लूटेन और डेयरी से बचना होगा. इसके साथ ही फैटी भोजन, तला हुआ भोजन, मसालेदार भोजन, कच्चा भोजन और कभी-कभी कच्चे फलों से भी बचना होगा. बता दें, ये भूड आइटम्स आपके लिए ठीक नहीं हो सकता है. लेकिन कुछ लोगों को केले और इस तरह के नरम खाद्य पदार्थों से एलर्जी हो सकती है. वहीं, राजमा, छोले जैसी सभी भारी दालें पचाने में आसान नहीं होती हैं. ये मुख्य रूप से भारी खाद्य पदार्थ हैं जिनके लिए अधिक मजबूत पाचन तंत्र की आवश्यकता होती है. इसलिए, यदि IBS का पता चलता है, तो ऐसे खाद्य पदार्थों से बचना ही सही है.
क्या खाने से इसे ठीक किया जा सकता
हालांकि, उपचार प्रक्रिया यहां समाप्त नहीं होती है. उन्होंने साझा किया कि अब, जब आप इन सभी चीजों से बचते हैं और यह भी पाते हैं कि आपके लक्षण बेहतर हो रहे हैं, तो आपको आंत की परत पर और काम करने की आवश्यकता है. इसके लिए आप दाल-चावल, एवोकाडो, मछली, पकी हुई सब्जियां, केला जैसे कुछ फल खा सकते हैं, यहां तक कि पपीता भी आंत की परत को ठीक करने के लिए एक अच्छा उपाय है.
अंजलि मुखर्जी ने आगे कहा कि IBS का घरेलू इलाज के साथ-साथ आपको अच्छे प्रोबायोटिक्स से आंत का इलाज करवाना चाहिए. एक बार सूजन कम हो जाने पर, आप पाएंगे कि IBS के आपके लक्षण ठीक हो गए हैं.
जानें क्या होता है इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS)
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) एक डाइजेशन डिसऑर्डर है. यह एक लॉन्ग टर्म कंडीशन है, जिसमें पेट दर्द और मल त्याग में बदलाव होता है. आईबीएस से पीड़ित लोगों को दस्त और कब्ज की समस्या भी हो सकती है. यह पेट में दर्द, ऐंठन, सूजन, गैस, कब्ज, पेट फूलना, और दस्त जैसी समस्याओं का कारण बनती है. IBS से पीड़ित लोगों को अक्सर शौचालय जाने की तेज इच्छा होती है. यह सभी उम्र के लोगों को हो सकता है.
IBS के कारण
चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम (आईबीएस) एक ऐसी स्थिति है जिसके कई संभावित कारण हैं, जिनमें तनाव, फूड इनटोलरेंस और बैक्टीरियल इन्फेक्शन शामिल हैं. इसके अलावा...
- चिंता
- बैक्टीरियल ओवर ग्रोथ
- फूड एलर्जी
- इन्फेक्शन
- कुछ डेयरी फूड आइटम्स
- कुछ दवाएं
- आईबीएस का पारिवारिक इतिहास
- शराब
- आहार
- आंत संबंधी अतिसंवेदनशीलता
बता दें, आईबीएस से पीड़ित लोगों को दैनिक जीवन में थोड़े बदलाव करके अपनी समस्या को मैनेज किया जा सकता है.
(डिस्क्लेमर: इस वेबसाइट पर आपको प्रदान की गई सभी स्वास्थ्य जानकारी, चिकित्सा सुझाव केवल आपकी जानकारी के लिए हैं. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं, लेकिन बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.)